01 फ़रवरी 2012

स्वामी रामदेवजी से ही क्यों डरती है कांग्रेस

स्वामी जी के पास कांग्रेस का वास्तविक इतिहास का साक्ष्य है और कांग्रेस के कारनामो का काला चिटठा है,

अभी तो बात आएगी मंच पर बहस की, जिसकी की आगे के किसी भी चुनाव में जोर देकर मांग की जायेगी, तब ये अज्ञानी प्रवक्ता मंच पर जनता को क्या जवाब देंगे, सरकार हर साल लोगों से 134 प्रकार के टैक्स से कितना पैसा जमा कराती है और ये पैसे कहा खर्च हो जाते है? मंदिरों का पैसा सरकार किस मद में खर्च कराती है जिसे सिर्फ हिन्दू दान देकर इकठ्ठा करता है, ये बहुत बड़ा प्रश्न है

.मंच पर ये बहस नहीं होगी की क्या विकास किया, बहस होगी की राहुल, सोनिया, चिदंबरम, पवार, मनमोहन, विलासराव देशमुख, अहमद पटेल, प्रणव मुखर्जी जैसे लोंगो के भी काले धन के खाते है क्या?

काले धन का इतिहास क्या है, पहले कपिल सिब्बल ने कहा कोई भी नुकसान २ जी घोटाले में नहीं हुआ है, फिर अहलुवालिया ने कहा की हा वास्तव में कोई घोटाला नहीं हुआ है, फिर मनमोहन ने कहा इसकी जाँच चल रही है, विपक्ष को टालते रहे, राजा जैसा आदमी जिसके पास अपनी मोबाइल को टाप अप करने का पैसा नहीं हो, यदि वह अपनी पत्नी के नाम 3000 करोड़ रुपया मारीशाश में जमा कर दे, क्या यह सब बिना सोनिया की जानकारी के कर सकता है, उस पार्टी में जहा पर बिना सोनिया के पूछे कोई वक्तव्य तथाकथित प्रवक्ता नहीं दे सकते है
फिर आया महा घोटाला देवास-इसरो डील का जिसमे की 205000 करोड़ की बैंड विड्थ को मात्र 1200 करोड़ के 10 साल के उधार के पैसे में दे दिया गया, भला हो सुब्रमनियम स्वामी जी का जिन्हें इन चोरो को नंगा कर दिया, हमारी कांग्रेसी और विदेशी मिडिया सुब्रमनियम स्वामी की तस्वीर हमेशा से गलत पेश किया है जब की वास्तव में भारत देश को ऐसे ही इमानदार नेताओ की जरुरत है जिसने कभी भी चोरी के बारे में सोचा ही नहीं
फिर आया कामनवेल्थ खेल का 90000 करोड़ का घोटाला, फिर कोयला का घोटाला जिसमे ठेकेदारों द्वारा 10 पैसे प्रति किलो के भाव से कोयला खरीदा जाता है और उसे बाजार में 4 रुपये किलो तक बेचा जाता है, यह रकम अब तक 26 लाख करोड़ होती है
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इटली के 8 बैंक और स्वीटजरलैंड के 4 बैंको को 2005 में भारत में क्यों खोला गया है और इसमे किसका पैसा जमा होता है, ये बैंक किसको लोन देते है और इनका ब्याज क्या है, इनकी जरुरत क्यों आ पड़ी भारत में जब की भारत के ही बैंकरों की बैंक खोलने की अर्जियाँ सरकार के पास धूल खा रही है, इन बैंको को चोरी छुपे क्यों खोला गया है, इन बैंको आवश्यकता क्यों है जब भारत में 80% लोग 20 रूपया प्रतिदिन से भी कम कमाते है
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भारत के किसानो से कमीशन लेने वाले चोर कत्रोची के बेटे को अंदमान दीप समूह में तेल की खुदाई का ठेका क्यों दिया गया 2005 में, किसने दिया ठेका, किसके कहने पर दिया ठेका, क्या वहा पर पहले से ही तेल के कुऊ का पता लगाकर वह स्थान इसे दे दिया गया जैसे की बहुत बार खबरों में अन्य संदर्भो में आती है, यह खबर क्यों छुपाई गयी अब तक, इसे देश को क्यों नहीं बताया गया, मिडिया क्यों इसे छुपा गई, और विपक्ष ने इसे मुद्दा क्यों नहीं बनाया
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सरकार ने पहले कहा की बाबा बकवास कर रहे है, काला धन नाम की कोई चीज नहीं है,
फिर खबर आयी की काला धन है और सबसे ज्यादा भारतीयों का है, यह स्विस बैंको के आलावा 70 और दुसरे देसों में जमा है,
सरकार ने कहा की टैक्स चोरी का मामला है, हम उन देशो से समझौते कर रहे है, जिससे की दोहरा कर न देना पड़े,
यह टैक्स चोरी नहीं भारत देशको लूट डालने का मामला है जिसकी सजा किसान से पूंछो तो सिर्फ मौत देना चाहता है वह भी सब कुछ वसूल लेने के बाद.
फिर बात आई की यदि ये भ्रष्टाचारी और लुटेरे इसमे से 15% टैक्स सरकार को दे तो इसे भारत के बैंको में जमा करने दिया जायेगा और किसी को यह हक़ नहीं होगा की वह पूछे की या इतना पैसा कैसे कमाया या लूटा. सरकार इस पर एक कानून ला रही है, क्यों? किसको बचाया जा रहा है? जिसने भी यह गद्दारी की है उसे तो भीड़ ही मार डालेगी
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इन्ही लोगो की वजह से भारत में इतनी महागायी है की लोग शादी खर्च से बचने के लिए बेटियों की जान ले ले रहे है, किसान आत्महत्या कर रहा ई, गरीब दवा नहीं करा रहा है, बच्चे स्कुल नहीं जा रहे है, इन्हें तो किसी कीमत पर नहीं छोड़ा जा सकता है, ये यूरिया घोटाला करते है और यूरिया किसान को दुगुने दाम बचा जाता है, फिर गेहू सस्ते में खरीदा जाता है, और अब तो घोटाला 115% हो जायेगा, 115 चुराओ, 15 सरकार को देकर 100 खुद रख लो
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हमारे देश में क्यों अनुसन्धान के लिए पर्याप्त पैसा नहीं दिया जाता है, यह कीसकी चाल है, जिसकी वजह से हम 5-10 गुना दाम में विदेशी चीजे खरीदते है
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ऐसे कौन से कारण है जिनके कारन हम नेहरू के द्वारा ट्रांसफर अफ पॉवर अग्रीमेंट 14 अगस्त 1947 को दस्तखत करने के बाद भी आज तक विक्सित नहीं बन पाए, जब की हमारी जनता हफ्ते में 90 घंटा काम करती है जबकि कामचोर अंग्रेज हफ्ते में सिर्फ 30 घंटा काम करते है
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क्या कारण है की हमारे 45 रुपये में 1 डालर और 90 रुपये में 1 पौंड मिलाता है, जब की 1947 में 1 रुपये में 1 डालर मिलता था.
क्या कारण है की हमारे देश में एक भी सोलर ऊर्जा वैज्ञानिक नहीं है और दुनिया भर के परमाणु वैज्ञानिक है जो हमें हमेशा झूठा अश्वाव्हन देते है की यह परमाणु बिजली सस्ती और निरापद है भारत की परमाणु से सम्बंधित कुल बाजार 750 लाख करोड़ का होगा. जब की हम भारत में 400000 मेगावाट सोलर बिजली बना सकते है
हम अभी तक सुरक्षित अन्ना भण्डारण की व्यवस्था क्यों नहीं बना पाए जब की हमारे पास धन की कमी ही नहीं है, क्योकि अन्न को सडा दिखाकर उसे कौड़ियो के भाव शराब माफिया को बचा जाता है जब की गरीब अन्ना बिना मर रहा है, इसके लिए तो कोई एक व्यक्ति जिम्मेदार होगा, उसकी सजा क्या है
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मीडिया को निष्पक्ष बनाने के लिए सरकार क्या कदम उठा रही है, सभी भारतीयों को पता चल गया है की मिडिया , टीवी और पत्रिकाए सरकार को बिक चुकी है, बड़े शर्म की बात है, शाम को सिर्फ 4 रोटी खाने के लिए भारत माता से गद्दारी क्यों?
अगर देश में 2 लाख करोड़ रुपये की नकदी सर्कुलेशन में है तो देश की अर्थव्यवस्था करीब 100 लाख करोड़ रुपयों की होती है. और हमारे देश में रिजर्व बैंक अबतक लगभग 18 लाख करोड़ रुपयों के नोट छाप चुका है और कमसे कम 10 लाख करोड़ रुपये सर्कुलेशन में है. इस हिसाब से देश की अर्थव्यवस्था करीब 400 से 500 लाख करोड़ रुपये होनी चाहिए लेकिन अभी हमारी अर्थव्यवस्था केवल 60 लाख करोड़ की है. जबकि इतनी अर्थव्यवस्था के लिए दो लाख करोड़ से भी कम सर्कुलेशन मनी की जरूरत है
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अगर 400 लाख करोड़ रूपये का काला धन देश में वापिस आ जाता है तो देश की अर्थव्यवस्था करीब 20,000 लाख करोड़ रुपये होगी … क्या आप जानते हैं कि इस समय अमेरिका सबसे शक्तिशाली देश है और उसकी अर्थव्यवस्था करीब 650 लाख करोड़ की है… मतलब 400 लाख करोड़ रुपये वापिस मिलने पर हम अमरीका से भी 30 गुना ज्यादा शक्तिशाली बन सकते है
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दोस्तों, स्वामी जी की टीम निरक्षरों की नहीं बल्कि बहुत पढ़ी लिखी, ज्ञानी, दानी, समर्पित, इमानदार और राष्ट्रप्रेमी टीम है, इसमे ज्यादातर इंजिनियर और आई टी के लोग जुड़े है, इनमे कई लोग ऐसे भी हैं जो करोड़ों रुपयों की नौकरी और कारोबार छोड़कर केवल देश के लिए स्वामी जी के साथ जुड़े हैं.

