1. आपके संपर्क आपको बहुत हद तक नौकरी दिलाने में मददगार साबित हो सकते हैं। अगर आप किसी संस्थान में नौकरी पाने के इच्छुक हैं तो आपको किसी ऐसे व्यक्ति से संपर्क साधना चाहिए, जो आपके लिए रास्ता बना सके। इसका तात्पर्य यह नहीं की आप गलत साधनों का प्रयोग करें। उदहारण के तौर पर एक व्यक्ति कंपनी में नौकरी करना चाहता था। जब उसने इस कंपनी का विज्ञापन देखा तो अपने संपर्क के द्वारा उसने अपना रिज्यूम उस कंपनी के प्रबंधक को दे दिया। उसने उन लोगों को भी पछाड दिया, जो उससे कहीं ज्यादा योग्य थे। इसका कारण समय पर की गयी नेट्वर्किंग तकनीक का उपयोग था। इस कंपनी के नियोक्ता का जवाब था की क्यों वह किसी और व्यक्ति के पीछे दौड़ें जब उसे सही इंसान आसानी से मिल गया है।
2. जब आप ऐसे व्यक्ति से मिलने जाएं तो पहले से ही योजना बला लें। घर से ही सारी तैयारी कर के जाएं, जिस कंपनी में आप जा रहे हैं, उसके बारे में पूरी जानकारी पहले से प्राप्त कर लें। पहले से ही सोच-विचार कर लें की उस व्यक्ति से मिलकर आप क्या कहना चाहेंगे? जैसे की आपकी योग्यता के द्वारा संस्थान को क्या फायदा हो सकता है?
3. उस व्यक्ति को भविष्य की योजनाओं को बताने के अलावा कुछ ऐसा भी बताइये जो आपकी कार्यकुशलता को भी उजागर करे। वार्तालाप को संस्थान की कठिनाइयों पर केन्द्रित करें और उन जरूरतों को पूरा करने के उपाय बताएं, जिनके बारे में ध्यान नहीं दिया गया है। इस दौरान अपनी क्षमताओं का सही प्रयोग करने से आप सबका ध्यान अपनी तरफ केन्द्रित का सकते हैं।
4. वह व्यक्ति जिसके संपर्क के द्वारा आप नौकरी प्राप्त करने में सफल रहे हैं। आपको उसका आभारी होना चाहिए। साथ ही उसे भी कुछ ऐसी जानकारी दे सकते हैं, जो उसके जीवन में काम आए।
5. आपको समय के पहले ही अपना सोर्स ढूँढने की कोशिश करनी चाहिए। कुछ लोग उस समय चौकन्ने होते हैं, जब कंपनी जाँब के लिए विज्ञापन निकालती है। दरअसल यह एक लम्बी प्रक्रिया होती है। अगर आप लगातार संस्थान या कंपनी के उचित व्यक्ति से संपर्क बना लेते हैं तो आप विज्ञापन निकलने के पहले ही नौकरी पा सकते हैं। ऐसी स्थिति में आप मात्र एक उम्मीदवार होंगे। छोटी और मझली कंपनियों में अक्सर ऐसा ही होता है।
6. हर दिन दो व्यक्तियों से संपर्क बनाने की कोशिश करें, जितने ज्यादा लोगों से मिलोगे उतने ही जाँब मिलने की संभावना होगी। मसलन फ्रेंड्स, इंडस्ट्री लीडर और अच्छे बड़े नियोक्ता आदि। दो लोगों से मिलने का मतलब सप्ताह में 10 लोगों से और महीने में चालीस नए लोगों से मिल सकते हैं। एक बात का ध्यान रखिये की मिलकर मुलाक़ात करना सबसे बेहतर तरीका होता है। यदि आप अलग-अलग शहर में हैं तो मेल, फोन या फिर पत्राचार से संपर्क बना सकते हैं।
7. तर्कपूर्ण प्रश्न ही पूछिए और अपने नेट्वर्किंग साथी को भी वार्तालाप में शामिल कीजिये। ऐसी स्थिति में सिर्फ बोलते ही मत रहिये, कोशिश अधिक से अधिक सुनने की कीजिए।
8. जब आप मिलने जाएं तो कंपनी के माहौल को देख कर ही चुनाव करें की आपको किस तरह से कपडे पहनने हैं। कपडे साफ़-सुथरे और सादगीपूर्ण पहनें। उन में ज्यादा इत्र का प्रयोग भी न करें। स्वयं को सुव्यवस्थित रखें।
