04 अप्रैल 2010

गुरुस्पीक्स - असफलता से डरें नहीं

संसार में आलोचकों की तो कोई कमी नहीं हैं लेकिन उन लोगों का सदा अकाल ही रहता है जो हमारे सर्वश्रेष्ठ प्रदशन पर खुलकर तारीफ़ कर सकें। कम से कम आप तो किसी की सही तारीफ़ का कोई भी मौक़ा न गवाएं। तारीफ़ करने में बिलकुल न हिचकें। इससे उस व्यक्ति को तो प्रोत्साहन मिलेगा ही, वह आपको अपना शुभचिंतक ही समझेगा।

जीवन का आनंद हमारे विचारों में ही निहित रहता है। तब तक हम अंदर से आनंद महसूस नहीं करेंगे, बाहर भला दूसरों से कैसे बाँट सकते हैं। हमारे पास इश्वर का दिया ऐसा बहुत कुछ है जिसके लिये हमें उसका कृतज्ञ होना चाहिए। परम पिता क़ी कृपा का सम्मान कीजिये और सदैव प्रसन्न रहने का प्रत्यं कीजिये। प्रसंता बड़े-से-बड़े तनाव को मिटा सकती है। आपके पास बहुत कुछ होता है प्रसन्न रहने को। शेक्सपियर ने कहा है, 'यदी किसी गुण का अभाव है तो भी मान लो क़ी वह तुम में है।'

इसके पिव्रीत, नकारात्मक एवं निन्दात्मक रहने दुखी रहने की पहली सीढी है। खुश रहने का एक दूसरा उपाय है, साधारण से हटकर अपना काम दिखाना, जिसमें, कुछ विशिष्टता व विलक्षणता रहे। यदी आप अपने काम के प्रति प्रतिबद्ध और उतकृष्टता के प्रति निष्ठावान रहेंगे तो आप भी ऐसे करिश्मे जरूर दिखा सकते हैं। आम आदमी साधारणता के प्रति इतना समर्पित हो जाता है क़ी उसके ऊपर उठकर कुछ प्राप्त करने की छह ही नहीं रखता।

समस्याएं तो हर एक के जीवन में आती हैं। इनके समाधान के लिये सारे संभव हल एक कागज़ पर लिख लें। फिर उनमें से जो सबसे ज्यादा सही और सुलभ लगे, उसका प्रयोग करें। यदि आप सही मात्र में सही समय पर सही काम करते हैं तो सफल होना कोई कठिन काम नहीं है। योग्यताओं का जितना अधिक इस्तेमाल होगा, उतनी ही वह निखरेगी। अगर कोई तरीका कारगर साबित न हो, दूसरा अपनाएं। असफल होने पर पछताने के बजाय आगे देखें।



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