हमने तो दिलों को जीता है

जब ज़ीरो दिया मेरे भारत ने, दुनिया को तब गिनती आई,
तारों की भाषा भारत ने, दुनिया को पहले सिखलाई,

देता ना दशमलव भारत तो, यूँ चाँद पे जाना मुश्किल था,
धरती और चाँद की दूरी का, अंदाज़ लगाना मुश्किल था,

सभ्यता जहाँ पहले आई, पहले जनमी है जहाँ पे कला,
अपना भारत वो भारत है, जिसके पीछे संसार चला,
संसार चला और आगे बढ़ा, ज्यूँ आगे बढ़ा, बढ़ता ही गया,
भगवान करे ये और बढ़े, बढ़ता ही रहे और फूले-फले,

है प्रीत जहाँ की रीत सदा, मैं गीत वहाँ के गाता हूँ,
भारत का रहने वाला हूँ, भारत की बात सुनाता हूँ,

काले-गोरे का भेद नहीं, हर दिल से हमारा नाता है,
कुछ और न आता हो हमको, हमें प्यार निभाना आता है,
जिसे मान चुकी सारी दुनिया, मैं बात वही दोहराता हूँ,
भारत का रहने वाला हूँ, भारत की बात सुनाता हूँ,

जीते हो किसी ने देश तो क्या, हमने तो दिलों को जीता है,
जहाँ राम अभी तक है नर में, नारी में अभी तक सीता है,
इतने पावन हैं लोग जहाँ, मैं नित-नित शीश झुकाता हूँ,
भारत का रहने वाला हूँ, भारत की बात सुनाता हूँ,

इतनी ममता नदियों को भी, जहाँ माता कहके बुलाते है,
इतना आदर इन्सान तो क्या, पत्थर भी पूजे जातें है,
उस धरती पे मैंने जन्म लिया, ये सोच के मैं इतराता हूँ,
भारत का रहने वाला हूँ, भारत की बात सुनाता हूँ॥

॥ जय हिन्द ॥ जय जय माँ भारती ॥ वन्दे मातरम् ॥

जीवन का आदर्श जहॉं पर परमेश्वर का धाम है॥

चंदन है इस देश की माटी तपोभूमि हर ग्राम है,
हर बाला देवी की प्रतिमा बच्चा बच्चा राम है,
हर शरीर मंदिर सा पावन हर मानव उपकारी है,
जहॉं सिंह बन गये खिलौने गाय जहॉं मॉं प्यारी है,
जहॉं सवेरा शंख बजाता लोरी गाती शाम है।

जहॉं कर्म से भाग्य बदलता श्रम निष्ठा कल्याणी है,
त्याग और तप की गाथाऍं गाती कवि की वाणी है,
ज्ञान जहॉं का गंगाजल सा निर्मल है अविराम है।

जिस के सैनिक समरभूमि मे गाया करते गीता है,
जहॉं खेत मे हल के नीचे खेला करती सीता है,
जीवन का आदर्श जहॉं पर परमेश्वर का धाम है॥
~पूर्णिमा मिश्रा जी

॥ जय हिन्द ॥ जय जय माँ भारती ॥ वन्दे मातरम् ॥

प्यार का एक निशां, वही है मेरा हिन्दुस्तां।

जहाँ हर चीज है प्यारी, सभी चाहत के पुजारी,
प्यारी जिसकी ज़बां, वही है मेरा हिन्दुस्तां।

जहाँ ग़ालिब की ग़ज़ल है, वो प्यारा ताज महल है,
प्यार का एक निशां, वही है मेरा हिन्दुस्तां।

जहाँ फूलों का बिस्तर है, जहाँ अम्बर की चादर है,
नजर तक फैला सागर है, सुहाना हर इक मंजर है,
वो झरने और हवाएँ, सभी मिल जुल कर गायें,
प्यार का गीत जहां, वही है मेरा हिन्दुस्तां।

जहां सूरज की थाली है, जहां चंदा की प्याली है,
फिजा भी क्या दिलवाली है, कभी होली तो दिवाली है,
वो बिंदिया चुनरी पायल, वो साडी मेहंदी काजल,
रंगीला है समां, वही है मेरा हिन्दुस्तां।

कही पे नदियाँ बलखाएं, कहीं पे पंछी इतरायें,
बसंती झूले लहराएं, जहां अनगिनत हैं भाषाएं,
सुबह जैसे ही चमकी, बजी मंदिर में घंटी,
और मस्जिद में अजां, वही है मेरा हिन्दुस्तां।

कहीं गलियों में भंगड़ा है, कही ठेले में रगडा है,
हजारों किस्में आमों की, ये चौसा तो वो लंगडा है,
लो फिर स्वतंत्र दिवस आया, तिरंगा सबने लहराया,
लेकर फिरे यहाँ-वहां, वहीँ है मेरा हिन्दुस्तां।
~चंचल भारद्वाज जी

ॐ ॥ जय हिन्द ॥ जय जय माँ भारती ॥ वन्दे मातरम् ॥ ॐ

गरीबी को मिटाने की ये बाते सिर्फ बाते हैं

गरीबी को मिटाने की ये बाते सिर्फ बाते हैं,
जो खुद पैसों के भूखे है, वो क्या गरीबी मिटायेगें,
गरीबो का लहू तो इनकी गाड़ियो का डीजल है,
गरीबी मिट गई तो, ये क्या रिक्शा चलायेगें।
नदी के घाट पर भी अगर नेता लोग बस जाए,
तो प्यासे लोग एक-एक बूंद पानी को तरस जाए,
गनीमत है मौसम पर नेताओं की हकूमत चल नहीं सकती,
नहीं तो सारे बादल इन कमीने नेताओ के खेतो में बरस जाये।

॥ वन्दे मातरम् ॥
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" 1945 में "विन्सटन चर्चिल" ने 'ब्रिटिश पार्लियामेंट' में कहा था की भारत आज़ाद होने लायक देश नही है क्यूंकी अगर हम भारत को आज़ादी देंगे तो भी ये लोग सालों तक मानसिक गुलाम रहेंगे। ये लोग मानसिकता में अंग्रेज़ हो चुके हैं सिर्फ शरीर से दिखने में भारतीय हैं, इनकी आत्मा भी अंग्रेज़ियत वाली हो चुकी है इसलिए ये लोग बार बार अपने ही देश और लोगों का अपमान कराएंगे।"

ये जो मानसिक गुलामी है अपने बारे में गलत सोचने की, अपने को उल्टा/छोटा मानने की, हमारी काबिलियत नही है, दुनिया हमसे बहुत आगे निकाल गयी है, हम टेक्नालजी में बहुत पिछड़े हैं......ये एक तरह की भावना है, जिसको "Inferiority Complex" कहा जाता है।

हमारे महान क्रांतिकारियों ने हमें "अंग्रेजों और गुलामी" से आज़ादी दिलाई, अब हमें खुद को जल्दी से जल्दी "अंग्रेज़ियत और मानसिक गुलामी" से आज़ाद करना चाहिए।

॥ वन्दे मातरम् ॥

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ये जितने घाव हैं सीने पे सब फूलों के गुच्छे हैं,
हमें पागल ही रहने दे हम पागल ही अच्छे हैं।

......ये पंक्तियाँ 'राम प्रसाद बिस्मिल जी' द्वारा कही गयी थीं।

॥ वन्दे मातरम् ॥
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विश्व के सबसे प्राचीन देश:
* भारतवर्ष : 8.5 करोड़ वर्ष पुराना
* इटली (रोम) : 4500 वर्ष पुराना
* जर्मनी : 3000 वर्ष पुराना
* फ़्रांस : 2500 वर्ष पुराना
* ब्रिटेन : 2000 वर्ष पुराना
* यूएसए (अमेरिका) : 250 वर्ष पुराना।
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जीवन की सच्चाई:
जब व्यक्ति की मृत्यु हो जाती है तो उसको जलाने के बाद वो मात्र '20 ग्राम मिट्टी' में बदल जाता है और उस मिट्टी में 8 रुपये का कैल्सियम, 2-2.5 रुपये का फास्फोरस और 10-11 रुपये के अन्य माइक्रो न्यूटरिएण्ट्स होते हैं मतलब मरने के बाद आदमी की 'कीमत 20 रुपये' से ज्यादा नहीं है। इसलिए विलासिता को छोडकर अपना राष्ट्रधर्म निभाएँ जिससे जिस मिट्टी में पैदा हुए हैं, शायद उसका थोड़ा सा भी कर्ज़ चुका सकें।

॥ वन्दे मातरम् ॥
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एक आदमी एक दिन में इतनी ऑक्सीजन लेता है, जितने में 3 ऑक्सीजन के सिलेंडर भरे जा सकते हैं। एक ऑक्सीजन सिलेंडर की कीमत होती है रु.700 इस तरह हम देखते हैं कि एक आदमी एक दिन में रु.2100 की ऑक्सीजन लेता है और 1 साल में रु.7,66500 कि और अपने पूरे जीवन (अगर आदमी कि उम्र 65 साल हो) में लगभग रु. 5 करोड़ का ऑक्सीजन लेता है जो कि पेड़-पौधों द्वारा हमें फ्री में मिलती है और हम उन्ही पेड़ पौधों को समाप्त कर रहे है।

अब भी समय है, दोस्तों संभल जाओ, अधिक से अधिक पौधेरोपित करो और प्राण वायु मुफ्त पाओ।
॥ वन्दे मातरम् ॥
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कटते भी चलो, बढ़ते भी चलो, बाजू भी बहुत हैं, सर भी बहुत

ऐ खाकनशीनों उठ बैठो, वह वक्त करीब आ पहुंचा है,
जब तख्त गिराए जाएंगे, जब ताज उछाले जाएंगे।

अब टूट गिरेंगी जंजीरें, अब जिंदानों की खैर नहीं,
जो दरिया झूम के उट्ठे हैं, तिनकों से न टाले जाएंगे।

दरबार-ए-वतन में जब इक दिन सब जाने वाले जाएंगे,
कुछ अपनी सजा को पहुंचेंगे, कुछ अपनी सजा ले जाएंगे।

ऐ जुल्म के मारों लब खोलो, चुप रहने वालों चुप कब तक,
कुछ हश्र तो इनसे उट्ठेगा, कुछ दूर तो नाले जाएंगे।

दरबार-ए-वतन में जब इक दिन सब जाने वाले जाएंगे,
कुछ अपनी सजा को पहुंचेंगे, कुछ अपनी सजा ले जाएंगे।

