ऐक्टियोंएक घमण्डी युवक था- सचमुच एक घमण्डी धावक और शिकारी। वह जंगल में इतनी तेजी से दौड़ सकता थाकि लोगों को वह जादूगर की तरह लगता जो कहीं तो अदृश्य हो जाये और कहीं प्रकट हो जाये। शिकारीके रूप में राज्य भरमें वह अद्वितीय था लेकिन इस मामलें में उसे श्रेय कुछ शिकारी कुत्तों को इतनी अच्छी तरहप्रशिक्षित करने के कारण मिला था कि वे निरन्तर अपने मालिक के लिए शिकार का पीछा करते औरउसे मारते या पकड़ कर ले आते।
डायनाजंगल की अधिष्ठात्री देवी थी। एक बार जब वह जंगल में घूम रही थी , उसने ऐक्टियों को हवा की सरसराहट केसमान दौड़ते हुए देखा। वह प्रसन्न और प्रभावित हो गई। वह भी जंगल में दौड़ना चाहती थी। लेकिनउसकी सखियों में उसकासाथ देने वाली या उसके साथ आँख-मिचौनी खेलनेवाली कोई नहीं थी।
डायनाने अपने साथ दौड़ने के लिए ऐक्टियों को निमन्त्रित किया। युवक रोमांचित हो उठा। एक देवीके साथ मित्रता एक गौरवपूर्ण उपलब्धि थी। वह देवी के साथ हर रोज दौड़ लगाने लगा जोदोनों के लिए बहुत मजेदार था। ऐक्टियों के शिकारी कुत्ते भी दोनों के पीछे-पीछे दौड़ते थे।
पहलेतो ऐक्टियों डायना के साथ बर्ताव में बहुत सावधान रहता था और उसके प्रति आदर का भावरखता था। लेकिन वह धीरे-धीरे उद्दण्ड होता चला गया , जैसा कि कहावत है- अधिक जान-पहचान से घटती है दोस्तीकी शान।
खेद है !!
कहानी अस्थाई तौर पर उपलब्द नही है ।
31 मार्च 2010
अपने ही शिकारी कुत्तों का शिकार
Posted by Udit bhargava at 3/31/2010 06:32:00 pm
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