आरती
आरती श्री गोवर्धन महाराज जी क़ी
श्री गोवार्धर महाराज महाराज
तेरे माथे मुकुट विराजे रहो।
टोपे पान चढे दूध क़ी धार, ओ धार। तेरे माथे...
तेरे कानन में कुंडल सोहे,
तेरे गले वैजयंती माल। तेरे माथे...
तेरी सात कोस क़ी परिकम्मा,
तेरी दे रहे नर और नार। तेरे माथे...
तेरे मानसी गंगा बहे सदा
तेरी माया अपरम्पार। तेरे माथे...
ब्रज मंडल जब डूबत देखा,
ग्वाल बाल जब व्याकुल देखे,
लिया नख पर गिर्वर्धार। तेरे माथे...
वृन्दावन क़ी कुञ्ज गलिन में,
वो तो खेल रहे नंदलाल तेरे माथे...
चन्द्रसखी भजवाल कृष्ण छवि,
तेरे चरणों पै बलिहारी। तेरे माथे...
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