ही समय पर सही बात, सही प्रकार से कहना एक महत्वपूर्ण कला है, जो आज के प्रतियोगी दौर में आपकी सफलता में बड़ा योगदान करती है। चाहे खेल के मैदान हो या क्लास रूम या फिर आपका कार्यालय, आपको हर जगह लोगों के साथ ही काम करना होता है और लोग आपके साथ कितना सहयोग करते हैं, यह बहुत कुछ आपके व्यवहार और बातचीत पर निर्भर होता है। वाक्पटुता का अर्थ अधिक बोलना नहीं है। वाक्पटुता का अर्थ लच्छेदार बातें कर दूसरों को मूर्ख बनाना भी नहीं है। बातचीत के कौशल का अर्थ अपनी बात प्रभावी ढंग से कह सकना और दूसरेकी बात सुन-समझ सकना तथा दूसरों का सहयोग प्राप्त करना है। कहा भी गया है - 'बातहिं हाथी पाइए बातहिं हाथी पाँव'।
"जीवन में आगे बढने की बात हो या कैरिया संवारने की, सभी में वाककौशल का मह्त्व है। यहां जानते हैं प्रभावी कम्युनिकेशन की कला के बारे में..."
सुनें ध्यान से
वाक कुशल का पहला कदम है सामने वाले को ध्यान से सुनें। सुनते समय ऐसा कुछ भी न करें जिससे आपका ध्यान बंटता हो - बातचीत के समय अपने बाल संवारना, या पेन से खेलना या पैर घुमाना या फिर अपने अगले जवाब के बारे में सोचना इत्यादि से आप कही जाने वाली बातों के कई महत्वपूर्ण अंश सुनने से वंचित रह जाते हैं। बोले वाले को बीच में न टोकें और आधी अधूरी बात सुनकर बाकी के विषय में स्वतः धारणा बनाने से भी बचें।
सवाल पूछें
यदि कुछ नहीं समझ में आया तो पूछें। यह सुनिश्चित करें कि आपने वाही सुना और देखा है जो वक्ता कहना चाहता था।
सटीक बोलेन
जब आप बोलें तो यह ध्यान रखें कि सामने वाले को बात समझाने का दायित्व आपका है। इसलिए बोलने की रफ़्तार, उच्चारण इत्यादि ऐसा होना चाहिय कि श्रोता उसे आसानी से सुन व समझ सके। अत्यधिक तेज या धीरे बोलने से बचें, शब्दों का चुनाव श्रोता को ध्यान में रख कर करें। बिना बोलें, सिर्फ हाव भाव से ही हम बहुत कुछ कह जाते हैं। जब आप बोल रहे हों तो पूरा ध्यान अपने श्रोता पर रखें, उसके हाव भाव को देखें, यदि ऐसा लगे कि उसे पूरी तरह समझ में नहीं आ रहा तो पूछें कि क्या में आपको अपनी बात समझा पा रहा हूँ ?
भावनाओं पर काबू करें
यदि आपका सहयोगी/सहपाठी अपने हिस्से का काम नहीं पूरा कर सका है तो उस पर चिल्लाने से शायद आपका गुबार तो निकल जाएगा पर जरुरी नहीं कि समस्या का समाधान भी हो। यदी आलोचना भी करनी तो तो संयत हो कर करें, सामने वाले को बताएं कि उसकी किस हरकत विशेष से समस्या है। व्यक्ति नहीं, उसके कार्य की आलोचना करें।
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