न-एजर्स यानी भरपूर जोश, कुछ नया, अलग करने की चाह। जो चीज जैसी है उसे ज्यों का त्यों न स्वीकारने की आदत। समय से आगे निकलने की जिद्द। खुद को सही साबित करें का जूनून। सबको प्रभावित करने की चाहत आदि और न जाने क्या-क्या। ऐसा ही कुछ होता है जब बच्चा टीन-एज में कदम रखता है यानी 13 से 19 साल तक की उम्र जीता है।
यह एक ऐसी उम्र होती है जिसमें मासूमियत भी होती है, तो चालाकी भी। ऐसे में बच्चे न केवल जोश और ऊर्जा से, बल्कि अनेक प्रकार के हुनर से भी भरे होते हैं। हर चीज को अपना द्रष्टिकोण देना उनका स्वभाव बन जाता है। जिसके पीछे उनका अपना ही मनोविज्ञान व तर्क होता है जो उनकी बदलती सोच और अंदाज को दर्शाता है। लेकिन आज का 'टीन' पहले की तरह नहीं है। इनकी सोच जितनी गंभीर है उतनी ही संवेदनशील भी। आईये जानते हैं जीवन के कई अहम विषयों पर टीन-एजर्स की राय, उनकी औसतन प्रतिक्रया व सोच कुछ इस तरह हैं।
मनी
टीन में रूपये-पैसे को लेकर गहन आकर्षण है। यह मानते हैं कि पैसे के बिना कुछ सम्भव नहीं। यहाँ तक कि आज अपने काम निकलवाने तक के लिये भी पैसे का होना जरूरी है। स्कूल-काँलेज में जो बच्चा अपने फ्रेंड्स को अधिक केंटीन ले जाता है, घुमाता-फिराता है, उपहार आदि देता है, उसका सबमें रूतबा ही कुछ और होता है। जिसके चलते उनमें आत्मविश्वास भी बढ़ता है।
लेकिन इस पैसे के महत्व को देखते हुए वह अपने करियर के प्रति काफी सतर्क और जागरूक अवश्य हुए हैं। इस लिये वह स्कूल-काँलेज के साथ ट्यूशन पढ़ाने या पार्ट टाइम जाँब करने की भी सोचते हैं ताकि अपनी पांकेट मनी निकाल सकें और आत्मनिर्भर हो सके।
कंरियर
आज का टीन मानता है कि कंरियर नहीं तो कुछ नहीं। हमें अपनी अलग पहचान बनानी है। जो हमारे बाप-दादाओं ने किया वह उनका अपना था, हमें कुछ करना है, बैठकर नहीं खाना, कमाना भी है। और कमाना ही नहीं है बल्कि अपना अलग स्टेटस भी बनाना है। किस पढ़ाई से, किस कोर्स से क्या लाभ है उसे कब और कहाँ से करना है, सबके बारे में जागरूक है।
मैरेज
यह उम्र घोर आकर्षण की होती है, जिसमें टीन अपने से विपरीत लिंगी की ओर आकृष्ट होता है। वह साथी के साथ की अधिक से अधिक इच्छा रखता है, लेकिन शादी कर के खुद को बाँधना नहीं चाहता। टीन्स का मानना है कि विवाह के बाद इंसान कि 'लाइफ ब्लांक' हो जाती है और लम्बे समय तक किसी के पार्टनर के साथ परमानेंटली रहना, उन्हें गवारा नहीं। इसलिए एक तौर पर वह विवाह जैसे संस्कार से बचना चाहते है और टेंशन फ्री लाइफ जीना चाहते हैं और यदि वह भविष्य में विवाह की इच्छा रखते है तो केवल इस कारण से कि 'ऐसा घर-परिवार एवं समाज में सदियों से होता आया है। इसलिए उन्हें भी करनी पड़ेगी' वरना विवाह उनकी कोई निजी पसंद नहीं है।
सेक्स
सेक्स के प्रति टीन-एजर्स का रवैया बहुत बदला है। उनकी सोच इसके प्रति सकारात्मक हुई है। वह सेक्स को मूड फ्रेश का जरिया मानते हैं। विवाह से पूर्व सेक्स इनकी नजर में साधारण है। सच तो यह है टीन्स की नजर में प्यार, जवानी और सुख की यही परिभाषा है। वह मानते हैं सेक्स प्यार को इजहार करने का तरीका है। सच तो यह है टीन्स की फेंटसी का सेक्स एक अहम हिस्सा है।
