07 अप्रैल 2010

बुरी नजर

संसार के लगभग सभी देशो मे बुरी नजर लगाने के प्रभाव को जाना जाता है। जीवित प्राणियो पर ही नही वरन्‌ निर्जीव पदार्थ पर बुरी नजर लगाने पर विकारग्रस्त हो जाते है। सुन्दर वस्तुएं खो जाती है, नष्ट हो जाती है। यहां तक कि सुन्दर प्रतिमा बुरी नजर के प्रभाव से खंडित होती देखी गई है। बिना किसी पूर्व रोग के एकाएक बच्चा बीमार पड़ जाता है। दुधारू पशु-गाय, भैंस आदि को जब बुरी नजर लग जाती है, तो उसका दूध सूख जाता है।

बुरी नजर लगाने का आशय यह हैं कि जब कोई व्यक्ति अत्यधिक दुर्भावना या आकर्षण से एकाग्र होकर किसी व्यक्ति या वस्तु को देखता है, तो उसकी बेधक दृष्टि उस वस्तु पर दुष्प्रभाव डालती है। भूखे व्यक्ति की कुदृष्टि आपके भोजन को विषैला बना सकती है। अतः भोजन जहां तक हो सके, अजनबियों के बीच न करें।

आमतौर पर बुरी नजर का प्रभाव कोमल चित वाले, बच्चो, महिलाओं और पालतू जानवरो पर देखा जाता है। इसके अलावा मकान, उद्योग, व्यापार, वाहन, दुकान आदि पर भी बुरी नजर का असर होता है। बच्चो पर बुरी नजर का प्रभाव शैशवावस्था मे अधिक होता है बुरी नजर के प्रभाव से अच्छा भला बच्चा देखते देखते ही बीमार पड़ जाता है। वह दूध पीना छोड़कर अधिक रोता है, चिड़चिड़ा हो जाता है, ज्वर आ जाता है। उसकी आखे चढ़ी हुई सी रहती है। पलको की बरोनियां खड़ी तथा मुहं से खटटी गंध आने लनती है। अपच की शिकायत हो जाती है।

महिलाओं पर बुरी नजर का प्रभाव विवाह के समय, गर्भावस्था में बच्चा होने के बाद के समय में बच्चा होने के बाद के समय में अकसर होता है। वयस्क व्यक्ति को जब बुरी लगती है, तो उसे मानसिक तनाव, बेचैनी अशांति का अनुभव, शरीर की पीड़ा, ज्वर, मंदाग्नि आदि तकलीफें महसूस होती है ।

बुरी नजर लगने के मूल मे वैज्ञानिकों ने मानवीय विद्युत्‌ का अहितकर प्रभाव माना है। किसी-किसी व्यक्ति की दूष्ति दृष्टि इतनी बेधक होती है कि उससे बच्चे की शक्ति खिंचती है और वे उसके झटके को बर्दाश्त न करके बीमार हो जाते है । ऐसा देखा गया है कि अजगर अपनी दृष्टि से आकाश से पक्षियों को अपनी ओर खींच लेता है । भेड़िए की दृष्टि से भेड़ और बिल्ली की दृष्टि से कबूतर इतने अशक्त हो जाते है कि भाग तक नही सकते । इसी को आंखो कीे आकर्षण शक्ति का सम्मोहन कहते है ।

नजर से बचने के लिए काले टीके का या काले धागे के प्रयोग के पीछे मान्यता यह है कि यह विद्युत का सुचालक होता है । आमतौर पर देखने मे आया है कि आकाश की बिजली अकसर काले आदमी, जानवर, सांप या अन्य काली वस्तुओं पर पड़ती है। जाड़े के दिनो मे काले कपड़े अधिक गर्मी सोखते है। इसीलिए बच्चो को कपाल, हाथ-पैरो मे ओर आंखो में काजल लगाया जाता है । पैर, हाथ, गले, कमरे में काला ड़ोरा बांधा जाता है । काली बकरी का दूध पिलाया जाना और काली भस्म चटाना जैसे सभी कार्यों का उदेश्य नजर के दुष्प्रभाव से बचाने की शक्ति ग्रहण करना है । बुरी नजर से बचने के लिए शेर का नाखून, नीलकंठ का पर, मूंज या तांबे का ताबीज गले मे पहना जाता है । दुकानदार नींबू और हरी मिर्चें दुकान मे लटका कर रखते है । ट्रक मालिक ट्रक के पीछे जूता लटकाते है । कारखाने वाले प्रवेश द्वार पर घोडे+ की नाल लगाते है । मकान पर काली हड़िया टांगी जाती है । यह नजर की एकाग्रता भंग करने की दृष्टि से किया जाता है।