कटते भी चलो, बढ़ते भी चलो, बाजू भी बहुत हैं,सर भी बहुत,
चलते भी चलो कि अब डेरे, मंजिल पे ही डाले जाएंगे।

~ Kanwrajsingh Rathore

मेरी माँ गुम हो गयी है

कल रास्‍ते मे मुझे मिला एक आदमी हट्टा - कट्टा नौजवान लेकिन चेहरे से परेशान।
घबराया हुआ सहमा हुआ मिट्टी में कुछ टटोल रहा था, इधर- उधर डोल रहा था,
मन ही मन कुछ बोल रहा था।
मैंने पूछा - कुछ गुम हो गया क्‍या ?
हाँ , बहुत ही कीमती चीज।
रूपया पैसा?
नहीं, उससे भी कीमती चीज
सोना चांदी ?
नहीं, उससे भी कीमती चीज
हीरे मोती ?
नहीं, उससे भी कीमती चीज !
यह कीमती चीज क्‍या हो सकती है सोच-सोच कर मैं हैरान थी,
और खोज- खोज कर वह परेशान था।
मैने कहा – कुछ तो बतलाओ, पहेलियां मत बुझाओ।
वह बोला - कैसे बतलाऊं ?
मेरी तो जुबान ही सुन्‍न हो गई है क्‍योंकि मेरे ही घर से मेरी मां गुम हो गई है।
'मां' का नाम सुनते ही मैं स्‍तब्‍ध रह गई।
मूर्ति की भांति वहीं जमीन में गढ़ी रह गई।
सचमुच मां तो बहुत ही अमूल्‍य है, इसका न कोई तुल्‍य है।
मैने पूछा- अब घर में और कौन कौन हैं ?
वह बोला - मेरी सौतेली मां और स्‍वार्थी बहन-भाई।
मेरे ही घर में इन्‍होंने विदेशी औरत को जगह दिलाई।
इतना ही नहीं - मेरी बूढ़ी मां की खिल्‍ली भी उड़ाई ।
उसे तो बडों का आदर सम्‍मान ही नहीं छोटों को भी you (तुम) और बडों को भी you (तुम) कहती है।
मामा हो या चाचा, मौसी हो या बुआ, सभी को अंकल-आंटी कहती है।
मेरी मां तो बहुत तहजीब वाली है, उसकी तो हर बात निराली है।
छोटों को भी आप, बड़ों को भी आप कहती है।
धनवान हो या फकीर, सबके साथ मिलजुल कर रहती है।
मैने कहा अच्‍छा अब यह तो बताओ तुम्‍हारी मां दिखने में कैसी है ?
उसका नाम क्‍या है ? और उसकी पहचान क्‍या है ?
वह बोला मेरी मां भले ही बूढ़ी है, लेकिन अभी भी खूबसूरत है,
हिंदुस्तान को उसकी बहुत ही जरूरत है, उसके माथे पे गोल बिन्‍दी है।
वह हम सबकी राष्‍ट्रभाषा है और उसका नाम हिन्‍दी है।

(लक्षविन्‍दर जी की एक कविता)
~ Janmejai Pratap Singh

॥ जय हिन्द ॥ जय जय माँ भारती ॥ वन्दे मातरम् ॥

स्वामी जी मैं आपसे शादी करना चाहती हूँ

एक बार जब स्वामी विवेकानंद जी अमेरिका गए थे, एक महिला ने उनसे शादी करने की इच्छा जताई। जब स्वामी विवेकानंद ने उस महिला से ये पुछा कि आप ने ऐसा प्रश्न क्यूँ किया ?
उस महिला का उत्तर था कि वो उनकी बुद्धि से बहुत मोहित है और उसे एक ऐसे ही बुद्धिमान बच्चे कि कामना है।
इसीलिए उसने स्वामी से ये प्रश्न कि क्या वो उससे शादी कर सकते है और उसे अपने जैसा एक बच्चा दे सकते हैं ?

उन्होंने महिला से कहा कि चूँकि वो सिर्फ उनकी बुद्धि पर मोहित हैं इसलिए कोई समस्या नहीं है। उन्होंने कहा:

“ प्रिये महिला, मैं आपकी इच्छा को समझता हूँ। शादी करना और इस दुनिया में एक बच्चा लाना और फिर जानना कि वो बुद्धिमान है कि नहीं, इसमें बहुत समय लगेगा, इसके अलावा ऐसा हो इसकी गारंटी भी नहीं है। इसके बजाय, आपकी इच्छा को तुरंत पूरा करने हेतु मैं आपको एक सुझाव दे सकता हूँ।

आप मुझे अपने बच्चे के रूप में स्वीकार कर लें। इस प्रकार आप मेरी माँ बन जाएँगी और इस प्रकार मेरे जैसे बुद्धिमान बच्चा पाने की आपकी इच्छा भी पूर्ण हो जाएगी।“  

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एक बार एक अंग्रेज़ ने स्वामी विवेकानंद जी से कहा आप अच्छे कपड़े क्यूँ नही पहनते जिससे आप 'जैंट्लमैन' दिखें।
स्वामी विवेकानंद : आपकी संस्कृति में कपड़े व्यक्ति को 'जैंट्लमैन' बनाते है लेकिन भारत की संस्कृति में "चरित्र" से 'जैंट्लमैन' बनते हैं।
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" आज हमारे देश की आवश्यकता है लोहे की मांसपेशियाँ और फौलाद के स्नायु तंत्र, ऐसी प्रचण्ड इच्छाशक्ति जिसे कोई न रोक सके, जो समस्त विश्व के रहस्यों की गहराई में जाकर अपने उद्देश्यों को सभी प्रकार से प्राप्त कर सके। इस हेतु समुद्र के तल तक क्यों न जाना पड़े या मृत्यु का ही सामना क्यों न करना पड़े।" ---- स्वामी विवेकानन्द

क्या आपको इन प्रश्नों का ठीक से उत्तर मालूम है ---

यदि नहीं तो पता कीजिये, रहस्य ही शक्ति है जो दुश्मन को गुमराह करके रखता है। देश के जड़ जमाये दुश्मन भी यही कर रहे है, कोई रहस्य जनता को नहीं बताते है और फर्जी इतिहास लिख डालते है, ज़रा इन प्रश्नों के बारे में सोचे और दूसरो से पूछे:-

१- राजीव गाँधी के दादा जी का क्या नाम था, और वह क्या करते थे ?

२- इंदिरा गाँधी का धर्म क्या था ?

३- राहुल गाँधी का असली नाम क्या है और इनका धर्म क्या है ?

४- सोनिया की असली जन्म तिथि क्या है ?

५- राहुल ने एम् ए कब किया, एम्-फिल किस साल में किया और कितने विषय में फेल है ?

६- सोनिया गाँधी का असली नाम क्या है और इनका धर्म क्या है ?

७- विरोनिका किसकी गर्ल फ्रेंड है ?

८- नेहरू जी के दादा जी का क्या नाम है और वह क्या काम करते थे और उनके पिताजी कौन थे ?

९- सोनिया कितनी पढ़ी हैं और उनको प्रधान मंत्री बनाने से किसने रोका, और क्यों ?

१०- अफगानिस्तान में बाबर की मजार पर भारत का कौन प्रधानमंत्री बिना पूर्व निर्धारित कार्यक्रम के गुपचुप गया था ?

११- भारत किस प्रधानमंत्री को सऊदी अरब की सरकार ने हज यात्रा के लिए निमंत्रित किया था और उसका कारन क्या था ?

१२- नेहरू जी किस बीमारी से मरे थे ?

१३- "लिव इन रिलेशन" कानून क्या है, इसे किसके लिए बनाया गया था जब की इसकी मांग कोई नहीं किया था ?

१४- भारत में 2005 में इटली और स्विस के कितने कितने बैंक गुपचुप खोले गए ?

१५- क्वात्रोची को किसने छुड़वाया था ? उसके बेटे की कंपनी भारत में क्या करती है ?

१६- किस प्रधानमंत्री के स्विस बैंक खाते में सबसे ज्यादा पैसा जमा है ?

१७- मृत्यु के समय राजीव गाँधी का धर्म क्या था ?

१८- राबर्ट बढेरा के परिवार में अब कौन कौन बचे है और उनका धर्म क्या है ?

१९- भारत के हवाई अड्डो पर राबर्ट बढेरा के सामान की तलाशी क्यों नहीं ली जाती है ?

२०- रूस की ख़ुफ़िया अजेंची के.जी.बी. ने किस भारतीय प्रधानमंत्री को पैसा देना स्वीकार किया है ?

२१- सोनिया ने इटली की नागरिकता किस साल में छोड़ी ? छोड़ी या नहीं ?

२२- भारत की किस सांसद के पास दो दो पासपोर्ट है और किस देश के ?

२३- भारत के किस सुरक्षा सलाहकार की बेटी इटली में ब्याही है ?

24- सोनिया गाँधी की बहन सीबीआई के वांटेड लिस्ट मे थी उसका नाम क्यों हटा दिया गया ?

२५- इंदिरा गाँधी और राजीव गाँधी के समय दूसरे देशो मे भारत महोत्सव और भारतीय प्रदर्शनी के नाम पर एंटीक और बहुमूल्य चीजे भेजी जाती थी वो कभी वापस नहीं आयी...अभी ताजा मामला भारत के प्रथम राष्ट्रपति राजेन्द्र प्रसाद जी को अमेरिका के तत्कालीन प्रेसिडेंट ने रोलेक्स घड़ी भेंट की थी, जो १९८७ को इटली के मिलान शहर मे प्रदर्शित करने के नाम पर भेजी गयी थी...उसको नीलाम करने के लिए जेनेवा मे क्रिस्टी ने निविदा मांगी है।

यदि आप भारत के नागरिक है तो आपको हक़ है की आप इन प्रश्नों का उत्तर जाने ?
दोस्तों की जानकारी बढ़ने के लिए इसे अग्रेषित करे....!!

