एक नया करियर विकल्प
सॉफ्टवेयर क्वालिटी एश्योरेंस के लिए आवश्यक गुण
आमतौर पर सॉफ्टवेयर क्वालिटी एश्यारेंस इंजीनियर दस्तावेजों (टेस्ट प्लान) को तैयार करने, ऑटोमेटेड टेस्ट केसों को लिखने, यूजर टेस्ट केसेस, टेस्ट केसों को पूर्ण करने एवं उनके निष्पादन, डाटा तथा रिजल्ट कलेक्शन जैसी क्वालिटी कंट्रोल गतिविधियों पर अपना ध्यान केंद्रित करते हैं। किसी भी संगठन का विशिष्ट स्टाफ इस कार्य को डिलेवरी टीम के रूप में करता है या अक्सर इस कार्य के लिए एक से अधिक व्यक्ति की आवश्यकता नहीं होती है। इस क्षेत्र में करियर बतौर जूनियर आरंभ करते हुए टेस्ट मैनेजर के पद तक पहुँचा जा सकता है।
गुणवत्ता विकास के प्रति नियोजित तथा सिलसिलेवार पहल एवं उत्पाद मानकों, प्रक्रियाओं तथा विधियों से जुड़े रहने को ही एसक्यूए या सॉफ्टवेयर क्वालिटी एश्योरेंस कहा जाता है। इसमें उन प्रक्रियाओं को सुनिश्चित किया जाता है जिससे मानक तथा प्रक्रियाएँ स्थापित की गई हैं तथा जिसमें सॉफ्टवेयर अधिग्रहण के पूरे जीवनचक्र में अनुसरण, इन मानकों तथा प्रक्रियाओं का पालन किया जाता है। यहाँ प्रोसेस मॉनिटरिंग, प्रॉडक्ट इवेल्यूशन तथा ऑडिट के माध्यम से विकसित मानकों एवं प्रक्रियाओं पर सहमति प्रदान कर उनका बाकायदा अनुपालन भी किया जाता है।
सॉफ्टवेयर क्वालिटी एश्यारेंस प्रक्रियाओं तथा इससे जुड़े उत्पादों में टीम एवं सीनियर प्रबंधन को लक्ष्यात्मक अंतरबोध प्रदान करता है। सॉफ्टवेयर क्वालिटी एश्यारेंस के क्षेत्र में दो प्रमुख धाराएँ हैं। एक श्रेणी में टेस्टिंग जैसे क्वालिटी कंट्रोल प्रकृति के कार्य शामिल होते हैं जबकि दूसरी श्रेणी में प्रोसेस कंसल्टेशन, रिव्यूज तथा ऑडिट जैसे क्वालिटी एश्योरेंस संबंधी कार्य जुड़े होते हैं। दूसरे शब्दों में यदि कहा जाए तो क्वालिटी कंट्रोल एनालिस्ट प्रबंधन के आँख और कान होते हैं तथा वे प्रोजेक्ट टीम के लिए फेसिलेटर, ट्रेनर तथा रिव्यूअर की भूमिका भी निभाते हैं। सॉफ्टवेयर क्वालिटी एश्यारेंस कार्य का विवरण :-
* सॉफ्टवेयर संबंधी आवश्यकताओं को समझना तथा टेस्ट प्लान निर्धारित करने के लिए डेवलपर्स के साथ काम करना।
* टेस्ट क्लास डिजाइन करना।
* टेस्ट सिनेरिया निर्मित करना।
* टेस्ट केसों की जाँच व उनकी समीक्षा करना।
* विभिन्न टेस्ट तकनीकों का उपयोग कर मैन्युअल अथवा ऑटोमेशन टूल्स द्वारा सूटस का निष्पादन करना।
* खोजे जा सकने वाले/ महत्वपूर्ण प्रकरणों के टेस्ट प्रकरणों की पहचान करना।
* टेस्ट के लिए उपयुक्त वातावरण निर्मित करना।
* टेस्ट विकसित करना, उनके दस्तावेज बनाना, विस्तृत टेस्ट केसों का निष्पादन करना तथा टेस्ट सूट के लिए सहमति कार्य, स्ट्रेस, लोड तथा परफॉरमेंस आदि तैयार करना।
* स्पष्ट तथा विस्तृत दोष रिपोर्ट बनाना, दोष निवारण करना।
* किए गए टेस्ट के उत्पाद/ सेवा/ प्लेटफॉर्म तथा खोजे गए दोषों का समग्र रिकॉर्ड रखना।
