मीना चित्रपुर में रहती थी। वह चतुर, अच्छे स्वभाव की और एक मधुर लड़की थी। उसे उसके माता-पिता बहुत प्यार करते थे। आज वह बहुत उत्तेजित थी, क्योंकि उसका भाई उसके जन्मदिन पर उसके साथ रहने के लिए अमेरिका से आ रहा था। वह उसके लिए एक सुन्दर अमरीकी गुड़िया लेकर आ रहा था।
मीना अपने भाई को लाने के लिए अपने माता-पिता के साथ हवाई अड्डे पर गई। विमान दो घण्टे लेट था।
मीना का भाई जब इन सबसे मिला तो वह खुशी से उछलने लगी। घर लौटते समय मार्ग में उसके भाई ने अपने कॉलेज तथा अमरीकी विश्वविद्यालय में जीवन के बारे में बताया। मीना ने पहले ही इंजीनियर बनने का तथा ऊँची पढ़ाई के लिए विदेश जाने का संकल्प कर लिया था।
जब वह सो गई तब अपने भावी कालेज के बारे में सपना देख रही थी। वह एक मेधावी छात्रा थी और हमेशा अच्छे अंक लाती थी।
अगले दिन उसका जन्म दिन था। उसे अनेक सुन्दर उपहार मिले, किन्तु सर्वश्रेष्ठ भेंट थी सुन्दर अमरीकी गुड़िया जो उसके भाई ने दी थी। उस मनोहर गुड़िया के बाल सुनहले थे और परिधान हरा। जब मीना उसे ऊपर-नीचे करती तो गुड़िया अपनी आँखें बन्द कर लेती और खोल देती। यह एक अनोखी, सबसे अलग और अन्य गुड़ियों से कहीं श्रेष्ठ थी। यह स्वाभाविक था कि मीना उस गुड़िया को अपनी सहेलियों को भी दिखाना चाहती थी।
इसलिए उसने गुड़िया को अपने स्कूल बैग में डाल लिया। कक्षा में अध्यापिका क्या पढ़ा रही है, उस पर वह ध्यान केन्द्रित नहीं कर सकी। उसका मन पूरी तरह गुड़िया पर था जो उसके बैग में सो रही थी। इतिहास की अध्यापिका ने देखा कि मीना का ध्यान कक्षा में नहीं है और वह दिवा-स्वप्न देख रही है। इसलिए उसने उसे डॉंटा। मीना घबरा गई और धीरे से उसने गुड़िया को स्पर्श किया। उसे महसूस हुआ कि उसने कोई बटन दबा दिया है।
तभी घण्टी बज गई। अगला पिरियड मराठी का था। अध्यापिका ने कक्षा में प्रवेश किया। वह भूकम्प की कटिंग्स तथा पिक्चर्स लायी थी। वह बच्चों को भूकम्प के बारे में पढ़ाने लगी।
लेकिन मीना सिर्फ अपनी गुड़िया के बारे में सोच रही थी। और बीच-बीच में छिपकर उसे देख रही थी। उसकी अध्यापिका को यह देखकर आश्चर्य हुआ कि चुलबुली, उत्सुक और उत्साही मीना आज इतनी शान्त क्यों है। उसने एक भी प्रश्न नहीं किया।
तीसरा पिरियड आरम्भ होने से थोड़ा पहले दीवार धीरे-धीरे काँपने लगी। पहले किसी ने ध्यान नहीं दिया; तब पूरी बिल्डिंग में बहुत तेजी से कम्पन हुआ और दीवार गिर गई। बच्चे बाहर नहीं जा सके।
मीना बहुत भयभीत थी। उसने अपनी गुड़िया को अपने बहुत पास कर लिया और गुड़िया ऊँची आवाज में बोलने लगीः ‘‘यदि भूकम्प आ जाये तब पहले बाहर जाने की कोशिश करो। यदि वह सम्भव न हो तब मेज, डेस्क या चारपाई के नीचे घुस जाओ और हाथों को गर्दन पर रख लो।'' मीना ने तुरन्त समझ लिया कि अध्यापिका के शब्द गुड़िया में रिकार्ड हो गये हैं। इसलिए अपनी मशीन में किये गये रिकार्ड को गुड़िया ने दुहरा दिया। मीना ने बटन को फिर दबाया और गुड़िया चिल्ला पड़ी, ‘‘भूकम्प, भूकम्प।''
गुड़िया की ऊँची आवाज लोगों और बचाव-कर्मियों तक पहुँच गई। उन्हें पता चल गया कि बच्चे मलबे के नीचे फँस गये हैं। वे सहायता के लिए पहुँच गये और मीना की कक्षा के सभी बच्चों को बचा लिया गया।
मीना की सहपाठियों ने उसे उनकी जानें बचाने के लिए धन्यवाद दिया। किन्तु मीना ने कहा कि यह श्रेय उसकी गुड़िया को मिलना चाहिये। उसके भाई ने उसे बधाई दी और कहा, ‘‘यदि तुमने गुड़िया को ‘भूकम्प-भूकम्प' दुहराने के लिए नहीं कहा होता तो तुम सब को खोज पाना सम्भव न होता।''
मीना बहुत प्रसन्न थी। उसने अपने भाई को गुड़िया के लिए एक बार फिर धन्यवाद दिया, जिसने उनकी सारी सहेलियों की रक्षा की। उसके भाई ने उसे कहा कि यदि वह ध्यान से अध्ययन करती रही तो उसके अगले जन्मदिन पर वह उसे एक कम्प्यूटर का उपहार देगा। यह सुनकर मीना खुशी से नाचने लगी।
30 मार्च 2010
मीना की गुड़िया
Posted by Udit bhargava at 3/30/2010 07:30:00 pm
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