~ जितेंद्र प्रताप सिंह

** एक भारतीय सियाचिन सैनिक का अपनी मरी हुई माँ को लिखा हुआ खत :::

प्रणाम माँ, "माँ" बचपन में मैं जब भी रोते रोते सो जाया करता था तो तू चुपके से मेरे सिरहाने
खिलोने रख दिया करती थी और कहती थी की ऊपर से एक परी ने आके रखा है और कह गई है की अगर मैं फिर कभी रोया तो खिलोने नहीं देगी ! लेकिन इस मरते हुए देश का सैनिक बनके रो तो मैं
आज भी रहा हूँ पर अब ना तू आती है और ना तेरी परी !
परी क्या....... यहाँ ढाई हजार मीटर ऊपर तो परिंदा भी नहीं मिलता !

मात्र 14 हज़ार के लिए मुझे कड़े अनुशासन में रखा जाता है, लेकिन वो अनुशासन ना इन भ्रष्ट नेताओं के लिए है और ना इन मनमौजी देशवासियों !
रात भर जगते तो हम भी है लेकिन अपनी देश के सुरक्षा के लिए लेकिन वो जगते है "लेट
नाईट पार्टी" लिए !
इस -12 डिग्री में आग जला के अपने को गरम करते है लेकिन हमारे देश के नेता हमारे ही पोशाको, कवच, बन्दूको, गोलियों और जहाजों में घोटाले करके अपनी जेबे गरम करते है !

आतंकियों से मुठभेड़ में मरे हुए सैनिको की संख्या को न्यूज़ चैनल नहीं दिखाया जाता लेकिन सचिन के शतक से पहले आउट हो जाने को देश के राष्ट्रीय शोक की तरह दर्शाया जाता है !
हर चार-पांच सालो ने हमे एक जगह से दूसरे जगह उठा के फेंक दिया जाता है लेकिन यह
नेता लाख चोरी करले बार बार उसी विधानसभा - संसद में पहुंचा दिए जाते हैं !

मैं किसी आतंकी को मार दूँ तो पूरी राजनितिक पार्टियां वोट के लिए उसे बेकसूर बना के मुझे कसूरवार बनाने में लग जाती है लेकिन वो आये दिन अपने अपने भ्रष्टाचारो से देश को आये दिन मारते है, कितने ही लोग भूखे मरते है, कितने ही किसान आत्महत्या करते है, कितने ही बच्चे कुपोषण का शिकार होते है लेकिन उसके लिए इन नेताओं को जिम्मेवार नहीं ठहराया जाता?

नीचे अल्पसंख्यको के नाम पर आरक्षण बांटा जा रहा है लेकिन आज तक मरे हुए शहीद सैनिको की संख्या के आधार पर कभी किसी वर्ग को आरक्षण नहीं दिया गया?

मैं दुखी हूँ इस मरे हुए संवेदनहीन देश का सैनिक बनके ! यह हमें केवल याद करते है 26 जनवरी को और 15 अगस्त को ! बाकी दिन तो इनको शाहरुख़, सलमान, सचिन, युवराज की फ़िक्र रहती है!

हमारी स्थिति ठीक वैसे ही पागल किसान की तरह है जो अपने मरे हुए बेल पर भी कम्बल डाल के खुद ठंड में ठिठुरता रहता है !
मैंने गलती की इस देश का रक्षक बनके ! तू भगवान् के ज्यादा करीब है तो उनसे कह देना की अगले जनम मुझे अगर इस देश में पैदा करे तो सैनिक ना बनाएँ और अगर सैनिक बनाएँ तो इस देश में पैदा ना करे !

यहाँ केवल परिवारवाद चलता है, अभिनेता का बेटा जबरदस्ती अभिनेता बनता है और नेता का बेटा जबरदस्ती नेता !

प्रणाम-
लखन सिंह (मरे हुए देश का जिन्दा सैनिक) !
भारतीय सैनिक, सियाचिन

जय हिन्द !!

कट्टरपंथियों के आगे झुकी कॉंग्रेस, क्या भारत वाकई एक सेकुलर देश है ???

सलमान रुश्दी की सटैनिक वर्सेस 1988 में प्रकाशित हुई थी। 1989 में उसे लेकर ईरानी राष्ट्रपति अयातुल्ला खुमैनी ने रुश्दी को मार डालने का फतवा दिया। इसके बाद नौ वर्ष तक ब्रिटिश सरकार ने रुश्दी को सुरक्षा में रखा। 1998 में ईरान की नई सरकार ने घोषणा की कि वह उस फतवे का अब समर्थन नहीं करती। धीरे-धीरे रुश्दी सार्वजनिक जीवन में भाग लेने लगे। अब तो लंबे समय से दुनिया के मुस्लिम जनमत ने भी उसे बीती बात मान लिया है। ऐसी स्थिति में नए सिरे से सलमान रुश्दी को जयपुर के अंतरराष्ट्रीय साहित्य सम्मेलन में भाग लेने से रोकने की "दारुल उलूम" की मांग कुछ विचित्र है। रुश्दी ने कोई नया अपराध नहीं किया है। 23 वर्ष पूर्व लिखी उस पुस्तक पर वह पहले ही लगभग दस वर्ष तक कैदी-सा जीवन बिता चुके हैं। अब जब उस प्रसंग को सभी पक्ष अलग-अलग कारणों से अतीत मान चुके हैं, तब यहां उलेमा द्वारा उसे उभारने का क्या अर्थ ????

पिछले 12 सालों में रुश्दी कई बार भारत आए-गए हैं। उन्होंने विविध मुद्दों पर लेख भी लिखे तथा उनके बयान भी आते रहे हैं। इनमें इस्लाम संबंधी बयान भी है।
उन्होंने लिखा कि:
"इस्लाम और आतंकवाद को पूरी तरह अलग-अलग करके देखने की जिद निरर्थक है। आखिर कोई चीज तो है जो इस्लामी अनुयायियों को आतंकवाद से जोड़ती है। वह क्या है??"

मुस्लिम वोटों के ठेकेदार यह समझते हैं कि अभी उनका बाजार भाव बढ़ा हुआ है। तो क्यों न अपनी शक्ति बढ़ाने की कोई जुगत भिड़ाई जाए। रुश्दी को वीजा न देने की मांग करने वाले को इतनी भी समझ नहीं कि भारत में जन्मे और इसी मूल के होने के कारण रुश्दी को वीजा लेने की जरूरत ही नहीं।
दिल्ली के एक इमाम साहब लंबे समय तक कांग्रेस नेता 'सलमान खुर्शीद' को वह 'सलमान' समझते रहे जिसने सटैनिक वर्सेस लिखी ! ऐसे ही मुस्लिम नेताओं के दबाव पर हमारे कर्णधार मुंह चुरा कर उनकी ताकत और बढ़ाते हैं। रुश्दी के बहाने कुछ मुस्लिम नेता अपनी ताकत बढ़ाने में सफल होते दिख रहे हैं। उन्हें मालूम था कि इस चुनावी समय में उनका विरोध करने वाला कोई नहीं। उलटे सभी उन्हें खुश करने में लगे हैं।

कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता ने पहले ही संकेत दे दिया था कि सुरक्षा कारणों से रुश्दी को जयपुर जाने से मना किया जा सकता है। यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि जिन मामलों पर कट्टरपंथियों को आसानी से फटकारा जा सकता था, वहां भी उनके सामने झुक कर हमारे नेता देश की मिट्टी पलीद करते हैं। अभी सरलता से कहा जा सकता था कि रुश्दी प्रसंग एक पीढ़ी से भी पुरानी बात हो चुकी।
अरब विश्व में भी अब उसकी कोई बात नहीं करता। तब उसे उठाकर पुन: सांप्रदायिक वातावरण को बिगाड़ने का प्रयास नहीं होना चाहिए। किंतु ऐसे सरल मामलों में भी हमारे नेता घुटने टेक देते हैं। यह देश की सामाजिक एकता को चोट पहुंचाता है।

इसमें सबसे दुखद भूमिका हमारे बुद्धिजीवियों की है। जो लोग "हुसैन की गंदी पेंटिंगों", "दीपा मेहता की अश्लील फिल्मों", "जिस-तिस की हिंदू-विरोधी टिप्पणियों, लेखों" आदि के पक्ष में सदैव तत्परता से बयान जारी करते हैं- वे सब सलमान रुश्दी पर मौन साधे बैठे हैं ! यह प्रकरण फिर दिखाता है कि मुस्लिम कट्टरता पर बोलने से सभी कतराते हैं। यह सोची-समझी चुप्पी पहली बार नहीं देखी गई। इसके पीछे एक सुनिश्चित पैटर्न है।

पहले भी तस्लीमा नसरीन, अय्यान हिरसी अली, सलमान तासीर, सुब्रह्ममण्यम स्वामी आदि की अभिव्यक्ति स्वतंत्रता के लिए किसी सेक्युलर-लिबरल की आवाज सुनाई नहीं पड़ी। 22 वर्ष पहले भी केवल एक मुस्लिम नेता की मांग पर रुश्दी की पुस्तक किसी मुस्लिम देश से भी पहले यहां प्रतिबंधित हो गई। उसके लिए नियम-कायदों को भी ताक पर रख दिया गया। तब भी हमारे बुद्धिजीवी मौन थे। इसलिए हमें अपने बुद्धिजीवियों का दोहरापन पहचान लेना चाहिए। वे इस्लामी कट्टरवादियों के आगे अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता तुरत भुला देते हैं। रुश्दी, तसलीमा, हुसैन, रामानुजन आदि विविध प्रसंगों पर उनका रुख यह देख कर तय होता है कि किस समुदाय की भावना भड़की है ?

