आज के आधुनिक युग में जब लड़कियाँ हर कदम पर खुद को लड़कों से बेहतर साबित कर रही हैं, तब भी अनेक ऐसे परिवार हैं जो लड़के की चाह रखते हैं। घर के चिराग की चाहत में ये लोग कन्या भ्रूण हत्या से लेकर, तथाकथित बाबाओं और फर्जी डॉक्टरों के चक्कर में फँस जाते हैं। आस्था और अंधविश्वास की इस कड़ी में हमारा मुद्दा भी यही है।
इस कड़ी में हम आपकी मुलाकात एक ऐसे व्यक्ति से करवा रहे हैं जो दावा करता है कि उसकी दवाई का सेवन करने के बाद शर्तिया लड़का ही होगा। जी हाँ, पवन कुमार अजमेरा नामक यह शख्स पेशे से आयुर्वेदिक डॉक्टर है और दावा करता है कि यह कोख में ही बच्चे का लिंग निर्धारण कर सकता है।
इंदौर के गाँधीनगर में इस व्यक्ति का क्लिनिक है जहाँ की दीवारों पर शर्तिया लड़का पैदा करवाने के दावे लिखे हुए हैं। शर्तिया लड़का पैदा करवाने का दावा करने वाले इन महाशय का यह भी कहना है कि उनकी दवाई उसी महिला पर असर करेगी जिसकी पहले से एक बेटी हो और उनके पास इलाज के लिए आते समय इस बात का प्रमाण साथ लाना भी बेहद जरूरी है।
बड़े-बड़े दावों के बीच पवन कुमार का यह कहना है कि वे अभी तक तीन सौ महिलाओं की गोद में लड़के डाल चुके हैं। उनके द्वारा दी गई दवाइयों को गाय के दूध के साथ सेवन करने पर महिला को शर्तिया बेटा ही होगा। अब हमारे समाज में जहाँ बेटे को ही घर का चिराग समझा जाता है वहाँ इस तरह के दावों पर विश्वास करने वाले लोगों की कमी नहीं है।
इसलिए इन महाशय का धंधा भी खूब चमक रहा है। क्लिनिक पर चक्कर लगाने वाले लोगों में से कुछ दावा करते हैं कि पवन कुमार की दी गई दवाइयों के सेवन से ही उन्हें लड़का हुआ है। इन्हीं में से एक मोहनी उपाध्याय का कहना है कि मुझे एक बिटिया है, मैं दूसरा बेटा चाहती थी। मुझे इस क्लिनिक का पता चला तो यहाँ आ गई। डॉक्टर साहब की दवाई के बाद ही मुझे बेटा हुआ है।
पवन कुमार जैसे लोग कितने भी दावे कर लें लेकिन असली डॉक्टर इन दावों को सिरे से नकारते हैं। शिशु रोग विशेषज्ञ डॉक्टर मुकेश बिड़ला ने वेबदुनिया को बताया कि ऐसे दावे लोगों को मूर्ख बनाने के सिवा और कुछ नहीं। विज्ञान के नजरिए से देखें तो अभी तक कोख में लिंग निर्धारण संभव ही नहीं है।
असली डॉक्टरों के नकारने के बाद भी इन आयुर्वेदाचार्य का धंधा खूब चमक रहा है। बेटे की चाहत में ग्रसित लोग इनके दरवाजे के चक्कर काटते रहते हैं।
लेकिन आश्चर्य की बात तो यह है कि पूरे देश में जहाँ लड़कियों की जन्मदर तेजी से गिरती जा रही है और सरकार की तरफ से जन्मपूर्व लिंग परीक्षण को गैरकानूनी करार दिया जा चुका है, वहीं मध्यप्रदेश की व्यावसायिक राजधानी माने जाने वाले इंदौर में शर्तिया लड़के पैदा करवाने का यह गोरखधंधा क्लिनिक के नाम पर बेरोकटोक चल रहा है और प्रशासन आँखें मूँदे बैठा है।
06 अप्रैल 2010
शर्तिया बेटा ही होगा...
Labels: आस्था या अन्धविश्वास
Posted by Udit bhargava at 4/06/2010 07:38:00 pm
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