व्यावसायिक स्थल में कार्यालय के लिए दक्षिण-पश्चिम दिशा (नैर्ऋत्य कोण) को अति उत्तम माना गया है। कार्यालय के अंदर उद्योगपति की कुर्सी दक्षिण-पश्चिम दिशा में इस प्रकार रखी जाए कि बैठते समय उसका मुख उत्तर-पूर्व दिशा की ओर रहे। इसका सैद्धांतिक कारण यह है कि नैर्ऋत्य कोण पृथ्वी तत्व का क्षेत्र है। अतः इस स्थान पर बैठने से व्यक्ति की विवेकशक्ति तथा निर्णयक्षमता सुदृढ़ होती है। कुर्सी के पीछे ठोस दीवार होनी चाहिए, किंतु कोई खिड़की या झरोखा नहीं हो। यदि हो, तो उसे स्थायी तौर पर बंद कर देना चाहिए। कुर्सी की पुश्त ऊंची हो ताकि बैठने वाले को ठोस सहारा मिल सके। कुर्सी में हैंडल होना बहुत जरूरी है ताकि काम करने में असुविधा न हो। दीवार पर पर्वत का चित्र लगाना चाहिए, किंतु चित्र में पर्वत का आकार नुकीला न हो बल्कि कछुए की पीठ की भांति ढलवां हो।
अगंतुकों के बैठने की व्यवस्था पूर्व या उत्तर दिशा में करनी चाहिए, जहां छत कोई बीम नहीं हो। अन्यथा व्यक्ति के मानसिक तनाव से ग्रस्त तथा उसकी निर्णयक्षमता के प्रभावित होने का भय रहता है। अगर बीम हटाना संभव न हो तो एक फॉल्स सीलिंग लगाना चाहिए। इससे बीम के दुष्प्रभाव कम हो जाते हैं।
कैश बॉक्स या कीमती सामान की अलमारी दक्षिण की दीवार के साथ इस प्रकार रखी चाहिए कि उसका मुंह उत्तर दिशा की ओर ख्ुाले। इससे आय में वृद्धि होती है।
टेलीफोन और फैक्स उपकरण पूर्व दक्षिण भाग (आग्नेय कोण) या उत्तर-पश्चिम भाग (वायव्य कोण) में रखना चाहिए। जल से संबंधित वस्तुएं जैसे पानी का गिलास, चाय का कप आदि टेलीफोन या फैक्स के पास न रखें। कंप्यूटर को मेज पर हमेशा दायीं ओर रखें।
दीवार घड़ी को उत्तर-पूर्व दिशा की तरफ दीवार पर लगा सकते हैं। इसके पीछे धारणा यह है कि ग्रहों के राजा सूर्य का उदय इसी दिशा में होता है। भविष्य की परियोजनाओं का विवरण भी इसी दीवार पर लगाना चाहिए ताकि उद्योगपति को उसका उद्देश्य सदा स्मरण रहे।
टेबल के ऊपर पूर्व दिशा में ताजे फूलों का गुलदस्ता रखें। टेबल के ऊपर दक्षिण-पूर्व में छोटा सा हरा-भरा और स्वस्थ पौधा रखें, इससे व्यक्तित्व का विकास होता है और उन्नति के नए मार्ग खुलते हैं। नैर्ऋत्य कोण (दक्षिण-पश्चिम) में क्रिस्टल बॉल रखना चाहिए, इससे कर्मचारियों से संबंध मधुर बने रहते हैं। अगर कार्यालय में फिश एक्वेरियम रखना चाहें, तो पूर्व, उत्तर या उत्तर-पूर्व दिशा में रखें। दरबाजे के खुलने या बंद होने के समय चरमराहट की आवाज नहीं होनी चाहिए। इससे अशुभ ऊर्जा उत्पन्न होती है तथा शक्ति क्षीण होती है। दीवारों पर अधिक गहरे रंगों का प्रयोग नहीं करना चाहिए, अन्यथा उत्तेजना और तामसिक विचारों के उत्पन्न होने का भय रहता है। कुर्सी के पीछे की दीवार पर व्यवसाय के संस्थापक या पे्ररणास्रोत का चित्र लगाना चाहिए।
इस तरह ऊपरवर्णित उपाय अत्यंत प्रभावशाली हैं। इनके अनुरूप किसी उद्योग या व्यवसाय के कार्यालय को वास्तुसम्मत बनाने से उसकी वांछित उन्नति की प्रबल संभावना रहती है।
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