दाम्पत्य का सबसे महत्वपूर्ण पहलू है- सेक्स, इसलिए हर पति-पत्नी को सेक्स के बारे में अपने साथी के विचारों और सेक्स संबंधों से होने वाले फायदे की जानकारी होनी चाहिए. यह जानकारी हमें मिलती है - कामसूत्र से. उसी तरह संभोग सुख का आनंद उठाने की शक्ति प्रदान करता है - आयुर्वेद.
आयुर्वेद में ऐसी कई चीजों का उल्लेक्ख है जिनका नियमित रूप से सेवन करने से जहाँ यौन विकार नष्ट होते हैं वहीं शरीर में स्फूर्ति और शक्ति का संचार होता है. पुराने जमाने में हर घर में इन आयुर्वेद से जुडी चीजों का प्रयोग किसी न किसी रूप में होता था. आजकल की व्यस्त जिन्दगी में नवविवाहित दम्पति ही नहीं बल्कि प्रौढ़ दम्पति भी सेक्स समस्याओं से ग्रस्त हैं और इसके लिये वह बाजार में बिकने वाली दवाओं का सेवन करने लगते हैं. अगर दाम्पत्य जीवन को सुखमय बनाना है तो हमें आयुर्वेदिक जडी-बूटियों की ओर लौटना ही होगा. तभी हम सही मायने में दाम्पत्य जीवन की सेक्स लाइफ का आनंद उठा सकते हैं, साथ ही हष्ट -पुष्ट बने रह सकते हैं. आयुर्वेद में उपयोग में लाई जाने वाली कुछ मुख्य चीजें इस प्रकार है-
अश्वगंधा का सेवन करने से वात प्रधान रोग नष्ट होते हैं इसीलिये वात प्रधान रोगों के लिये इसका सेवन करने की सलाह दी जाती है. सेवन करने से बहुत लाभ मिलता है. साथ ही यह अश्वगंधा पाक धातु की निर्बलता भी नष्ट करता है, क्योंकि यह पौष्टिक, अग्नि प्रदीपक और शक्ति संवर्धक होता है. शुक्राशय, वातवाहिनी नाडी और गुर्दों पर इसका गुणकारी प्रभाव पड़ता है. शीत ऋतु में अश्वगंधा पाक का सेवन करने से यौनशक्ति बढ़ती है, अतः यौन आनंद बढ़ता है. अश्वगंधा पाक 10-10 ग्राम की मात्रा में सुबह-शाम दूध या शहद के साथ सेवन करने से यौनशक्ति में आश्चर्यजनक फायदा होता है.
.एरंड पाक का सेवन करने से शारीरिक दुर्बलता नष्ट होती है, पाचन शक्ति तीव्र होने से भोजन शीघ्र पचता है और शारीरिक यौनशक्ति विकसित होती है. शीतऋतु में एरंड पाक का सेवन करने से मुंह का रोग नष्ट होता है तथा अन्य वात विकारों में भी यह बहुत गुणकारी होता है. इसे 10 से 20 ग्राम की मात्रा में दूध के साथ सेवन करना चाहिए.
कौंच पाक के गुणकारी कौंच पाक तैयार किया जाता है. शीतऋतु में इसका सेवन करने से पुरूषत्व शक्ति विकसित होती है तथा वीर्य के अभाव में उत्पन्न नपुसंकता नष्ट होती है. इससे यौन क्षमता बढ़ने से पुरूष देर तक यौन समागमन में संलग्न रहकर अधिक यौन आनंद प्राप्त कर सकता है. 20-30 ग्राम की मात्रा में कौंच पाक का सेवन करने से और ऊपर से दूध पीने से यौन शक्ति विकसित होती है तथा यह शारीरिक शक्ति भी बढाता है.
.नारियल से शीतवीर्य, स्निग्ध और पौष्टिक होने के कारण इसका सेवन करने से पित्त विकृति से उत्पन्न रोग नष्ट होते हैं तथा शरीर में शुक्र (वीर्य) के अभाव से उत्पन्न निर्बलता में अतिशीघ्र लाभ होता है. नारियल पाक का सेवन सभी ऋतुओं में किया जा सकता है. प्रतिदिन 10 से 20 ग्राम की मात्रा में दूध के साथ इसका सेवन करने से भरपूर शक्ति एवं शारीरिक आकर्षण में वृद्धि होती है.
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आम्र-पाक वीर्यवर्धक होता है, अतः शुक्र (वीर्य) विकार से पीड़ित पुरूषों के लिये इसका सेवन बहुत लाभप्रद है. आम्र-पाक से रक्त का निर्माण होता है तथा वीर्य की वृद्धि होने से यौनशक्ति विकसित होती है. भोजन से पहले 20 से 25 ग्राम की मात्रा में दूध या जल के साथ आम्र-पाक सेवन करने से शारीरिक शक्ति विकसित होती है.
छुहारे में खजूर के सभी गुण विघमान रहते हैं तथा इनका यौन शक्ति व क्षमता पर बेहद चमत्कारी प्रभाव पड़ता है. वीर्य का अभाव होने पर छुहारे को दूध में उबालकर सेवन करने से वीर्य वृद्धि होती है तथा शारीरिक शक्ति बढ़ती है.
