मंदी के दौर में भी हैं संभावनाएँ
मंदी की मार के कारण लगातार फीके होते दूसरे करियर के मुकाबले ट्रेवल व टूरिज्म इंडस्ट्री खुद को बेहतर साबित कर रही है। 2001 के बाद से 2006 तक इस इंडस्ट्री की सालाना वृद्धि दर करीब 11 फीसदी रही। आँकड़ों के मुताबिक 2010 के नजदीकी दौर में यह इजाफा करीब 20 फीसदी होने की उम्मीद जताई जा रही है। इसी बढ़ोतरी को ध्यान में रखकर सरकारी तौर पर भी विकास के प्रयास किए जा रहे हैं जिसके आधार पर अलग-अलग अभियानो के जरिए प्रदेश ही नहीं देश भर के पर्यटन को एक नया मुकाम देने की कोशिश की जा रही है।
आज की हाईटेक संस्कृति के परिदृश्य में पर्यटन का भी तकनीकी रूप से काफी विकास हुआ। पर्यटन संबंधी वृहद सामग्री नेट पर भी उपलब्ध होती है। हर ट्रेवल कंपनी अपनी एक वेबसाइट विकसित करती है ताकि वह अपने ग्राहकों तक आसान पहुँच बना सके और अपनी सेवाओं से संबंधित ताजा जानकारी उन तक पहुँचा सके। इन वेबसाइट्स के कारण भी इस क्षेत्र में रोजगार की संभावनाएँ बढ़ी हैं।
टूरिज्म इंडस्ट्री खुद तो प्रगति पर है ही साथ ही यह हॉर्टीकल्चर, एग्रीकल्चर, हैंडीक्राफट आदि के उत्थान के लिए भी प्रयासरत है। 20 मिलियन से ज्यादा लोग इन दिनों देश की टूरिज्म इंडस्ट्री में काम कर रहे हैं। आने वाले समय में इस संख्या में तेजी से इजाफा होने की संभावनाएँ हैं। आज से कुछ समय पहले तक पर्यटन में गिने चुने पद हुआ करते थे लेकिन निजी और सरकारी दोनों ही वर्गों में अब संभावनाएँ कई गुना बढ़ चुकी हैं।
इस क्षेत्र में बढ़ती मांग के कारण काम करने वाले लोगों की तनख्वाह भी आसमान छू रही हैं। परिष्कृत संस्कृति और ऐतिहासिक धरोहरों के कारण भारत में पर्यटन काफी तेजी से विस्तार कर रहा है। नित नई योजनाएँ पर्यटन को विकसित करने के लिए तैयार की जा रही हैं जो करियर के नए आयाम स्थापित करेगी और युवाओं के लिए बेहतर भविष्य की नई परिभाषा तैयार करेगी।
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