31 दिसंबर 2010

यहाँ भी मिल सकती है नौकरी

केस 1- गायिका आकांक्षा जाचक ने अपनी ऑरकुट प्रोफाइल पर अपने रिकॉर्ड, गाने के उद्देश्य, उपलब्धियों सहित कुछ गीत भी डाउनलोड कर रखे हैं। इतना ही नहीं, किसी खास अवसर पर वे अपनी फ्रेंड लिस्ट में शामिल लोगों को स्क्रेप में भी अपने द्वारा गाया गीत ही भेजती हैं।

केस 2- सॉफ्टवेयर इंजीनियर अनुराग ने अपनी ऑरकुट प्रोफाइल पर सभी प्रोजेक्ट्स की डिटेल दे रखी है। पुरानी कंपनी में जहाँ वे काम कर चुके हैं, उसके साथ ही वर्तमान कंपनी की डिटेल सहित खुद के पद, जॉब प्रोफाइल आदि के बारे में भी दर्शा रखा है।

केस 3- मीडिया प्रोफेशनल अभिनव ने भी अपनी ऑरकुट प्रोफाइल में अपने कार्यक्षेत्र और बीट्‍स के बारे में निर्धारित तरीके से बताया है। इसी के साथ उन्होंने अपनी एक्सक्लूसिव स्टोरी फोटो के साथ यहाँ लोड कर रखी है।

एचआर हेड कहते हैं सोशल नेटवर्किंग साइट्स से अच्छे उम्मीदवारों की हाइरिंग करना काफी पुराना फंडा है। यह बात अलग है कि यह लाइमलाइट में अब आया है। वे बताते हैं हेड हंटर्स फेसबुक, ऑरकुट या लिंक्डइन जैसी सोशल नेटवर्किंग साइट्स अचानक से विजिट करते हैं।

यहाँ वे प्रोफाइल में दी गई जानकारियों के जरिए जॉब सीकर्स (जॉब लेने वाले) को तलाशते हैं। उनकी प्रोफाइल को आधार बनाकर वे कम्युनिटी के ऑनर से कॉन्टेक्ट करते हैं और निर्धारित व्यक्ति के बारे में जानकारियाँ लेते हैं। उन्होंने कहा, इसलिए कोई फ्रेशर हो या अनुभवी व्यक्ति अपनी प्रोफाइल में जानकारियों को अच्छे से सजाकर जॉब प्रोफाइडर को आकर्षित कर सकते हैं। उदाहरण के लिए मीडिया संबंधित कोर्स कर चुके फ्रेशर हाल ही में स्वयं द्वारा पूरा किया गया प्रोजेक्ट अपलोड कर सकते हैं। वे अपनी प्रोफाइल पर लिंक भी क्रिएट कर सकते हैं।

एक अन्य एचआर मैनेजर कहती हैं, सोशल नेटवर्किंग साइट्स के जरिए किसी व्यक्ति की स्कील्स के बारे में पता चलता है और कंपनी की कॉस्ट में कट भी हो जाता है। वे कहती हैं हाँ लेकिन यह ध्यान रखने योग्य बात है कि ऑरकुट जैसी सोशल नेटवर्किंग साइट से शॉर्टलिस्ट होने के बाद अपने रिज्यूम को अच्छे-से तैयार करें।

जब भी इंटरव्यू के लिए जाएँ, अपने सीवी में किसी भी झूठी बात का समावेश न करें, क्योंकि आपके सीवी को आपकी ऑरकुट प्रोफाइल से वेरीफाई भी किया जा सकता है। इसके अलावा स्क्रेपबुक को चेक करके ब्रेकग्राउंड चेकिंग भी की जा सकती है।इंदौर। इन तीन केसेस के जरिए हम बताना चाह रहे हैं कि सोशल नेटवर्किंग साइट केवल चैटिंग, दोस्तों से कनेक्ट रहने और एंटरटेनमेंट के लिए ही नहीं है, बल्कि इसके जरिए अब कंपनियाँ व जॉब प्रोफाइडर अपने-अपने श्रेत्र के बेहतर कर्मचारियों को भी ढूँढ़ रहे हैं यानी अब क्लासीफाइड्स को भूल जाइए...।

