06 अप्रैल 2010

रामायण पाठ से हुआ कायापलट

आस्था और अंधविश्‍वास की इस बार की कड़ी में हम आपको ले चलते हैं एक ऐसे गाँव, जहाँ का हर ग्रामीण रामधुन में डूब गया है। तिवड़िया ग्राम के ग्रामीणों का मानना है कि यह राम नाम और कथा का ही चमत्कार है कि हमारे गाँव का कायापलट हो गया है।

14 वर्ष पूर्व यह गाँव बीमारी, सूखे और अकाल की चपेट में था, लेकिन जबसे सिद्ध भोलेनाथ हनुमान मंदिर में अखंड रामायण पाठ का सिलसिला शुरू किया गया है, तब से गाँव सभी तरह की आपदाओं से मुक्त हो चुका है। यहाँ पर अखंड रामायण पाठ के अलावा घी की अखंड ज्योत भी जलती रहती है।

बच्चों और बूढ़ों ने रेवाशंकर तिवारी के साथ मिलकर शुरू किया था अखंड रामायण पाठ, लेकिन आज गाँव का हर आदमी इससे जुड़ गया है। क्या बच्चे और क्या बूढ़े, गाँव के प्रत्येक व्यक्ति का अब यह दायित्व हो चला है कि रामायण पाठ जारी रहे। ऐसी भी मान्यता है कि यदि यह पाठ रोका गया तो गाँव के बुरे दिन फिर से शुरू हो जाएँगे, इसीलिए गाँव का हर व्यक्ति बारी-बारी से रामायण पाठ के लिए आता है।

रामायण पाठ के आयोजक और मंदिर के पुजारी धर्मेंद्र व्यास ने बताया कि इस अखंड पाठ के आयोजन की प्रेरणा 14 वर्ष पूर्व रेवाशंकर तिवारी ने दी थी। तब से ही यह अखंड पाठ चल रहा है। जबसे यह पाठ शुरू हुआ है गाँव में खुशहाली लौट आई है। पहले इस गाँव का भू-जलस्तर 300 फुट नीचे हुआ करता था, लेकिन अब यहाँ 30 से 40 फुट पर ही पानी निकल आता है। कई जगह तो पाँच फुट पर ही पानी है।

गाँव के ही एक ग्रामीण ने बताया कि जबसे यह रामायण पाठ शुरू हुआ है, ग्रामीणों में चेतना आ गई है। हर कोई अब जागरूक है और सभी ओर खुशहाली है। यहाँ की खास बात यह है कि किसी भी प्रकार की अनहोनी नहीं होती।

व्यास ने ही हमें एक चमत्कारी घटना का जिक्र करते हुए कहा कि नवरात्रि के दौरान एक बार रमेश तिवारी और गोविंद पवार कुछ लोगों के साथ पाठ कर रहे थे तभी अचानक आसमान से सभी के ऊपर बिजली गिर गई और पूरी छत पर करंट फैल गया, लेकिन चमत्कार ही था कि किसी को किसी भी प्रकार की क्षति नहीं हुई।

धर्मेंद्र व्यास ने ही बताया कि मानसिक संतुलन खो चुके गोरेलाल पवार इस रामायण पाठ की बदौलत ही अब अच्छा जीवन व्यतीत कर रहे हैं और यहाँ यह भी देखने में आया है कि जो कम पढ़े-लिखे या अनपढ़ थे, वे भी रामायण पाठ पढ़ने लगे हैं।

कैसे पहुँचें : देवास तहसील में इंदौर से 140 किलोमीटर दूर स्थित खातेगाँव से कुछ ही दूरी पर है ग्राम तिवडि़या। आप सड़क मार्ग से यहाँ आसानी से पहुँच सकते हैं।

1 टिप्पणी:

  1. कोई किताब रटने से कुछ फ़ायदा नही होता..ग्प्प है

    जवाब देंहटाएं