सेकुलरिस्म का पाठ पढ़ाने वाली काँग्रेस सिर्फ मुस्लिम वोट के लिए सांप्रदायिक ताकतों को बढ़ावा दे रही है।

अब कोई ये मत कहना की काँग्रेस ने इसमे क्या गलत किया या हम बीजेपी वाले है।
पहले पढ़ो और विचार करो। क्या ये सही है ??? या तो "सेकुलर" रहो या "सांप्रदायिक" लेकिन काँग्रेस हमेशा बीच वाली स्थिति में रहती है।

॥ जय हिन्द ॥ जय जय माँ भारती ॥ वन्दे मातरम् ॥

"राष्ट्रीय मतदाता", पढ़ें और शेयर करें

युवा मतदाताओं को जिम्मेदार नागरिक का बोध कराने और राजनीतिक प्रक्रिया में भाग लेने पर गर्व का अनुभव करने के लिये सरकार ने ‘‘राष्ट्रीय मतदाता दिवस" के रूप में विशेष अभियान शुरु किया है, जिसे हर साल 25 जनवरी को मनाया जायेगा। देशभर में द्वितीय राष्ट्रीय मतदाता दिवस 25 जनवरी को मनाया जाएगा। समारोह में भारत निर्वाचन आयोग का बैज "मतदाता होने का गर्व है-मतदान के लिए तैयार" का भी वितरण किया जाएगा।

* सब उम्मीदवार भ्रष्ट हैं और इस लिए मैं वोट नहीं दूंगा/दूँगी, अगर आप ऐसा सोचते हैं तो आप एक बार फिर इन भ्रष्ट व्यक्तियों की मदद कर रहे हैं सत्तासीन होने में।

* नकारात्मक मतदान:

अब यह है हमारा हथियार -
आईये इस के बारे में जाने -कि कैसे आप अपने गुस्से को दर्ज करवा सकते हैं और इन चुनावों कि तस्वीर भी बदल सकते हैं।

1969 कानून की धारा "49-0" के अनुसार, आप मतदान केंद्र पर जा कर अपनी पहचान की पुष्टि करा कर, अपनी ऊँगली को चिन्हित कराकर, पीठासीन चुनाव अधिकारी को बता सकते है कि आप किसी को भी वोट नहीं देना चाहते हैं।

जी हाँ, ऐसी सुविधा उपलब्ध है परन्तु इन नेताओं ने इसे कभी ज़ाहिर नहीं होने दिया है और यह सुविधा है - धारा "49-0"

** आप को वहां जा कर क्यूँ कहना है - मैं किसी को वोट देना नहीं चाहता/चाहती क्योंकि, अगर किसी वार्ड के चुनाव में, एक उम्मीदवार अगर 123 वोटो से जीतता है और उसी वार्ड में 49-0 के वोट 123 से ज़्यादा पड़ते हैं तो उस वार्ड का चुनाव रद्द माना जाएगा और वहां पुनर्मतदान होगा। यही नहीं वहां के उम्मीदवारों की उम्मीदवारी भी रद्द मानी जायेगी और वे चुनाव में फिर से खड़े नहीं हो सकते क्यूंकि लोगों ने उन के बारे में अपना रवैया स्पष्ट कर दिया ऐसा माना जाएगा।

यह राजनीतिक पार्टियों में भय पैदा करेगा और वे गलत लोगों को उम्मीदवार बनाने से परहेज़ करेंगे और अच्छे लोगों को चुनाव मैदान में उतारेंगे। इस से हमारी राजनैतिक प्रणाली में बदलाव आएगा।
यह एक आश्चर्य का विषय है की हमारे 'चुनाव आयोग' ने इस अचूक हथियार के विषय में जनता को क्यों नहीं शिक्षित किया ??

# ॥ कृपया इसे ज़्यादा से ज़्यादा लोगों के मध्य पहुंचाएं/साझा करें ॥ #

यह भारत में भ्रष्ट दलों के खिलाफ अद्भुत हथियार हो सकता है, अपनी शक्ति/ताकत दिखाईये, अपनी इच्छा को व्यक्त कीजिये कि आप किसी को भी वोट नहीं देना चाहते, यह ही आप का सब से बड़ा हथियार है, वोट देने से भी ज़यादा बड़ा हथियार।
अपने इस हथियार को प्रयोग में लाइए ........इस मौके को अपने हाथ से ना जाने दीजिये।

अब इस बार या तो सही व्यक्ति को चुनिए या फिर कोई और चारा ना हो तो, सही उम्मीदवार न हो तो, मौका हाथ से न जाने दीजिये और वोट न देने के अधिकार का उपयोग कीजिए। (49-0)

आईये एक भ्रष्टाचार मुक्त भारत के निर्माण की ओर अपने कदम बढायें....!!
वोट जरूर डालें.....!!

॥ जय हिन्द ॥ जय जय माँ भारती ॥ वन्दे मातरम् ॥

वही है मेरा हिन्दुस्तां

जहाँ हर चीज है प्यारी, सभी चाहत के पुजारी,
प्यारी जिसकी ज़बां, वही है मेरा हिन्दुस्तां।

जहाँ ग़ालिब की ग़ज़ल है, वो प्यारा ताज महल है,
प्यार का एक निशां, वही है मेरा हिन्दुस्तां।

जहाँ फूलों का बिस्तर है, जहाँ अम्बर की चादर है,
नजर तक फैला सागर है, सुहाना हर इक मंजर है,
वो झरने और हवाएँ, सभी मिल जुल कर गायें,
प्यार का गीत जहां, वही है मेरा हिन्दुस्तां।

जहां सूरज की थाली है, जहां चंदा की प्याली है,
फिजा भी क्या दिलवाली है, कभी होली तो दिवाली है,
वो बिंदिया चुनरी पायल, वो साडी मेहंदी काजल,
रंगीला है समां, वही है मेरा हिन्दुस्तां।

कही पे नदियाँ बलखाएं, कहीं पे पंछी इतरायें,
बसंती झूले लहराएं, जहां अनगिनत हैं भाषाएं,
सुबह जैसे ही चमकी, बजी मंदिर में घंटी,
और मस्जिद में अजां, वही है मेरा हिन्दुस्तां।

कहीं गलियों में भंगड़ा है, कही ठेले में रगडा है,
हजारों किस्में आमों की, ये चौसा तो वो लंगडा है,
लो फिर स्वतंत्र दिवस आया, तिरंगा सबने लहराया,
लेकर फिरे यहाँ-वहां, वहीँ है मेरा हिन्दुस्तां।
~चंचल भारद्वाज जी

ॐ ॥ जय हिन्द ॥ जय जय माँ भारती ॥ वन्दे मातरम् ॥ ॐ

हमारे संविधान में देश के दो नाम हैं - "इंडिया दैट इज भारत।"

संविधान पारित होने के दिन अध्यक्ष डॉ. राजेंद्र प्रसाद ने संविधान सभा में कहा था की मुझे खेद है कि हम स्वतंत्र भारत का अपना संविधान भारतीय भाषा में नहीं बना सके। संविधान सभा की शुरुआत में ही सेठ गोविंददास,धुलेकर ने हिंदी में संविधान बनाने की मांग की।
वी॰एन॰ राव द्वारा तैयार संविधान का पहला मसौदा अक्टूबर 1947 में आया। डॉ. अंबेडकर की अध्यक्षता वाली समिति का मसौदा फरवरी 1948 में आया। नवंबर 1948 में तीसरा प्रारूप आया। तीनों अंग्रेजी में थे। "हिंदी राजभाषा है, पर अंग्रेजी का प्रभुत्व है।"
दुनिया के सभी देशों के संविधान मातृभाषा में हैं, लेकिन भारत का अंग्रेजी में बना।
हमारे संविधान में देश के दो नाम हैं - "इंडिया दैट इज भारत।"

जम्मू-कश्मीर संबंधी अनुच्छेद 370 शीर्षक में ही अस्थायी शब्द है, लेकिन 63 बरस हो गए, वह स्थायी है।
संविधान की मूल प्रति में श्रीराम, श्रीकृष्ण सहित 23 चित्र थे। राजनीति उन्हें काल्पनिक बताती है। केंद्र द्वारा प्रकाशित संविधान की प्रतियों में वे गायब हैं। इस संविधान में अल्पसंख्यकों को विशेषाधिकार हैं, लेकिन अल्पसंख्यक की परिभाषा नहीं।

भारतीय संविधान में ब्रिटिश संसद द्वारा पारित 1935 के अधिनियम की ही ज्यादातर बाते हैं। ब्रिटिश संसद ने 1892, 1909, 1919 तक बार-बार नए अधिनियम बनाए। 1935 उनका आखिरी अधिनियम था। भारत ने 'भारत शासन अधिनियम 1935' को आधार बनाकर गलती की।
आरोपों के उत्तर में डॉ. अंबेडकर ने बताया कि उनसे इसी अधिनियम को आधार बनाने की अपेक्षा की गई है।

संविधान और गणतंत्र संकट में हैं। भारत की संसदीय व्यवस्था, प्रशासनिक तंत्र व प्रधानमंत्री ब्रिटिश व्यवस्था की उधारी है। भारत ने अपनी संस्कृति व जनगणमन की इच्छा के अनुरूप अपनी राजव्यवस्था नहीं गढ़ी। -- श्री हृदयनारायन दीक्षित

॥ जय हिन्द ॥ जय जय माँ भारती ॥ वन्दे मातरम् ॥

तुम मुझे गाय दो, मैं तुम्हे भारत दूंगा....!!

मित्रों शीर्षक पढ़कर चौंकिए मत। मैं कोई नेताजी सुभाष चन्द्र बोस जैसा नारा लगाकर उनके समकक्ष बनने का प्रयास नहीं कर रहा। उनके समकक्ष बनना तो दूर यदि उनके अभियान का योद्धा मात्र भी बन सका तो स्वयं को भाग्यशाली समझूंगा। अभी जो शीर्षक मैंने दिया, वह एक अटल सत्य है। यदि भारत निर्माण करना है तो गाय को बचाना होगा। एक भारतीय गाय ही काफी है सम्पूर्ण भारत की अर्थव्यवस्था चलाने के लिए। किसी बहुराष्ट्रीय कंपनी की आवश्यकता ही नहीं है। ये कम्पनियां भारत बनाने नहीं, भारत को लूटने आई हैं।
 
खैर अब मुद्दे पर आते हैं, मैं कह रहा था कि मुझे भारत निर्माण के लिए केवल भारतीय गाय चाहिए। यदि गायों का कत्लेआम भारत में रोक दिया जाए तो यह देश स्वत: ही उन्नति की ओर अग्रसर होने लगेगा। मैं दावे के साथ कहता हूँ कि केवल दस वर्ष का समय चाहिए। दस वर्ष पश्चात भारतीय अर्थव्यवस्था सबसे ऊपर होगी। आज की सभी तथाकथित महाशक्तियां भारत के आगे घुटने टेके खड़ी होंगी।

