01 अप्रैल 2010

श्री कृष्ण स्तुति


अजन्मे तेरे पाँव क़ी, मणिधारी प्रभु तेरे घुटने क़ी, यज्ञपुरुष तेरे जंघाओं क़ी भगवान् अच्युत तेरी कटी क़ी, हयग्रीव तेरे उदार की, भगवन केशव तेरे ह्रदय की, सूर्य भगवन तेरे कंठ क़ी, विष्णु भगवान् तेरी भुजाओं क़ी और हे ईश्वर! तेरे मस्तक ही रक्षा करे। चक्र धारण करने वाले तेरे अग्रभाग में गदाधारी भगवान् तेरे पृष्ठभाग में, धनुष और खादाग्धारी तेरे दोनों और कोनों में शंख्धारी भगवान् तेरी रक्षा करें। भगवान् उपेन्द्र तेरे ऊपर के भाग में और हलधर तेरे चारों और रहे। हृषिकेश तेरी इन्द्रियों का रक्षण करे। नारायण तेरे चित्त का और भगवान् योगेश्वर तेरे मन का रक्षण करे। पृश्नगर्भ तेरी बुद्धि का, परमात्मा तेरी आत्मा का, गोविन्द तेरे क्रीडा समय और माधव तेरे सोने के समय रक्षण करे। वैकुण्ठ भगवान् तेरे चलते समय, लक्ष्मीपति तेरे बैठते समय और यज्ञमुक भगवान् तेरे भोजन के समय तेरा रक्षण करें। भूत, प्रेत, पिशाच, यक्ष, डाकिनी, विनायक, कोहरा, खेती, ज्येष्ठा, पूतना तेरे उन्माद और अपस्माण से रक्षण करे।