01 अप्रैल 2010

श्री कृष्ण गोविन्द हरे मुरारी



{------------श्री कृष्ण गोविन्द हरे मुरारी -------------}
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श्री कृष्ण गोविन्द हरे मुरारी, हे नाथ नारायण वासुदेव
गरीबों की कश्ती लगादे किनारे...
सिवा तेरे गिरिधर कौन हमारे...(२)
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तेरा नामी है मुश्किल में पावा
यादों में तेरी मैं बन गया सुदामा, दरस दिखादे यशोदा के पायरे ।
चरन में रख ले नन्द दुलारे,
चरन में रख ले नन्द दुलारे ।
श्री कृष्ण गोविन्द हरे मुरारी, हे नाथ नारायण वासुदेव
श्री कृष्ण गोविन्द हरे मुरारी, हे नाथ नारायण वासुदेव
श्री राम जय राम जय जय राम
श्री राम जय राम जय जय राम
मंगल भवन अमंगल हारि, द्रवऊ सोसु दशरथ अजर बिहारी ।
जय - जय हनुमान गोसाई
कृपा करो देवकी नाई....(२)
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साधु संत के तुम रखवाले, असुर निकंदन राम दुलारे,
असुर निकंदन राम दुलारे,
श्री कृष्ण गोविन्द हरे मुरारी, हे नाथ नारायण वासुदेव
श्री कृष्ण गोविन्द हरे मुरारी, हे नाथ नारायण वासुदेव
गरीबों की कुश्ती लगा दे किनारे...
सिवा तेरे गिरिधर कौन हमारे....(२)
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श्री राम जय राम जय जय राम
श्री राम जय राम जय जय राम

मुरली बजा दे मुरली वाले...(२)
शरण में रख ले नन्द दुलारे,
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श्री राम जय राम जय जय राम,
श्री राम जय राम जय जय राम,

श्री राम जय राम जय जय राम ।

1 टिप्पणी:

  1. रत्नों में मुख्यतः नौ ही रत्न ज्यादा पहने जाते हैं। सूर्य के लिए माणिक, चन्द्र के लिए मोती, मंगल के लिए मूँगा, बुध के लिए पन्ना, गुरु के लिए पुखराज, शुक्र के लिए हीरा, शनि के लिए नीलम, राहु के लिए गोमेद, केतु के लिए लहसुनियाँ। पहनने की सलाह देते हैं

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