जब भी लक्ष्य तय करो, उसके लिए जुनूनी होना होगा। नाकामियों का आप पर नकारात्मक असर नहीं होना चाहिए। लक्ष्य को हासिल करने में कितना समय लग रहा है, उससे विचलित होने की जरूरत नहीं है।
जुनून : जीवन में किसी भी काम के लिए जूनून होना बहुत जरूरी है। मैं अपने जीवन में इसे बहुत महत्व दिया है। जब भी लक्ष्य तय करो, उसके लिए जुनूनी होना होगा। नाकामियों का आप पर नकारात्मक असर नहीं होना चाहिए। लक्ष्य को हासिल करने में कितना समय लग रहा है, इससे विचलित नहीं होना चाहिए। वर्ष 1996 में मैंने मैनेजमेंट कंसल्टेंसी ग्रुप प्लानमैन शुरू किया था। पहले साल इसके जितने डिवीजन खोले, वे सब अगले साल बंद हो चुके थे। मैंने एक पत्रिका शुरू की थी, एक टीवी प्रोडक्शन सिवीजन था, एक मीडिया मार्केटिंग डिवीजन था, लेकिन उस विफलता से मैंने अपनी पहल रोकी नहीं। नाकामी के बाद आप तय करें की अब अगला कदम क्या हो सकता है। हमें खुद अपने अन्दर से प्रेरणा लेने की क्षमता विकसित करनी होगी। प्रेरणा के लिए दूसरों पर निर्भर हो कर कामयाबी कभी नहीं हासिल हो सकती। सभी कामयाब लोग Self motivated होते हैं। आम तौर पर हम सोचते हैं की जिनको सफलता की जरूरत ज्यादा होती है, वे ज्यादा बड़े खतरे मोल लेते हैं, लेकिन हकीकत ठीक उल्टी । जब आप बड़े खतरे मोल लेते हैं तो विफलता और फिर उससे Demotivated होने की आशंका भी बढ़ जाती है। मैंने अपनी शुरूआती गलतियों के बाद इस बात को और अच्छी तरह से समझ लिया है की हमने अगर कामयाबी हासिल करनी है तो हमेशा Calculated risk ही लेनी होगी। हालांकि लक्ष्य बहुत आसान भी नहीं हो और चुनौती बनी रहे।
रिश्ते : अपनी ही और से बनाए गए श्रेष्ठता के पैमाने से मुकाबले करते रहना चाहिए। नहीं तो आपको हमेसा अपनी जिन्दगी और अपने अस्तित्व पर दुःख होगा। खुशी की तुलना दूसरों से नहीं करनी चाहिए। इससे आपके विफल होने की आशंका ज्यादा बढ़ जाएगी। मेरे लिए Excelence क्या हो यह खुद तय करना है। दूसरों को क्या हासिल हुआ है इससे मुझे प्रभावित नहीं होना । रिश्तों को दीर्घकालिक। दोस्तों, रिश्तेदारों के साथ बनाए ऐसे रिश्ते आपको बहुत मदद पहुंचा सकते । जिन लोगों के उपलब्धि की कामना होती है। उनके अन्दर एक ख़ास किस्म का स्पार्क होता है। ऐसा व्यक्ति टिकाऊ रिश्तों में भरोसा करेगा। आखिरकार हम सामाजिक प्राणी हैं। यह ठीक है की हम अपने लक्ष्य के प्रति समर्पित हैं और हमें प्रेरणा लेने के लिए भी किसी की जरूरत नहीं है लेकिन इसके बावजूद हम बिलकुल अकेले नहीं चल सकते। हमें एक भावनात्मक सहयोग की जरूरत होती है।
लीडरशिप : मैंने अपने संस्थान की पिछली सालाना बैठक में एक ही एजेंडा पेश किया। मैंने यहाँ काम करने वाले सभी लोगों से सिर्फ यही कहा की अगली मुलाक़ात में मुझे आप सब यह बताएं की आपने इस दौरान कितने लीडर बनाए। एक सफल लीडर वही है जो दूसरा सफल लीडर पैदा कर सकता है। अगर आप आगे बढना चाहते हैं तो आपको लीडर पैदा करने। ऐसे लोग पैदा करने होंगे, जो आपकी जगह ले। 1996 में जब मैंने प्लानमैन कंसल्टेंसी शुरू की थी, तब हम पांच लोग थे. आज हम 300 लोग हैं और यहाँ 15 डिवीजन हैं। अगर मैं चाहूं की सभी 15 डिवीजन के काम मैं खुद संभालूँगा, तो यह मुमकिन नहीं हो सकता। मुझे अपने साथ ऐसे लोग विकसित करने होंगे, जो अपने फैसले खुद ले सकें। मेरे साथ काम करने वाले बहुत-से लोग हैं और वे भी अपनी टीम का नेतृत्व कर रहे हैं।
एक्स्ट्रा स्ट्रोक : लोग सोचने लगते हैं की उनके पास जितने उत्पाद होंगे, वे उतनी ही खुश होंगे। आज पूरी मानवता इस समस्या से प्रभावित है। लोग ज्यादा से ज्यादा सामान हासिल करने को ही सफलता मानने लगे हैं। लेकिन उत्पादों से पैदा होने वाली खुशी और संतोष बहुत थोड़े समय के लिए होती है। आज अगर आप 29 इंच का कलर टीवी घर लाए हैं तो तीन दिन तक बहुत उत्साह रहेगा। चौथे दिन आप शायद टीवी चलाना भूल जाएंगे और फिर अगले साल आप सोचेंगे की होम थिएटर कैसे खरीदा जाए। उत्पाद का उपभोग उसकी कीमत घटाता है, वह उतनी ही कम पसंद आने लगेई है। इससे हमारा दिमाग अस्थिर होता है और कभी संतुष्टि नहीं मिलती. हम अपने लक्ष्य से भटक जाते हैं। जबकि रिश्ते, किताबें, पेंटिंग, संगीत और प्रकृति जैसी चीजें ऐसी होती हैं, जिनसे आप जितना अधिक नजदीक जाएंगे, उतना अधिक प्यार करेंगे। अगर कल को इतना पैसा हो जाए की और बड़ा टीवी खरीदा जा सकता है तो मैं लें आउंगा, लेकिन उसको अपना लक्ष्य नहीं बनाया जा सकता. अपने खुद के बनाए आदर्श को छूना है और फिर पीछे छोड़ना है। मेरा लक्ष्य नहीं होना चाहिए।
सफलता = जूनून + रिश्ते + लीडरशिप
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अरिंदम चौधरी, मैनेजमेंट गुरू, मोटिवेटर
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