सबसे पहले तो हम यह जानते ही हैं कि भारत एक कृषि प्रधान देश है। कृषि ही भारत की आय का मुख्य स्त्रोत है। ऐसी अवस्था में किसान ही भारत की रीढ़ की हड्डी समझा जाना चाहिए और गाय किसान की सबसे अच्छी साथी है। गाय के बिना किसान व भारतीय कृषि अधूरी है, किन्तु वर्तमान परिस्थितियों में किसान व गाय दोनों की स्थिति हमारे भारतीय समाज में दयनीय है।

एक समय वह भी था जब भारतीय किसान कृषि के क्षेत्र में पूरे विश्व में सर्वोपरि था। इसका कारण केवल गाय है। भारतीय गाय के गोबर से बनी खाद ही कृषि के लिए सबसे उपयुक्त साधन है। गाय का गोबर किसान के लिए भगवान् द्वारा प्रदत एक वरदान है। खेती के लिए भारतीय गाय का गोबर अमृत है। इसी अमृत के कारण भारत भूमि सहस्त्रों वर्षों से सोना उगलती आ रही है। किन्तु हरित क्रान्ति के नाम पर सन 1960 से 1985 तक रासायनिक खेती द्वारा भारतीय कृषि को नष्ट कर दिया गया। हरित क्रान्ति की शुरुआत भारत की खेती को उन्नत व उत्तम बनाने के लिए की गयी थी, किन्तु इसे शुरू करने वाले आज किस निष्कर्ष तक पहुंचे होंगे ?रासायनिक खेती ने धरती की उर्वरता शक्ति को घटा कर इसे बाँझ बना दिया। साथ ही साथ इसके द्वारा प्राप्त फसलों के सेवन से शरीर न केवल कई जटिल बिमारियों की चपेट में आया बल्कि शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता भी घटी है। वहीँ दूसरी ओर गाय के गोबर से बनी खाद से हमारे देश में हज़ारों वर्षों से खेती हो रही थी। इसका परिणाम तो आप भी जानते ही होंगे। किन्तु पिछले कुछ दशकों में ही हमने अपनी भारत माँ को रासायनिक खेती द्वारा बाँझ बना डाला।

इसी प्रकार खेतों में कीटनाशक के रूप में भी गोबर व गौ मूत्र के उपयोग से उत्तम परिणाम वर्षों से प्राप्त किये जाते रहे। गाय के गोबर में गौ मूत्र, नीम, धतुरा, आक आदि के पत्तों को मिलाकर बनाए गए कीटनाशक द्वारा खेतों को किसी भी प्रकार के कीड़ों से बचाया जा सकता है। वर्षों से हमारे भारतीय किसान यही करते आए हैं। किन्तु आज का किसान तो बेचारा रासायनिक कीटनाशक का छिडकाव करते हुए स्वयं ही अपने प्राण गँवा देता है। कई बार किसान कीटनाशकों की चपेट में आकर मर जाते हैं। ज़रा सोचिये कि जब ये कीटनाशक इतने खतरनाक हैं तो पिछले कई दशकों से हमारी धरती इन्हें कैसे झेल रही होगी ? और इन कीटनाशकों से पैदा हुई फसलें जब भोजन के रूप में हमारी थाली में आती हैं तो क्या हाल करती होंगी हमारा ?

केवल चालीस करोड़ गौवंश के गोबर व मूत्र से भारत में चौरासी लाख एकड़ भूमि को उपजाऊ बनाया जा सकता है। किन्तु रासायनिक खेती के कारण आज भारत में 190 लाख किलो गोबर के लाभ से हम भारतवासी वंचित हो रहे हैं।

किसी भी खेत की जुताई करते समय चार से पांच इंच की जुताई के लिए बैलों द्वारा अधिकतम पांच होर्स पावर शक्ति की आवश्यकता होती है। किन्तु वहीँ ट्रैक्टर द्वारा इसी जुताई में 40 से 50 होर्स पावर के ट्रैक्टर की आवश्यकता होती है। अब ट्रैक्टर व बैल की कीमत के अंतर को बहुत सरलता से समझा जा सकता है। वहीँ ट्रैक्टर में काम आने वाले डीज़ल आदि का खर्चा अलग है। इसके अतिरिक्त भूमि के पोषक जीवाणू ट्रैक्टर की गर्मी से व उसके नीचे दबकर ही मर जाते हैं। इसके अलावा खेतों की सिंचाई के लिए बैलों के द्वारा चलित पम्पिंग सेट और जनरेटर से ऊर्जा की आपूर्ति भी सफलता पूर्वक हो रही है। इससे अतिरिक्त बाह्य ऊर्जा में होने वाला व्यय भी बच गया। यदि भारतीय कृषि में गौवंश का योगदान मिले तो आज भी भारत भूमि सोना उगल सकती है। सदियों तक भारत को सोने की चिड़िया बनाने में गाय का ही योगदान रहा है।

ऊर्जा उत्पादन के क्षेत्र में भी पशुधन का उपयोग लिया जा सकता है। आज भारत में विधुत ऊर्जा उत्पादन का करीब 67% थर्मल पावर से, 27% जलविधुत से, 4% परमाणु ऊर्जा से व 2% पवन ऊर्जा के द्वारा हो रहा है।

थर्मल पावर प्लांट में विद्युत उत्पादन के लिए कोयला, पैट्रोल, डीज़ल व प्राकृतिक गैस का उपयोग किया जाता है। इसके उपयोग से कार्बन डाई आक्साइड का उत्सर्जन वातावरण में हो रहा है। जिससे वातावरण के दूषित होने से भिन्न भिन्न प्रकार के रोगों का जन्म अलग से हो रहा है। जलविधुत परियोजनाएं अधिकतर भूकंपीय क्षेत्रों में होने के कारण यहाँ भी खतरे की घंटी है। ऐसे में किसी भी बाँध का टूट जाना करोड़ों लोगों को प्रभावित कर सकता है। टिहरी बाँध के टूटने से चालीस करोड़ लोग प्रभावित होंगे।परमाणु ऊर्जा के उपयोग का एक भयंकर परिणाम तो हम अभी कुछ समय पहले जापान में देख ही चुके हैं। परमाणु विकिरणों के दुष्प्रभाव को कई दशकों बाद भी देखा जाता है।

जबकि यहाँ भी गौवंश का योगदान लिया जा सकता है। "स्व. श्री राजीव भाई दीक्षित" अपने पूरे जीवन भर इस अनुसन्धान में लगे रहे व सफल भी हुए। उनके द्वारा बनाए गए गोबर गैस संयत्र से गोबर गैस को सिलेंडरों में भरकर उसे ईंधन के रूप में उपयोग लिया जा सकता है। आज एक साधारण कार को पैट्रोल से चलाने में करीब 4 रुपये प्रति किलोमीटर के हिसाब से खर्च होता है। जिस प्रकार से पैट्रोल, डीज़ल के दाम बढ़ रहे हैं, यह खर्च आगे और भी बढेगा। वहीँ दूसरी और गोबर गैस के उपयोग से उसी कार को 35 से 40 पैसे प्रति किलोमीटर के हिसाब से चलाया जा सकता है।

आईआईटी दिल्ली ने कानपुर गौशाला और जयपुर गौशाला अनुसंधान केन्द्रों के द्वारा एक किलो सी॰एन॰जी॰ से 25 से 50 किलोमीटर एवरेज दे रही तीन गाड़ियां चलाई जा रही है।

रसोई गैस सिलेंडरों पर भी यह बायोगैस बहुत कारगर सिद्ध हुई है। सरकार की भ्रष्ट नीतियों के चलते आज रसोई गैस के दाम भी आसमान तक पहुँच गए हैं, जबकि गोबर गैस से एक सिलेंडर का खर्च केवल 50 से 70 रुपये तक आँका गया है।इसी बायोगैस से अब हैलीकॉप्टर भी जल्द ही चलाया जा सकेगा। हम इस अनुसन्धान में अब सफलता के बहुत करीब हैं।

गोबर गैस प्लांट से करीब सात करोड़ टन लकड़ी बचाई जा सकती है, जिससे करीब साढ़े तीन करोड़ पेड़ों को जीवन दान दिया जा सकता है। साथ ही करीब तीन करोड़ टन उत्सर्जित कार्बन डाई आक्साइड को भी रोका जा सकता है। पैट्रोल, डीज़ल, कोयला व गैस तो सब प्राकृतिक स्त्रोत हैं, किन्तु यह बायोगैस तो कभी न समाप्त होने वाला स्त्रोत है। जब तक गौवंश है, अब तक हमें यह ऊर्जा मिलती रहेगी।

हाल ही में कानपुर की एक गौशाला ने एक ऐसा सीएफ़एल बल्ब बनाया है जो बैटरी से चलता है। इस बैटरी को चार्ज करने के लिए गौमूत्र की आवश्यकता पड़ती है। आधा लीटर गौमूत्र से 28 घंटे तक सीएफ़एल जलता रहेगा। यदि सरकार चाहे तो इस क्षेत्र में सकारात्मक कदम उठाकर इससे भारी मुनाफा कमाया जा सकता है।

इसके अतिरिक्त चिकित्सा के क्षेत्र में तो भारतीय गाय के योगदान को कोई झुठला ही नहीं सकता। हम भारतीय गाय को ऐसे ही माता नहीं कहते। इस पशु में वह ममता है जो हमारी माँ में है। भारतीय गाय की रीढ़ की हड्डी में सूर्यकेतु नाड़ी होती है। सूर्य के संपर्क में आने पर यह स्वर्ण का उत्पादन करती है। गाय के शरीर से उत्पन्न यह सोना गाय के दूध, मूत्र व गोबर में भी होता है। अक्सर ह्रदय रोगियों को घी न खाने की सलाह डॉक्टर देते रहते हैं। साथ ही एलोपैथी में ह्रदय रोगियों को दवाई में सोना ही कैप्सूल के रूप में दिया जाता है। यह चिकित्सा अत्यंत महँगी साबित होती है।जबकि आयुर्वेद में ह्रदय रोगियों को भारतीय गाय के दूध से बना शुद्ध घी खाने की सलाह दी जाती है। इस घी में विद्यमान स्वर्ण के कारण ही गाय का दूध व घी अमृत के समान हैं। गाय के दूध का प्रतिदिन सेवन अनेकों बीमारियों से दूर रखता है।गौ मूत्र से बनी औषधियों से कैंसर, ब्लडप्रेशर, अर्थराइटिस, सवाईकल हड्डी सम्बंधित रोगों का उपचार भी संभव है। ऐसा कोई रोग नहीं है, जिसका इलाज पंचगव्य से न किया जा सके।

