वास्तु दोष क्या है?
किसी भी स्थान के आकार, आकृति या आंतरिक सज्जा के वास्तु नियमों के अनुरूप न होने पर, वहां पंचतत्वों की लाभप्रद ब्रह्मांडीय ऊर्जा का असंतुलन या अभाव हो जाता है। यही वास्तु दोष है। साधारण लगने वाला यह असंतुलन मनुष्य के जीवन में उथल पुथल मचा देता है और इसका निवारण न करने पर उसे जीवनपर्यंत कष्टों, बाधाओं एवं व्याधियों का सामना करना पड़ता है।
कैसे हो वास्तु दोष का निवारण?
किसी भूखंड पर किसी भी तरह का निर्माण करने से पूर्व यह देख लेना चाहिए कि वह वास्तुसम्मत है या नहीं। यदि नहीं हो, तो योग्य वास्तुविद के परामर्श के अनुसार उपयुक्त उपाय अपनाकर उसे वास्तुसम्मत कर लेना चाहिए।
क्या उपयुक्त वास्तु भाग्य बदल सकता है?
एक प्रश्न अक्सर पूछा जाता है कि क्या वास्तुसम्मत भवन निर्माण से भाग्य को बदला जा सकता है? यह स्वाभाविक भी है। इसके उत्तर में यहां यह स्पष्ट कर देना समीचीन है कि वास्तु शास्त्र के सिद्धांतों के अनुरूप भूमि, भवन एवं वस्तुओं का प्रयोग कर मनुष्य प्राकृतिक ऊर्जा एवं शक्ति को अपने अनुकूल बना सकता है। वास्तुसम्मत निर्माण एवं उसमें परिवर्तन के फलस्वरूप, पंचतत्वों की ऊर्जा का समुचित संचार मनुष्य के मस्तिष्क एवं शरीर में होने लगता है। फलतः उसके निर्णय एवं कर्म भी शुभ और सही होने लगते हैं, जिससे उसके भाग्य के उसके अनुकूल होने की संभावना प्रबल हो जाती है। इससे स्पष्ट हो जाता है कि वास्तुशास्त्र के सिद्धांतों के अनुरूप भवन निर्माण या उसमें परिवर्तन कर भाग्य को बदला जा सकता है।
वास्तु दोष निवारण एवं परिणाम
साधारणतः लोग वास्तु-दोष सुधार के पश्चात्, तुरंत किसी चमत्कार की अपेक्षा करने लगते हैं, जो उचित नहीं है। किसी स्थान पर वास्तु सुधार के पश्चात्, वहां व्याप्त दीर्घकालीन नकारात्मक ऊर्जा के उन्मूलन में कुछ समय अवश्य लगता है। नकारात्मक ऊर्जा के उन्मूलनके पश्चात ही सुखद परिणाम प्राप्त होने लगते हैं, जो चिरकालिक होते हैं।
जहां तक व्यावसायिक एवं आर्थिक कठिनाइयों एवं असफलताओं का प्रश्न है, सुधार के तुरंत बाद स्थिति का खराब होना प्रायः रुक जाता है और सूक्ष्म रूप से सकारात्मक परिणाम प्राप्त होने लगते हैं। फिर धीरे-धीरे प्रगति एवं सफलता का मार्ग प्रशस्त होने लगता है। परंतु देखा गया है कि स्वास्थ्य, अध्ययन, स्वभाव, अदालती मामलों, वैवाहिक जीवन, पारिवारिक परिस्थिति आदि के सुधार में कुछ अधिक समय लगता है।
अक्सर देखने में आता है कि वास्तु विशेषज्ञ एक ही निरीक्षण में संपूर्ण सुधार एक साथ करने का निर्देश देकर चले जाते हैं। ऐसे में दोषों की गंभीरता एवं गृहस्वामी की अनेकशः विवशताओं के कारण, सभी सुझावों का आनन-फानन में कार्यान्वयन संभव नहीं होता। फलतः अधिकांश लोग असमंजस की स्थिति में आवश्यक सुधार भी नहीं करवा पाते और समस्याएं ज्यों की त्यों बनी रह जाती हैं।
वस्तुतः किसी भवन, फ्लैट, दुकान, कार्यालय या उद्योग में वास्तु दोषों के निवारण से सकारात्मक ऊर्जा का संचार आसानी से होने लगता है, जिसका सीधा असर वहां के लोगों की मानसिकता पर पड़ता है। इसके फलस्वरूप अन्य दोषों का सुधार भी स्वतः होने लगता है। इस तरह पंचतत्वों की पूर्ण समानुपातिक ऊर्जा के स्थायी प्रवाह के परिणामस्वरूप स्थिति सहज और सुखद हो जाती है।
यहां यह स्पष्ट कर देना उचित है कि भूखंड और भवन में व्याप्त वास्तु दोषों का निवारण अनुभवी वास्तु विशेषज्ञ के परामर्श के अनुसार करना चाहिए। साथ ही किसी विद्वान ज्योतिषी के मार्गदर्शन में शास्त्रोक्त विधि से आस्थापूर्वक ग्रह-शांति का कार्य किसी योग्य व्यक्ति से कराना चाहिए।
कुछ अति प्रभावशाली वास्तु टिप्स
1. ईशान दिशा को सदैव शुद्ध, स्वच्छ तथा अन्य दिशाओं की अपेक्षा नीचा रखें। इस दिशा में लाल या नारंगी रंग का इस्तेमाल न करें।
2. उत्तर-पूर्व के दरवाजे और खिड़कियों को प्रातःकाल खोलकर रखें ताकि घर में सकारात्मक ऊर्जा एवं सूर्य की किरणों का प्रवेश हो सके।
3. दक्षिण-पश्चिम की दिशा को सदैव अन्य दिशाओं की अपेक्षा भारी एवं ऊंचा रखें।
4. अपराह्न से सूर्यास्त तक दक्षिण-पश्चिम के दरवाजे और खिड़कियों को बंद रखें अथवा उन्हें परदे से ढक दे।
5. घर या कार्यालय में जंगली पशु-पक्षी, उदास स्त्री, युद्ध एवं समुद्र मंथन के चित्र और शो-पीस कदापि न लगाएं।
6. नदी, पहाड़, झरने आदि के चित्र भी वास्तुसम्मत स्थान पर ही लगाएं अन्यथा वे अनर्थकारी हो सकते हैं।
7. अनावश्यक वस्तुओं एवं उपकरणों का जहां-तहां अंबार न लगाएं। ये सकारात्मक ऊर्जा के प्रभाव में गतिरोध उत्पन्न करके कठिनाई एवं बाधा
खड़ी करते हैं।
8. वातावरण में व्याप्त शब्द-प्रदूषण को दूर करने हेतु रोज सुबह वैदिक मंत्रों का जप एवं प्रार्थना अवश्य करें अथवा उनका टेप या सीडी सुनें।
9. ईशान में पूजागृह की स्थापना को लेकर भ्रमित न हों। पूजागृह उत्तर एवं पूर्व में भी अत्यंत फलदायी होते हैं।
10. फर्श और सीढ़ियों पर लक्ष्मी जी के चरण, स्वास्तिक तथा क्क के स्टीकर कदापि न लगाएं।
11. बंद घड़ियां कदापि न रखें, इनका रुका हुआ समय सौभाग्यवृद्धि में रुकावट पैदा करता है।
bahut achchee jankari hai.
जवाब देंहटाएंabhaar.
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जवाब देंहटाएंHome on South Face so please Say me how to modify 1BHK, Puja Ghar, Toilet, Bathroom, Saptik Tank, Bore, Underground Water Tank, Open Place (Aangan)
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