04 अप्रैल 2010

दस हज़ार डाँलर का नियम

जब हम छोटे थे, हमें मिठाई तब तक नहीं मिलती थी, जब तक हम लौकी क़ी सब्जी न खा के दिखा दें।

हम जैसे-जैसे बड़े होते जाते हैं, यह प्रतिक्रिया थोड़ी परिष्कृत होती जाती है। फर्क इतना होता है क़ी आपसे लोग काम लेने के लिये काम से निकाल देने की धमकी नहीं देते पर एक अलग तरह का पाजिटिव प्रेशर बनाया जाता है। एक बात तो है क़ी लौकी और मिठाई की युक्ति में थोडा फेरबदल करने पर इससे आज भी अच्छे परिणाम पाए जा सकते हैं। एक श्रेष्ट टीम के बेहत सफल कोच ने अपनी काँलेज की बास्केटबाँल टीम में ऐसा ही नियम अपनाया और नाम रखा दस हजार डाँलर का नियम।

उसने औसत से कम प्रदशन कर रही अपनी टीम से कहा, 'तुम कहते हो क़ी तुम किसी भी नए खिलाड़ी से ज्यादा फ्री थ्रो बेकार जाने देते हो और इसमें सुधार नहीं कर सकते।'

उसने आगे कहा, 'अब, अगर में तुम्हे आगे आने वाले सीजन में होने वाले मैचेस में औसत से ज्यादा फ्री थ्रो खेलने पर दस हजार डाँलर दूं,' तो क्या तुम उसका साथ फीसदी टारगेट छू पाओगे।'

उसे उत्तर मिला, 'हाँ, मुझे पता है, मैं कर लूँगा।'

'हाँ, मुझे भी पता है क़ी तुम कर लोगे, लेकिन केवल एक चीज कम होगी। मैं तुम्हे दस हजार डाँलर नहीं दूंगा। तुम सारे खिलाड़ी सही दिशा पर जा रहे हो। बस हर बार जब तुम फ्री थ्रो खेलो, तो यह सोचना क़ी तुम दस हजार डाँलर पाने के लिये खेल रहे हो।' इसके बाद वह खिलाड़ी, जो एक पचास फीसदी फ्री थ्रो ही खेल पाता था, अब सत्तर फीसदी फ्री थ्रो खेलने लगा।

भिन्न स्थिति में सामान नियम
'इस सेक्सन में काम करने वाले किसी भी अन्य कर्मचारी क़ी तुलना में काफी देर में तुम्हारा काम पूरा होता है। मैंने तुम्हारे सारी वजहें सुन ली हैं, लेकिन वह तार्किक नहीं लगती हैं। मैं तुम्हारे लिये एक प्रस्ताव रखता हूँ। अगर अगले वर्ष तुम काम पूरा करने में एक बार भी लेट हुए, तो मैं तुम्हे दस हजार डाँलर दूंगा। क्या दस हजार डाँलर के लिये तुम यहाँ पर समय से आकर समय पर काम पूरा कर सकते हो।'

'आप शर्त लगायें, सर! मैं करके दिखा दूंगा।' कर्मचारी का उत्तर मिला। प्रत्युतर में उससे कहा गया, 'बस एक फार्म होगा। न तुम आइंदा लेट ह्होगे और न ही मैं तुम्हे दस हजार देने वाला हूँ, लेकिन मैं चाहता हूँ क़ी समस्या का समाधान करने के लिये तुम वैसे ही करो, जैसे क़ी तुम्हे दस हजार डाँलर मिलने वाले हों। तुम कर सकते हो, यह तुमने अभी स्वयं ही स्वीकार किया है। बस प्रेरित होने की बात है।'

बदली स्थिति में सामान नियम
इस बार प्राब्लम की लोकेशन आपका सिर है। जो भी समस्या है, वह केवल आपकी है। आपके केस में बांस वह सभी असुरक्षाएं और डर हैं, जिनसे अगर आपने समाधान खोजने की कोशिश नहीं की, तो आप लगातार ग्रस्त रहेंगे, अब खुद पर दस हजार डाँलर का नियम लागू करने की कोशिश करें। अगर आपको अलग से दस हजार डाँलर मिलते तो क्या आप अपनी समस्या के समाधान के लिये सक्रिय होते।

कहे की बात नहीं कि आप वाकई दस हजार डाँलर मिलने की बात सुनते ही अपनी समस्या का समाधान खोजने की दिशा में तत्पर हो जायेंगे। प्रेरणा की ही तो बात है। फिर वह चाहे साकार हो या निराकार। प्रेरित होकर कार्य करने की आदत डालिए। आप कर सकते हैं।

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