अब अदद उम्मीदवार ढूँढने वाले लोग सोशल नेटवर्किंग साइट्स पर सही उम्मीदवार का चयन करने लगे हैं। ऐसे में हो सकता है आपकी ऑरकुट या लिंक्डइन प्रोफाइल इनका अगला डेस्टिनेशन हो।

29 दिसंबर 2010

गुरू कैसा हो?

जिस गुरू, संत-महापुरूष में ये सब बातें हों-
1 - जो हमारी दृष्टि में वास्तविक बोध्वान, तत्वग्य दीखते हों और जिनके सिवाय और किसी में वैसी अलौकिकता, विलाक्शंता नहीं दीखती हो.
2 - जो कर्मयोग, ज्ञानयोग, भक्तियोग आदि साधनों को तत्व से ठीक-ठीक जानने वाले हों.
3 - जिनके संगसे, वचनों से हमारे ह्रदय में रहने वाली शंकाएं बिना पूछे ही स्वतः दूर हो जाती हों.
4 - जिनके पास में रहने से प्रसन्नता, शान्ति का अनुभव होता हो.
5 - जो हमारे साथ केवल हमारे हितके लिये ही संबंध रखते हुए दीखते हों.
6 - जो हमारे से किसी भी वास्तु की किंचिन्मात्र भी आशा न रखते हों.
7 - जिनकी सम्पूर्ण चेष्टाएं केवल साधकों के हित के लिये ही होती हों.
8 - जिनके पासे में रहने से लक्ष्य की तरफ हमारी लगन स्वतः बढ़ती हो.
9 - जिनके संग, दर्शन, भाषण, स्मरण आदि से हमारे दुर्गुण-दुराचार दूर होकर स्वतः सद्गुण-सदाचार रूप देवी संपत्ति आती हो.

श्रद्धेय स्वामीजी श्रीरामसुखदासजी महाराज के प्रवचन से

श्रद्धेय स्वामीजी श्रीरामसुखदासजी महाराज के कल्याणकारी वचन

दुःख क्यों होता है ?

सुनना चाहते हैं, इसलिए न सुनने का दुःख होता है.
देखना चाहते हैं, इसलिए न दीखने का दुःख होता है.
बल चाहते हैं, इसलिए निर्बलता का दुःख होता है.
धन चाहते हैं, इसलिए निर्धनता का दुःख होता है.
जवानी चाहते हैं, इसलिए बुढापे का दुःख होता है.
जीना चाहते हैं, इसलिए मरने का दुःख होता है.
तात्पर्य है कि वास्तु के अभाव से दुःख नहीं होता, प्रत्युत उसकी चाहना से दुःख होता है.


दुःख दूर करने का उपाय

संसार की मात्रा वास्तु का निरंतर वियोग हो रहा है. उत्पन्न होते ही शरीर में विनाश की क्रिया आरम्भ हो जाती है. इसलिए बालक जन्मता है तो वह बड़ा होगा कि नहीं होगा, पढेगा कि नहीं पढेगा, व्यापार आदि करेगा कि नहीं करेगा, विवाह करेगा कि नहीं करेगा, उसकी संतान होगी कि नहीं होगा, वह धनी बनेगा कि नहीं बनेगा आदि सब बातों में संदेह रहता है, पर वह मरेगा कि नहीं मरेगा- इस बात में कोई संदेह नहीं रहता. अगर इस संदेहरहित बात को हम वर्तमान में ही धारण कर लें अर्थात जिसका वियोग अवश्यम्भावी है, उसके वियोग को वर्मान में ही स्वीकार कर लें और उसमें सुख की आशा न रखें तो फिर हमें दुखी नहीं होना पडेगा.
                                                                                                                                                                                                         (प्रवचन से)