यहाँ तक कि हवन में प्रयुक्त होने वाले गाय के घी व गोबर से निकलने वाले धुंए से प्रदुषण जनित रोगों से बचा जा सकता है। हवन से निकलने वाली गैसों में इथीलीन आक्साइड, प्रोपीलीन आक्साइड व फॉर्मएल्डीहाइड गैसे प्रमुख हैं। इथीलीन आक्साईड गैस जीवाणु रोधक होने पर आजकल आपरेशन थियेटर से लेकर जीवन रक्षक औषधियों के निर्माण में प्रयोग मे लायी जा रही है। वही प्रोपीलीन आक्साइड गैस का प्रयोग कृत्रिम वर्षा कराने के लिए प्रयोग में लाया जा रहा है।साथ ही गाय के दूध से रेडियो एक्टिव विकिरणों से होने वाले रोगों से भी बचा जा सकता है। यदि सरकार वैदिक शिक्षा पर कुछ शोध करे तो दवाइयों पर होने वाले करीब दो लाख पचास हज़ार करोड़ के खर्चे से छुटकारा पाया जा सकता है।

अब आप ही बताइये कहने को तो गाय केवल एक जानवर है, किन्तु इतने कमाल का एक जानवर क्या हमें ऐसे ही बूचडखानों में तड़पती मौत मरने के लिए छोड़ देना चाहिए ???

कुछ तो कारण है जो हज़ारों वर्षों से हम भारतीय गाय को अपनी माँ कहते आए हैं। भारत निर्माण में गाय के अतुलनीय योगदान को देखते हुए शीर्षक की सार्थकता में मुझे यही शीर्षक उचित लगा।

॥ जय हिन्द ॥ जय जय माँ भारती ॥ वन्दे मातरम् ॥    # ये है हिंदुस्तान मेरी जान

माँ क्या तुम जानती हो? - माँ सब जानती है।


चूल्हे-चौके में व्यस्त और पाठशाला से दूर रही माँ नहीं बता सकती कि ”नौ-बाई-चार” की कितनी ईंटें लगेंगी दस फीट ऊँची दीवार में…लेकिन अच्छी तरह जानती है कि कब, कितना प्यार ज़रूरी है
एक हँसते-खेलते परिवार में।

त्रिभुज का क्षेत्रफल और घन का घनत्व निकालना उसके शब्दों में ‘स्यापा’ है…क्योंकि उसने मेरी छाती को ऊनी धागे के फन्दों और सिलाइयों की मोटाई से नापा है।

वह नहीं समझ सकती कि ‘ए’ को ‘सी’ बनाने के लिए क्या जोड़ना या घटाना होता है…लेकिन अच्छी तरह समझती है कि भाजी वाले से आलू के दाम कम करवाने के लिए कौन सा फॉर्मूला अपनाना होता है।

मुद्दतों से खाना बनाती आई माँ ने कभी पदार्थों का तापमान नहीं मापा तरकारी के लिए सब्ज़ियाँ नहीं तौलीं और नाप-तौल कर ईंधन नहीं झोंका चूल्हे या सिगड़ी में…उसने तो केवल ख़ुश्बू सूंघकर बता दिया है कि कितनी क़सर बाकी है बाजरे की खिचड़ी में।

घर की कुल आमदनी के हिसाब से उसने हर महीने राशन की लिस्ट बनाई है ख़र्च और बचत के अनुपात निकाले हैं रसोईघर के डिब्बों घर की आमदनी और पन्सारी की रेट-लिस्ट में हमेशा सामन्जस्य बैठाया है…लेकिन अर्थशास्त्र का एक भी सिद्धान्त कभी उसकी समझ में नहीं आया है।

वह नहीं जानती सुर-ताल का संगम कर्कश, मृदु और पंचम सरगम के सात स्वर स्थाई और अन्तरे का अन्तर….स्वर साधना के लिए वह संगीत का कोई शास्त्री भी नहीं बुलाती थी…लेकिन फिर भी मुझे उसकी लल्ला-लल्ला लोरी सुनकर बड़ी मीठी नींद आती थी।

नहीं मालूम उसे कि भारत पर कब, किसने आक्रमण किया और कैसे ज़ुल्म ढाए थे, आर्य, मुग़ल और मंगोल कौन थे, कहाँ से आए थे? उसने नहीं जाना कि कौन-सी जाति भारत में अपने साथ क्या लाई थी लेकिन हमेशा याद रखती है कि नागपुर वाली बुआ हमारे यहाँ कितना ख़र्चा करके आई थी।

वह कभी नहीं समझ पाई कि चुनाव में किस पार्टी के निशान पर मुहर लगानी है लेकिन इसका निर्णय हमेशा वही करती है कि जोधपुर वाली दीदी के यहाँ दीपावली पर कौन-सी साड़ी जानी है।

मेरी अनपढ़ माँ वास्तव में अनपढ़ नहीं है वह बातचीत के दौरान पिताजी का चेहरा पढ़ लेती है
काल-पात्र-स्थान के अनुरूप बात की दिशा मोड़ सकती है झगड़े की सम्भावनाओं को भाँप कर
कोई भी बात ख़ूबसूरत मोड़ पर लाकर छोड़ सकती है

दर्द होने पर हल्दी के साथ दूध पिला पूरे देह का पीड़ा को मार देती है और नज़र लगने पर सरसों के तेल में रूई की बाती भिगो नज़र भी उतार देती है

अगरबत्ती की ख़ुश्बू से सुबह-शाम सारा घर महकाती है बिना काम किए भी परिवार तो रात को
थक कर सो जाता है लेकिन वो सारा दिन काम करके भी परिवार की चिन्ता में रात भर सो नहीं पाती है।

सच !! कोई भी माँ अनपढ़ नहीं होती सयानी होती है क्योंकि ढेर सारी डिग्रियाँ बटोरने के बावजूद
बेटियों को उसी से सीखना पड़ता है कि गृहस्थी कैसे चलानी होती है।

माँ और मात्रभूमि से बदकार कुछ नहीं !!

॥ जय हिन्द ॥ जय जय माँ भारती ॥ वन्दे मातरम् ॥

मां का दिल

*** मां का दिल !!! मां का दिल !!! मां का दिल !!! मां का दिल !!! ****

बात पुरानी है ! राजा-महाराजाओं का जमाना था ! एक बलोच (ऊंट पालने वाले को बलोच कहते हैं) की एक ऊंटनी गुम हो गई ! काफी खोज-बीन के बाद उस ऊंटनी का सुराग लगा ! ऊंटनी एक सेठ के घर बन्धी थी ! बलोच ने सेठ से ऊंटनी वापिस करने को कहा ! सेठ ने साफ इंकार कर दिया ! वह उसे अपनी ऊंटनी बताता था !
बात बढ गई ! लडाई – झगडे की नौबत आ पहुंची ! लोगों के समझाने-बुझाने पर दोनो राजा के दरबार में जाने को राजी हो गए ! भरे दरबार में मुकदमा शुरू हुआ ! बलोच कहता था ऊंटनी मेरी है और सेठ कहता था ऊंटनी मेरी है !
राजा ने बलोच से पूछा – “तुम कहते हो कि ऊंटनी तुम्हारी है ! तुम्हारे पास इस बात का कोई सबूत है ?”
बलोच बडे अदब से एक कदम पीछे हट कर, झुक कर बोला – “जनाब, एक सबूत है !”
“क्या ?” – सेठ ने घूरा !
“क्या ?” – राजा ने पूछा !
“महाराज, अगर ऊंटनी को मारकर इसके दिल को चीरकर देखें तो उसमें आपको तीन सुराख मिलेंगे !” बलोच ने उत्तर दिया !
राजा हैरान ! सेठ हैरान ! दरबारी हैरान ! सभी हैरान !
“यह तुम कैसे कह सकते हो कि इसके दिल में तीन सुराख हैं !”
राजा ने आश्चर्य से पूछा – “तुम ज्योतिष विद्या जानते हो क्या ?”

“महाराज” – बलोच ने बडे अदब से उत्तर दिया –“जब किसी मां का बेटा भरी जवानी में मर जाता है तो उस मां के दिल में एक सुराख हो जाता है ! जो जिन्दगी भर नहीं भरा जा सकता ! इस ऊंटनी को मैंने बचपन से पाला है ! इसकी आंखों के सामने इसके तीन बेटे एक के बाद एक भगवान को प्यारे हो गए ! इसलिए इसके दिल में तीन सुराख अवश्य मौजूद होंगे ! मां का दिल जो ठहरा !”
दरबार में सन्नाटा-सा छा गया ! सभी हैरानी से एक-दूसरे का मुंह ताकने लगे !
कहने की जरुरत नहीं कि राजा ने सेठ की सफाई सुनने की भी आवश्यकता न समझी ! ऊंटनी बलोच के हवाले करने का हुक्म दे दिया !

जय हिंद !! जय भारत !! वन्देमातरम !!

अन्ना के खिलाफ साजिश क्यों ?

अन्ना का गलत ईलाज करके उन्हें और बीमार करने वाले डॉ संचेती को पद्म सम्मान देने के पीछे की साजिश सामने आनी चाहिए.....!!

