'आजोबा! ये क्या अजीब-सा गणित आप कर रहे हो?' अदिति ने पूछा। मैं ऐसे ही अपनी डायरी में कुछ लिख रहा था और अदिति मेरे पीछे कब आकर खड़ी हो गई, पता ही नहीं चला। डायरी के पन्नो पर दर्ज था : (त+म+ध) न द?
'यह एक नया बीजगणित टाइप इक्वेशन है जो मैं बनाने की कोशिश में हूँ- ऐसे ही टाइम-पास के लिए, मैंने मुस्कुराकर कहा।
'मुझे समझाओ ना!' -अदिति बोली।
मैंने कहा, 'समझाऊँगा। वो प्रश्नचिह्न हम बाद में देखेंगे। पहले तू '(त+म+ध) न' इसका मतलब तो बता? थोड़ा-बहुत बीजगणित तो तू सीखी है स्कूल में!'
'सिम्पल है, आजोबा! ये 'ब्रेकेट' निकाल दो और इसे सरल करो, सिम्प्लीफाय करो तो ये होगा- 'तन+मन+धन', क्योंकि 'त', 'म', 'ध' तीनों के लिए 'न' से गुणा कॉमन है।' -अदिति बोली।
'शाबाश', मैंने कहा- 'चलो, अब उस प्रश्नचिह्न की ओर जाते हैं। तन, मन, धन लगाना यानी क्या होता है?'
'खूब लगन' से काम करना, और क्या?' अदिति ने बिलकुल सही जवाब दिया। तन+मन+धन द लगन ही तो है।
'वाह! क्या बात है!' मैंने उसकी तारीफ करते हुए उसकी पीठ थपथपाई।
'आजोबा! ये तो ठीक है। पर एक सरल-सा उदाहरण देकर समझाओ ना प्लीज।'
'ओके! देख, तेरी पढ़ाई का ही उदाहरण लेते हैं। तुझे परीक्षा में अव्वल आना है ना?'
अदिति ने सिर हिलाकर 'हाँ' कहा और ध्यान से मुझे सुनने लगी।
मैंने उसे समझाया, 'अव्वल आने के लिए भी यह फॉर्मूला जरूरी है। खाने-पीने पर ध्यान दो, रोज थोड़ा खेलो-कूदो, कसरत करो, सफाई का ध्यान दो, तो तन यानी शरीर अच्छा रहेगा। बीमार रहोगे तो कैसे पढ़ाई करोगे? दूसरा, मन में एकाग्रता हो तो ही पढ़ाई अच्छी होती है, जो पढ़ाया जाता है वो समझ में आता है।
टीवी देखते हुए या गैलरी में बैठे बाहर नजर हो तो, या फिर कान में 'आईपॉड' डाले कभी अच्छी पढ़ाई हो ही नहीं सकती। पढ़ाई के वक्त न कोई दोस्त इर्द-गिर्द, न हाथ में चॉकलेट या वेफर्स, न कोई फिल्मी गानों का शोर। ये सब व्यवधान है एकाग्रता में, समझी?'
'पर आजोबा! मैं धन कहाँ से लाऊँगी? तन और मन तो ठीक है!' अदिति ने चालाकी से पूछा। मैंने कहा, उसकी फिक्र मत करो। वो मेरी और तुम्हारे डैडी की जिम्मेदारी है। पर फिर भी तुझे जो 'पॉकेट मनी' मिलता है उसका इस्तेमाल तू अच्छे तरीके से कर सकती है जैसे थोड़े-थोड़े पैसे बचाकर कोई जनरल नॉलेज की किताब लेना या सीडी भी लेना तो किसी ज्ञानवर्धक विषय की या अच्छी डिक्शनरी, छोटा-सा कैल्कुलेटर वगैरह। कई बातें हैं जिसमें तुम अपने 'धन' का सदुपयोग कर सकती हो!"
'बहुत अच्छा समझाया! 'थैंक्स!' अदिति खुश होकर बोली। 'सच, लगन का यह फॉर्मूला बड़ा मजेदार है- तन+मन+धन द लगन द कामयाबी यानी सक्सेस!"
अदिति की समझदारी से मुझे बड़ा संतोष हुआ। जाते-जाते अदिति बोली, 'मुझे तो 'तन, मन, धन' का एक भजन भी आता है। स्कूल में सिखाया है।' और वो गुनगुनाने लगी : 'तन, मन, धन से करो गुरु सेवाहरि समान है सद्गुरु देवा!
16 मार्च 2010
सफलता का बीजगणित
Posted by Udit bhargava at 3/16/2010 04:30:00 pm
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