अनूठे अंदाज में खिलने वाला, हरे फूलों वाला 'बेल्स आफ आयरलैंड' का वनस्पतिक नाम 'मोलूसैला लीविस' है। यह एकनथिएसी (लेमीएसी) परिवार का पौधा है। हम प्रजाति के वार्षिक और बहुवार्षिक पौधे अपने फूलों के लिये खासकर उगाये जाते हैं। इस कुल में तुलसी, पुदीना जैसे औषधीय उपयोगी पौधे भी शामिल हैं।
बेल्स आफ आयरलैंड को आसानी से सुखाया जा सकता है। इस के फूल कटफ्लावर्स (लम्बे तनेयुक्त फूल) 7 से 10 दिन तक गुलदस्ते में ताजा बने रहते हैं और सूखने पर उन्हें ड्राई फ्लावर्स की पुष्प सज्जा की तरह सजावट के लिये इस्तेमाल करते हैं।
अक्सर लोग 'बेल्स आफ आयरलैंड' के प्रचलित नाम से भ्रमित हो कर इसे आयरलैंड देश का फूल समझने की गलती कर बैठते हैं, जबकि वास्तविक तौर पर इस फूल का जन्मस्थान पश्चिम एशिया के देश तुर्की, सीरिया हैं। वैसे यह इंडोनेशिया में भी पाया जाता है और इस तरह का वानस्पतिक नाम मोलूसैला लीविस इंडोनेशिया के मोलूक्का दीपों के नाम पर ही रखा गया है।
घंटियों के आकार वाले फूलों के आयरिश हरे रंग को देख कर ही शायद इसे 'बेल्स आफ आयरलैंड' नाम मिला, हरेपीले आवरण के लिये फूलों के गुच्छे आकर में छोटे घोंघे के खोल की मुखाकृति से समानता के चलते ही इसे 'शैल फ्लावर' भी कहते हैं। लेडी इन बात तब' इस का एक और नाम है और यह नाम बाह्य पुष्पदल के आवरण के अन्दर की तरफ स्थित फूलों के होने के कारण दिया गया है।
जिसे हम सब हरा फूल समझते हैं दरअसल, वह फूल के ऊपर कटोरे की आकृति जैसी गोलाकार पत्तिया हैं, जो फूल को उस के आधार से चारों तरफ से ढके होती हैं और इस का वास्तविक फूल इन पत्तियों के भीतर सफ़ेद रंग लिये होता है। फूल गोल चक्र (वर्ल) में 6 की संख्या में पत्तेदार फूलों वाले तनों के इर्दगिर्द लगते हैं।
बेल्स आफ आयरलैंड को क्यारियों में अनोखी छटा और सुंदरता के लिये उगाया जाता है। इस की सुंदरता इस के फूलों के ऊपर सजावटी पुटकों के कारण है, जो घंटी जैसी आकार लिए हुए होते हैं। ऊंचाई में 60 से 90 सेंटीमीटर तक बढ़ने वाला यह वार्षिकी पौधा है। इस में ताने पर गोलाकार, 2 इंच लम्बे पत्ते ऊपर तथा नीचे की तरफ समूह में उगते हैं। पत्ते तने के इर्दगिर्द एकदूसरे से 4 के गुणांक में उगते हैं।
बेल्स आफ आयरलैंड के खुशबूदार छोटेछोटे फूल गुच्छे में होते हैं, जो बाहरी सजावटी पत्तों के बगल से निकलते हैं। अपारदर्शी हलके पीले हरे बारीक नाड़ियों से युक्त घंटी के आकार के फूल तने पर पासपास, समूहों में बहुत जयादा संख्या में खिल कर अदभुत सौंदर्य प्रदान करते हैं।
हर घंटी दोन के आकार वाले सजावटी पत्तों के बीच में सफ़ेद, गुलाबी पंखुड़ियों वाले छोटे सुगन्धित फूल हैं जो पौधे के परिपक्व होने पर झड कर गिर जाते हैं। लेकिन आकर्षक सजावट वाले घंटीनुमा फूलों की डंडियों को समय रहते काट लिया जाए तो अंत तक जीवित बने रहते हैं, इन्हें कोई नुक्सान नहीं पहुंचता। सुखाने पर डंडियों में लगी पट्टियां हलके क्रीमी या पीले सफ़ेद रंग में बदल जाती हैं। वर्षों तक ये सूखे नोकदार फूलों के डंठल खराब नहीं होते।
कैसे उगाएं
मोलूसैसा लीविस यानी बेल्स आफ आयरलैंड कठोर वार्षिकी पौधा है। इसे गमलों और क्यारियों में बीजों द्वारा उगाया जा सकता है। मैदानी इलाकों में इस के बीज सितम्बर अक्टूबर में और पहाडी इलाकों में मार्च अप्रैल में बोये जाते हैं। अंकुर फूटने के 1 महीने बाद इन्हें स्थायी क्यारियों में लगा दिया जाता है। पहाडी इलाकों में वसंत के शुरू होने पर इस के बीजों को कांच (ग्लास कवर) के नीचे रख कर कंपोस्ट खाद की तरह बिछा कर ढक दिया जाता है और पौधे को कठोरता प्रदान करने के लिये ठन्डे फ्रेमों के नीचे रखा जाता है फिर मई में इसे बाहर निकाला जाता है।
पौधों में कुछ कठोरता होने के कारण इन्हें अप्रैल में भी सीधा क्यारियों में बोया जा सकता है। एक पौधे से दूसरी पौधे की दूरी 9 इंच रखनी चाहिए।
मैदानी इलाकों में फूल फरवरी से ले कर मार्च अप्रैल तक खिलते रहते हैं। पहाडी इलाकों में गरमियों के आखिर तक इस के फूल पौधों पर खिलते हैं।
इसे उगाने के लिये कुछ नमी लिये, अच्छी जल निकासी वाली उपजाऊ दोमट मिटटी अति उत्तम रहती है। धूपदार स्थान जहाँ सूर्य का प्रकाश 6 घंटे तक रहे, ऐसे स्थान का चयन करें। पौधों को समयसमय पर गोबर और पत्तों की कम्पोस्ट खाद देने से अच्छे फूल खिलते हैं।
बेल्स आफ आयरलैंड के फूल को दीर्घायु होने के कारण फूलदान तथा पुष्प सज्जा में सजाने के काम में लिया जाता है। यह ताजा एवं सूखी दोनों ही अवस्थाओं में उपयोग में लाया जाता है। 6-8 समूहों में सजे फूलों में डंठल इंटीरियर में नया लुक देते हैं। कटाई के लिये उन पुष्प डंठलों का चुनाव करें जिन में तीनचौथाई फूल खिल चुके हों।
फूलों वाली डंडियों को सूखी अवस्था में संरक्षित करना हो तो कटाई तब करें जब सारे फूल खिल चुके हों। कटाई के बाद फूलों वाले डंठल से पट्टियों को हटा कर उन्हें ठन्डे, हवादार कमरे में उलटा (ऊपर का हिस्सा नीचे कर के) लटका कर सुखाएं, थोड़े दिनों बाद सजावटी हरा रंग पीले रंग में बदल जाता हैं जो तनों पर लम्बे समय तक बना रहता है।
ताजे कटे फूल वाली डंडियों को यदि कुछ देर मुरझाने के लिये छोड़ दिया जाए तो इस के तनों को आसानी से अलगअलग आकार दे कर मोड़ा जा सकता है। इन हलके मुरझाये तनों में पानी का संचार कर पुनः इन्हें ताजा बनाए रख सकते हैं और रचनात्मक सज्जा तैयार की जा सकती है।
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