राम बाण लगे वह तो जाने,
प्रभु के बाण लगे वही जाने ।
अरे मूर्ख तू मन में क्या बने?
रामबाण लगे तभी तू जाने,
ध्रुव को लगा प्रहलाद को लगा ।
वे तो बैठे हरि के ठिकाने ॥१॥
गर्भवास में शुक्रदेव को लगा
ये तो वेद वचन प्रमाने ॥२॥
मोरध्वज राजा का मन हर लिया ।
हरि तोआये उसी के ठीकाने ॥३॥
आरी चलाई पुत्र के सिर पर।
पत्नी पुत्र तर गये प्रभु के धामें ॥४॥
मीराबाई पर क्रोध किया था।
राणा चले तलवार चलाने ॥५॥
विष का प्याला गिरधर पिया ।
यह तो बना अमृत के साने ॥६॥
नरसिंह मेहता क़ी हुन्डी स्वीकारी ।
ऋण को उतारा समय के सहारे ॥७॥
आगे संत अनेक पधारे ।
ऐसा धन्नो भगत उचारे ॥८॥
रामबाण लगे वही तो जानी ।
01 अप्रैल 2010
रामबाण क़ी महिमा
Posted by Udit bhargava at 4/01/2010 07:39:00 pm
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