सेक्स का अधूरा व गलत ज्ञान बच्चों को भटका सकता है। सेक्स से सम्बंधित जिज्ञासाओं का शांत होना बहुत जरूरी है। इस बात को टीन्स समझते हैं तभी तो अपने अध्यापकों एवं परिवार वालों के समक्ष इस विषय पर खुलकर बात कर लेते हैं।
धर्म-अध्यात्म
धर्म एवं अध्यात्म की बातें टीन्स के गले कुछ कम ही उतरती है। उनका मानना है पूजा-पाठ, मन्दिर-तीर्थ आदि सब बुजुर्गों का काम है। मन्दिर एवं पूजा-पाठ में यदि थोड़ा बहुत रूझान भी है तो वह या तो घरवालों के आग्रह के कारण या फिर भगवन के भय के कारण। वरना आज का टीन हर चीज का वैज्ञानिक आधार जानना चाहता है। किसी भी कर्मकांड को तभी करने में विश्वास करता है जब वह उसे अपने अनुभव में ले लेता है। चमत्कार और जादू में कम ही विश्वास करता है।
परंपरा- संस्कृति
आज का टीन लकीर का फ़कीर नहीं है। उसे इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि सदियों से परम्परा के नाम पर क्या और क्यों चला आ रहा है। सच तो यह है उसका आकर्षण भारतीय संस्कृति से ज्यादा पाश्चात्य संस्कृति की ओर अधिक है। वह उनकी परम्परा को अपनाना अपनी शान समझता है। भारत की परम्परा उसे पिछडी, पुरानी और दकियानूसी लगती है।
रीति-रिवाजों को निभाना आज के टीन्स महज एक सिरदर्दी समझते हैं। उन्हें यह सब व्यर्थ का दिखावा लगता है। टीन्स का मानना है कि कोई भी काम तब करना चाहिए जब मन हो या फिर जरूरी हो। आपसी होड़ या चलन के नाम पर या फिर 'लोग क्या कहेंगे' इस भय से परम्पराओं को निभाया गलत है।
लाइफ स्टाइल
आज के टीन-एजर्स को सिंपल लाइफ पसंद नहीं। वह हर चीज में स्टाइल और ग्लैमर चाहते हैं। फिर खाना-पीना हो या रहन-सहन। साधारण और सहज रहना जैसे उन्हें पसंद ही नहीं। हर चीज को कम समय में, जल्दी करना इनकी आदत होती है। हर परिश्रम का शीघ्र परिणाम चाहते हैं। ध्यान और योग नहीं डिस्को और शाँपिंग पसंद होता है इन्हें। घर बैठना या एक जगह टिककर बैठना इन्हें पसंद नहीं होता। रिश्तेदारों एवं घरवालों से ज्यादा प्रिय इन्हें अपने दोस्त होते हैं।
खतरों से खेलना व हैरत-अंगेज काम करना, नियमों को ताड़ना या कहना न मानना इन्हें अच्छा लगता है। टीन्स भोजन भी फास्ट फ़ूड चाहते हैं। पूरी दुनिया को इंटरनेट और मोबाइल के जरिया अपनी मुठ्टी में करना चाहते हैं। बाइक की माँडिफिकेशन हो या उसकी स्पीड दोनों को ही टीन्स युवा होने की पहचान बताते हैं। स्कूटर या साईंकिल को चलाना तो अपनी शान के खिलाफ समझते हैं। जल्दी सोने-उठने के बजाये यह देर से सोना-उठना पसन्द करते हैं।
देश प्रेम
जहाँ कभी देश के युवा या टीन्स देशभक्ति की भावना से लबरेज होते थे, वहीं आज के टीन्स ठीक उसके विपरीत हैं। उन्हें न तो देश की फिक्र है, न ही देशवासियों की। समाज व देश के प्रति उनके क्या कर्त्तव्य एवं जिम्मेदारियां हैं यह जानना तो दूर की बात है अपने देश का राष्ट्रगान तक उन्हें याद नहीं।
यदि आज का टीन राजनीति से लगाव रखता भी है तो सिर्फ भविष्य में सत्ता पाने के लिये, देश व देश की समस्याओं से उसे कोई सरोकार नहीं और तो और आज का अमूमन हार पढ़ा-लिखा टीन पढ़-लिखकर भविष्य में विदेश में ही सेटल होने का ख्वाब देखता है।
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