सायकोलॉजी के प्रोफेशन में दिलचस्पी रखने वाले युवाओं के लिए इस क्षेत्र में करियर सँवारने के तमाम विकल्प संभव हैं। इन विकल्पों में से प्रत्येक का महत्व अपने आप में विशिष्ट है। आइए बात करते हैं कुछ प्रमुख विकल्पों परः
कंज्यूमर साइकोलॉजी
उपभोक्ता उत्पाद निर्माण कार्यकलापों से जुड़ी कंपनियाँ बाजार में कोई भी नया उत्पाद उतारने से पहले कंज्यूमर सर्वे करवाती हैं और उपभोक्ताओं के टेस्ट, जरूरतों, पसंद-नापसंद इत्यादि को परखने का प्रयास इन्हीं विशषज्ञों के विश्लेषण के आधार पर करने का प्रयास करती हैं।
सोशल साइकोलॉजी
सामाजिक तनावों को दूर करने के अतिरिक्त इनके अन्य कार्यकलापों में अपराधियों, नशाखोरों तथा अन्य प्रकार के दुष्चक्रों में फँसे लोगों को मुक्त कराना शामिल है। इनकी सेवाओं का सरकारी समाज कल्याण विभागों, एनजीओ तथा अन्य प्रकार के समाज सुधार के कार्यों से जुड़ी एजेंसियों द्वारा लिया जाता है। पारिवारिक झगड़ों, वैवाहिक मामलों तथा अन्य समस्याओं को निपटाने में भी इनकी अहम भूमिका होती है।
इंडस्ट्रियल साइकोलॉजी
औद्योगिक प्रतिष्ठानों में कर्मचारियों की चयन प्रक्रिया में इनकी उपस्थिति अब आम तौर से देखी जा सकती है। इनका कार्य साक्षात्कार हेतु आमंत्रित आवेदकों के व्यवहार, व्यक्तित्व, क्रिया-प्रतिक्रिया, आत्मविश्वास के स्तर तथा अन्य उपयोगी गुणों से संबंधित आकलन प्रस्तुत करना होता है। इस रिपोर्ट को चयन प्रक्रिया के अंतिम चरण में प्रबंधकों द्वारा ध्यान में रखा जाता है। देश में स्कूली स्तर पर ही मनोविज्ञान को एक विषय के रूप में पढ़ाया जाता है।
इसके बाद यूनिवर्सिटी में बीए और एमए के अलावा पीएच डी में भी इस विशिष्ट विषय में अध्ययन की सुविधा है। कई विश्वविद्यालय पत्राचार माध्यम से भी यह कोर्स संचालित करते हैं। प्रमुख संस्थानों में दिल्ली विश्वविद्यालय (दिल्ली), इग्नू (दिल्ली), कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय (कुरुक्षेत्र), अन्नामलाई यूनिवर्सिटी (तमिलनाडु), भरथियार यूनिवर्सिटी (कोयंबटूर), देवी अहिल्या यूनिवर्सिटी का उल्लेख किया जा सकता है।
17 मार्च 2010
करियर विकल्प - सायकोलॉजी में करियर विकल्प
Posted by Udit bhargava at 3/17/2010 05:05:00 pm
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