शारीरिक व पुरूष शक्ति विकसित करने के लिये मूसली पाक बहुत गुणकारी होता है. 6 से 10 ग्राम की मात्रा में मूसली पाक का सेवन करके ऊपर से दूध पीने से धातु निर्बलता नष्ट होती है तथा वीर्य की वृद्धि होने से मनुष्य देर तक यौन समागमन कर पाने में सक्षम होता है.
बादाम पाक का सेवन करने से बल, वीर्य और ओजा की वृद्धि होती है. बादाम पाक रस-रक्तादी धातुओं की वृद्धि करके शरीर की शक्ति और कांटी बढ़ा देता है. नपुंसकता और स्नायु दुर्बलता में बादाम पाक का सेवन बेहद फायदेमंद है. 10 से 20 ग्राम की मात्रा में बादाम पाक प्रतिदिन दूध के साथ सेवन करने से मस्तिष्क और ह्रदय की निर्बलता नष्ट होती है तथा शरीर हष्ट-पुष्ट होता है.
सौंठ पाक का सेवन करने से स्त्रियों के कई रोग नष्ट होते हैं. यह शारीर की निर्बलता को नष्ट करके शरीर को सुन्दर बनाता है तथा ऋतुस्त्राव संबंधी विकारों में भे बेहद फायदेमंद है. ऋतुस्त्राव में होने वाले कष्ट को यह पाक नष्ट करता है तथा योनि विकारों में भी इसके सेवन से लाभ मिलता है.
सर्दी के दिनों में इसे हलवे, दूध, अन्य पेयों अथवा खाघ पदार्थों में मिलाकर खाने की प्रथा है. केसर शरीर के विभिन्न अंगों को शक्ति देने में उपयोगी है. इसके प्रयोग से वृद्ध शरीर में भी जान पड़ जाती है. केसर का स्वभाव कुछ अधिक गर्म होता है, इसलिए इसे गर्भवती महिलाएं और उच्च रक्तचाप वाले रोगियों को प्रयोग में नहीं लाना चाहिए, परन्तु जिन महिलाओं को मासिक धर्म आने में कष्ट हो वे यदि इसका प्रयोग करें तो लाभ होगा.
का सेवन करने से सभी तरह के विकार दूर होते हैं तथा शारीरिक निर्बलता, अतिसार, मस्तिष्क के रोग और धातु स्नान में बहुत लाभ मिलता है. दिन में दो-तीन बार 6 से 10 ग्राम की मात्रा में जल के साथ अनार का सेवन करने से काफी लाभ होता है. इसका अवलेह बनाने के लिये चाशनी में जावित्री, काली मिचर, जायफल, पीपल, सौंठ, दाल-चीनी और लौंग का चूर्ण प्रयोग में लाया जाता है.
गुग्गलु का प्रयोग समस्त वायुरोगों में किया जाता है. गुग्गलु की विशेषता यह है की यदि इसे एक लाख बार मूसली से कूटा जाए तो इसमें समस्त रोगों का नाश होता है और शारीरिक शक्ति में बढ़ोत्तरी होती है. इसके प्रयोग से प्रमेह, प्रदर वीर्य दोष संबंधी रोग दूर होते हैं. हरद, सौंठ और गुग्गलु चूर्ण से बने दो से चार गोली सुबह-शाम गर्म जल या दूध के साथ लेने से धातुओं की वृद्धि होती है और यौन शक्ति मजबूत होती है.
लहसुन पाक का सेवन लिंग दुर्बलता और नपुंसकता को दूर करता है. अपनी शक्ति के अनुसार 10 से 20 ग्राम तक लहसुन की कलियाँ शहद के साथ सुबह-शाम खाने पर कामशक्ति जाग्रत होती है और नपुंसकता का दमन करती है. स्त्रियों के लिये भी लहसुन काफी फायदेमंद है.
सुपारी पाक स्त्रियों के स्वस्थ्य सौंदर्य के लिये बहुत गुणकारी होती है तथा पुरूषों को इसके सेवन से शारीरिक शक्ति विकसित होती है. सुपारी पाक का सेवन करने से स्त्रियों के सभी योनि विकार नष्ट होते हैं तथा इस पाक से गर्भाशय को शक्ति मिलाती है.
के सेवन से काम शक्ति की कमी, प्रमेह रोग, दुर्बलता हस्तमैथुन आदि पुरूष रोग दूर होते हैं. एक चम्मच शहद और एक चम्मच ताजा प्याज का रस मिलाकर सुबह-शाम पीने से कामभाव का ठहराव कम होता है और इससे काम भावना में जादू सा असर होता है.
दाल-चीनी में औषधीय गुण पाए जाते हैं. प्रोटीन, वसा, रेशा, कार्बोहाइड्रेट्स, कैल्शियम, फास्फोरस, लोहा, विटामिन बी एवं सी काफी मात्रा में पाए जाते हैं. रात को सोते समय दाल-चीनी का बारीक चूर्ण 4 ग्राम की मात्रा में शहद के साथ लेकर दूध पीने से वीर्य की वृद्धि होती है एवं पाचन संबंधी दोष दूर होते हैं.
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