मित्रों जब डॉ संचेती को केन्द्र सरकार ने पद्म सम्मान देने की घोषणा किया तभी एक घिनौनी साजिश की बू आने लगी जिसे कई अखबारों ने भी छापा है।

सभी जानते है की अन्ना हजारे ने पांच राज्यों मे कांग्रेस के खिलाफ प्रचार करने की घोषणा की थी, जिससे कांग्रेस के पैरों तले जमीन खिसक गयी थी क्योकि यूपी का चुनाव कांग्रेस के युवराज के लिए एक लिटमस टेस्ट बन गया है। यूपी के नतीजे ही राहुल गाँधी का भविष्य तय करने वाले है।

फिर अन्ना हजारे को मामूली जुकाम और कफ, सीने मे जकडन जैसी एक आम समस्या हों गयी। पुणे के डॉ संचेती ने पहले रालेगन आकर अन्ना का चेकअप किया फिर उन्हें अपने नर्सिंग होम मे दाखिल करने की सलाह दिया और अन्ना करीब 15 दिनों तक उनके अस्पताल मे भर्ती रहे।

लेकिन अन्ना की तबियत और ज्यादा बिगड़ने लगी जिससे डॉ नरेश त्रेहन अपनी टीम के साथ अन्ना के गांव मे उनका चेकअप किये और कहा की अन्ना को बहुत गलत और हाई एमजी डोज़ वाली दवाए दी गयी है।

अब अन्ना कल दिल्ली आकर डॉ नरेश त्रेहन की निगरानी मे फिर से अपना ईलाज करवाएँगे।

लेकिन इसी बीच जब पद्म सम्मानों की घोषणा हुयी तो 'डॉ संचेती' का नाम देखकर पूरा मेडिकल जगत नहीं नहीं बल्कि पूरा भारत चौक उठा।

कुछ सवाल उठते है :

1. आखिर डॉ संचेती की अब तक क्या उपलब्धियां रही है जिससे उन्हें पद्म भूषण जैसा सम्मान दिया गया ? उन्होंने अब तक मेडिकल जगत मे कोई भी उल्लेखनीय योगदान नहीं किया है।

2. क्या इस देश मे डॉ संचेती से काबिल डॉ कोई नही है ?

मित्रों, असल में केंद्र सरकार ने डॉ संचेती से मिलकर अन्ना हजारे के खिलाफ एक बड़ी गंदी साजिश रची है।

जय हो अन्ना हज़ारे !! जय हो स्वामी रामदेव !!

विभिन्न लोगों के भारत और भारतियों पर विचार:::

हम सभी भारतीयों का अभिवादन करते हैं, जिन्होंने हमें गिनती करना सिखाया, जिसके बिना विज्ञान की कोई भी खोज संभव नहीं थी।!" - एल्बर्ट आइनस्टाइन (सैद्धांतिक भौतिक विज्ञानी, जर्मनी)

भारत मानव जाति का पालना है, मानवीय वाणी का जन्म स्थान है, इतिहास की जननी है और विभूतियों की दादी है और इन सब के ऊपर परम्पराओं की परदादी है। मानव इतिहास में हमारी सबसे कीमती और सबसे अधिक अनुदेशात्मक सामग्री का भण्डार केवल भारत में है!" - मार्क ट्वेन (लेखक, अमेरिका) 

*   यदि पृथ्वी के मुख पर कोई ऐसा स्थान है जहां जीवित मानव जाति के सभी सपनों को बेहद शुरुआती समय से आश्रय मिलता है, और जहां मनुष्य ने अपने अस्तित्व का सपना देखा, वह भारत है।!" - रोम्या रोलां (फ्रांसीसी विद्वान) 

*   सभ्यताएं दुनिया के अन्य भागों में उभर कर आई हैं। प्राचीन और आधुनिक समय के दौरान एक जाति से दूसरी जाति तक अनेक अच्छे विचार आगे ले जाए गए हैं. . . परन्तु मार्क, मेरे मित्र, यह हमेशा युद्ध के बिगुल बजाने के साथ और ताल बद्ध सैनिकों के पद ताल से शुरू हुआ है। हर नया विचार रक्त के तालाब में नहाया हुआ होता था . . . विश्व की हर राजनैतिक शक्ति को लाखों लोगों के जीवन का बलिदान देना होता था, जिनसे बड़ी तादाद में अनाथ बच्चे और विधवाओं के आंसू दिखाई देते थे। यह अन्य अनेक राष्ट्रों ने सीखा, किन्तु भारत में हजारों वर्षों से शांति पूर्वक अपना अस्तित्व बनाए रखा। यहां जीवन तब भी था जब ग्रीस अस्तित्व में नहीं आया था . . . इससे भी पहले जब इतिहास का कोई अभिलेख नहीं मिलता, और परम्पराओं ने उस अंधियारे भूतकाल में जाने की हिम्मत नहीं की। तब से लेकर अब तक विचारों के बाद नए विचार यहां से उभर कर आते रहे और प्रत्येक बोले गए शब्द के साथ आशीर्वाद और इसके पूर्व शांति का संदेश जुड़ा रहा। हम दुनिया के किसी भी राष्ट्र पर विजेता नहीं रहे हैं और यह आशीर्वाद हमारे सिर पर है और इसलिए हम जीवित हैं. . .!" - स्वामी विवेकानन्द (भारतीय) 

*   यदि हम से पूछा जाता कि आकाश तले कौन सा मानव मन सबसे अधिक विकसित है, इसके कुछ मनचाहे उपहार क्या हैं, जीवन की सबसे बड़ी समस्याओं पर सबसे अधिक गहराई से किसने विचार किया है और इसकी समाधान पाए हैं तो मैं कहूंगा इसका उत्तर है भारत।" - मेक्स मुलर (जर्मन विद्वान) 

*   “दुनिया के कुछ हिस्से ऐसे हैं जहां एक बार जाने के बाद वे आपके मन में बस जाते हैं और उनकी याद कभी नहीं मिटती। मेरे लिए भारत एक ऐसा ही स्थान है। जब मैंने यहां पहली बार कदम रखा तो मैं यहां की भूमि की समृद्धि, यहां की चटक हरियाली और भव्य वास्तुकला से, यहां के रंगों, खुशबुओं, स्वादों और ध्वनियों की शुद्ध, संघन तीव्रता से अपने अनुभूतियों को भर लेने की क्षमता से अभिभूत हो गई। यह अनुभव कुछ ऐसा ही था जब मैंने दुनिया को उसके स्याह और सफेद रंग में देखा, जब मैंने भारत के जनजीवन को देखा और पाया कि यहां सभी कुछ चमकदार बहुरंगी है।” - किथ बेलोज़ (मुख्य संपादक, नेशनल जियोग्राफिक सोसाइटी) जय जय माँ भारती, मेरा भारत महान !!

31 जनवरी 2012

ये भारत है

जब भारत की सरकार स्वामी रामदेव जी के फंडे पर काम करके 30 करोड नौकरियों का जुगाड मात्र 10 साल में कर सकती है तो वह आरक्षण के पीछे क्यों पड़ी हुई है।
पढ़िए कैसे......और अगर पसंद आये तो शेयर करें.....!!
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1. आज के दिन भारत की लाखों छोटी मोटी खिलौना बनाने वाली कम्पनियाँ इसलिय बंद हो गयी कि सरकार की तरफ से उनको न तो कोई आर्थिक मदद मिली न तकनीकी, यदि 100 का औसत पकडें तो करीब 2 करोड़ लोग बेरोजगार हो गए।

2. भारत में साबुन से लेकर बनियान तक बनाने वाली 5000 विदेशी कंपनियों ने भारत का सब रोजगार (करीब 12 करोड़) विदेशो में भेज दिया है साथ ही साथ हर साल करीब 15 से 16 लाख करोड़ रुपये विदेश जा रहा है।

3. इस पर तुर्रा यह की रोज रोज एफ़डीआई को नए नए क्षेत्र में खोला जा रहा है। यदि खुदरा में भी एफ़डीआई खोल दिया जाये तो भारत का 12 करोड़ रोजगार और भारत से बाहर विदेशो में पैदा होगा जिससे भारत के लोग और बेरोजगार होंगे।

4. स्वामी रामदेवजी ने कितने लोगो को स्थाई रोजगार अपने योग और आयुर्वेद के बल पर दिया है इस पर किसी ने ध्यान नहीं दिया है। इनके हर आरोग्य केंद्र पर 5 से 6 लोगों को नौकरी मिल रही है। एक एक जिले में 2 से 4 ऐसे केंद्र हैं और भारत में 628 जिले हैं। इसके बाद इनका उत्पाद बेचने वाले हर दूकान पर 2 से 4 लोगो को नौकरी मिली हुई है और यह आरोग्य केंद्र अब हर गाँव में खोलने की योजना है।

तो सोचिये मात्र देशी चीजों से कितना रोजगार पैदा होगा। पतंजलि योगपीठ में भी शायद 8000 लोग नौकरी करते है। यदि गाय- खेती-योग-आयुर्वेद की चौकड़ी पर ध्यान दिया जाये तो इससे कम से कम 5 करोड रोजगार मात्र 3 साल में पैदा हो जायेगा तथा विदेशियों पर निर्भरता कम हो जायेगी।

5. जिस तरह से अमेरिका भारत को तेल को लेकर परेशानी में डाल रहा है, स्वामी रामदेव जी की चले तो गौ हत्या बंद करवाकर उसी गोबर गैस को सिलिंडर में भर कर गाड़ियों में सीएनजी जैसा उपयोग किया जाये और हर घर पर 200 वाट का सोलर पैनल दिखे।

6. वकीलों की जमात कांग्रेस सरकार अंग्रेजो की तरह ही 500 रुपये और 5 लाख करोड़ रुपये के भ्रष्टाचार को बराबर मानकर पहले 500 रुपये वाले को जेल भेजती है बाद में जनता को आरक्षण और कुशवाहा जैसे मामलों में उलझाकर महत्वपूर्ण समय बिताकर इलेक्ट्रोनिक वोटिंग मशीन से जीत हासिल कर लेती है। कलमाड़ी, कनिमोझी जैसे सेकड़ों हजारों करोड़ के भ्रष्टाचारी देशद्रोही जमानत पा लेते हैं और 500 रूपये वाला जेल में सड़ रहा होता है।

ये अब किसी भी हालत में खत्म होना चाहिए और राष्ट्रभक्तों की जमात पहले देश चलाये फिर दुनिया...अब भारत को ऐसे नेतृत्व की आवश्यकता है जो भारत के अंतिम व्यक्ति की सोचे, समान और मुफ्त शिक्षा व्यवस्था, चिकित्सा व्यवस्था उपलब्ध कराये, भ्रष्टाचार पर लगाम लगाये और न्याय व्यवस्था भी सुधारे। वर्तमान में न्याय के नाम पर सिर्फ फैसले सुनाये जा रहे हैं और विदेशी न्याय व्यवस्था के कारण देश में अपराध बढ़ रहे हैं...!!

जागो भारतियों जागो...!!
जय भारत स्वाभिमान !
जय स्वामी रामदेव जी !!
जय हिंद !! जय भारत !! वन्देमातरम !!