9. अपने संपर्कों को कभी टूटने मत दीजिये। एक व्यक्ति जिसका लक्ष्य एक बड़े संस्थान में नौकरी पाना था, उसने उस कंपनी के इक्कीस लोगों से संपर्क साधा जब तक उसे नौकरी नहीं मिली। हर सभा के बाद अपने नेट्वर्किंग साथी को धन्यवाद पत्र जरूर लिखिए। अगर आपको मनपसंद संस्थान में नौकरी मिल गई है तो ऐसे प्रस्ताव जरूर भेजिए जो संस्थान की प्रगति में सहायक हो सकते हैं।
10. नेट्वर्किंग की तुलना हम डेटिंग से कर सकते हैं। डेटिंग में कभी पहली मुलाक़ात में शादी की आशा नहीं करनी चाहिए। उसी प्रकार नेट्वर्किंग में भी पहली मुलाक़ात में नौकरी मिल जाने की आशा नहीं करनी चाहिए। आपका काम जानकारी प्राप्त करना है। उस व्यक्ति का नाम व फोन नंबर लिख लीजिये और कोशिश करते रहिये। उससे अधिक जानकारी प्राप्त करने से नौकरी मिलने के आसार बढ़ जाते हैं। स्वयं को जोशीले, उत्साहित प्रस्तुत करें, लेकिन उसमें स्वार्थीपन न हो।
नेट्वर्किंग क्या है?
+ उन लोगों से संपर्क साधना जो आपकी सहायता कर सकते हैं।
इसका फायदा क्या है?
+ आपको वर्त्तमान या भविष्य में नौकरी दिला सकते हैं।
+ आपको उन लोगों से मिला सकते हैं, जिन्हें लोगों की जरूरत है।
+ आपको नई कंपनियों या एनी जानकारी दे सकते हैं।
भ्रम और सच्चाइयां
भ्रम : आपको केवल उन्हीं लोगों से संपर्क साधना चाहिए जो आपकी मदद कर सकते हैं।
सच्चाई : स्वयं को सीमित मत करिए। अपनी सोच को संकीर्ण मत होने दीजिये। आपको नौकरी दिलाने में कोइ भी सहायक हो सकता है।
भ्रम : नेट्वर्किंग स्थापित करने के लिए केवल सही व्यक्ति को जानना जरूरी है।
सच्चाई : यह आप पर निर्भर करता है की आप को संपर्क किस तरह से मदद करते हैं।
भ्रम : अजनबी आपको नौकरी दिलाने में असहाय होते हैं।
सच्चाई : अगर आपने अपना प्रस्ताव सही तरीके से रखा है तो ज्यादा से ज्यादा लोग आपकी मदद करते हैं।
अपने संपर्कों की सूची बनाएं. अपनी सूची को पिरामिड के आकार में बनाएं, जिसके तीन स्तर हों।
पहला : इसमें वे लोग आते हैं जिन से हमारा संपर्क लगातार बना रहता है। हम इन से आसानी से बात भी कर सकते हैं। इनमें हमारे रिश्तेदार, पड़ोसी और दोस्त आते हैं। इस सूची में दस से पंद्रह लोग हो सकते हैं।
दूसरा : इस स्तर में सहकर्मी और परिचित लोग आते हैं जिनसे आप कभी-कभी मिलते हैं और आप से व्यावसायिक तौर पर जुड़े हैं।
तीसरा : इस स्तर में आने वाले लोगों से संपर्क साधने में सबसे ज्यादा कठिनाई होती है। इसमें वे लोग आते हैं, जो आपके लिए अजनबी हैं और उनके बारे में पहले और दूसरे स्तर के लोगों से सुना है या अखबार या टेलीफोन निर्देशिका में पढ़ा है।
अब जब आपने अपने संपर्कों की सूची बना ली है तो डेटाबेस तैयार कीजिये -
नेटवर्क डेटाबेस :-
निम्नलिखित जानकारी होना जरूरी : नाम, शीर्षक, संस्थान का पता, व्यवसाय का पता, घर का पता, दूरभाष, फैक्स नंबर, ईमेल का पता, संपर्क की प्रकृति, दूसरे संस्थान और लोगों के नाम, कौन सा व्यक्ति कितना ज्यादा महत्वपूर्ण है।
इसके अलावा और भी कई तरह से यह मददगार साबित हो सकता ह।
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