01 अप्रैल 2010

श्री देवी स्तुति


ॐ चंडिका को नमन करता हूँ। हे महारुद्र स्वरुप वाली, महाभयंकर पराक्रमी देव। आपको में नमस्कार कटा हूँ। हे महाबलवान शत्रु को भयभीत करने वाली महा उत्साही देवी! आप मेरा रक्षण करो। पूर्व दिशा में ऐन्द्री आग्नेय में अग्नि देवता और दक्षिण दिशा में वाराही मेरा रक्षण करो। नैऋत्व में से खड्गधारिणी देवी! मेरी रक्षा करो। पश्चिम में से वारूणी और उत्तर में कौबेरी, वायव्य में मृगवाहिनी तथा ईशान में से त्रिशूला देवी मेरी रक्षा करो। आकाश में से ब्रह्माणी और पाताल में से वैष्णवी मेरा रक्षण करो। दस दिशानों में से शववाहिनी चामुंडा देवी मेरी रक्षा करो तथा मेरे अगले भाग में जाया तथा पीठ के भाग का विजय देवी रक्षण करो। मेरी बायीं तरफ का अजिता और दायीं तरफ का अपराजिता देवी रक्षण करें। मेरे सत्व, राजस, तामस तीन गुणों का नारायणी, मरी आयुष का वाराही, मेरे धर्म, यश, कीर्ति और लक्ष्मी का वैष्णवी, मेरे गोत्र का इन्द्राणी और हे चंडिका देवी! मेरे पशुओं का आप रक्षण करो। हे भैरवी आप मेरी पत्नी का, महालक्ष्मी आप मेरे पुता का रक्षण करो। हे कल्याणी मेरे मार्ग का और हे विजय देवी! आप मेरी चारों ओर से रक्षण करो।