वांछनीय योग्यता
सॉफ्टवेयर क्वालिटी एश्यारेंस में करियर बनाने के लिए प्रत्याशियों में निम्नलिखित योग्यता होना चाहिए-
* इंजीनियरिंग की किसी भी शाखा में डिप्लोमा या डिग्री।
हजावा तथा नेट आधारित नॉन फंक्शनल टेस्टिंग में 2 से 4 वर्ष का अनुभव।
* ऑटोमेटेड टूल्स पर लाइफ साइकल टेस्टिंग का संपूर्ण अनुभव।
* अच्छी विश्लेषण क्षमता के साथ समस्याओं को सुलझाने तथा सम्प्रेषण का अच्छा कौशल।
भारत की स्थिति
अमेरिकी टेलीविजन के एक अत्यधिक लोकप्रिय कार्यक्रम '60 मिनट्स' में प्रस्तुतकर्ता कहता है कि 'अमेरिका सऊदी अरब से तेल, जापान से कारें, कोरिया से टीवी तथा स्कॉटलैंड से व्हिस्की आयात करता है, तो हम भारत से क्या आयात करते हैं? हम भारत से लोगों को आयात करते हैं! वास्तव में वहाँ के लोग काफी स्मार्ट हैं।'
इससे भारत के सॉफ्टवेयर प्रोफेशनल्स के प्रति विश्वास और उनके सारी दुनिया में महत्व का पता चलता है। दुनियाभर में भारतीय लोगों के कार्यों की गुणवत्ता पर विश्वास किया जाता है। यदि दुनिया के किसी भी हाई प्रोसेसे मेचुरिटी सॉफ्टवेयर डेवलपमेंट ऑर्गेनाइजेशन के स्टाफ पर नजर दौड़ाई जाए तो वहाँ एक लघु भारत दिखाई देगा।
हमारे मध्यमवर्गीय मूल्यों और अच्छी गुणवत्तायुक्त शिक्षा पर जोर दिए जाने की भारतीय प्रवृत्ति ने हमें अब भी सीखने की दृष्टि से आगे बनाए रखा है। यही कारण है कि अधिकांश भारतीय सॉफ्टवेयर डेवलपमेंट संस्थानों द्वारा जो अधोसंरचना प्रदान की जाती है, वह विश्वस्तरीय होती है। कई बार तो वह विश्वस्तरीय अधोसंरचनाओं में भी 'बेस्ट ऑफ द बेस्ट' होती है।
भारतीय सॉफ्टवेयर प्रोफेशनल्स की लॉजिकल तथा एनालिटिकल योग्यताएँ बेजोड़ हैं। भारतीय सॉफ्टवेयर संस्थानों द्वारा उत्पादित अच्छी गुणवत्ता के सॉफ्टवेयर की लागत दुनिया में सबसे कम मानी जाती है, जो सारी दुनिया में मान्य आर्थिक मापदंडों पर खरी उतरती है। इस क्षेत्र में हम बहुत अच्छे हैं तथा वे इस बात पर ज्यादा यकीन करते हैं कि ग्राहक क्या चाहता है।
अभी भी हमारे यहाँ अच्छे संभाषण तथा प्रस्तुतीकरण कौशलयुक्त प्रोफेशनल्स की कमी है जिसमें सुधार की काफी संभावनाएँ हैं। यह अंतर महत्वपूर्ण है तथा मूलतः यही खास वजह है कि हमारे यहाँ विश्वस्तरीय सॉफ्टवेयर कंपनियाँ नहीं हैं। हालाँकि हमारे यहाँ ढेर सारी अच्छी सॉफ्टवेयर कंपनियाँ होंगी।
इस बात पर गौर करें कि ग्राहक का घनिष्ठ कौन है? विनम्र सॉफ्टवेयर इंजीनियर अपने आपको गड्ढे में पाता है! भारतीय सॉफ्टवेयर संगठन का सीईओ अपनी प्रतिभा की थोड़ी-बहुत मूल्यवान मार्केटिंग कर सकता है। भारतीय परिप्रेक्ष्य में एक बात ऐसी भी है जिसे हजम करना थोड़ा मुश्किल लगता है। अभी तक भारतीय संस्कृति ने ऐसे बंदे नहीं बनाए हैं जिन्हें जिम कोलिन्स की परिभाषा के अनुसार लेवल 5 लीडरशिप के लिए उपयुक्त माना जा सके। केवल 5 लीडर्स विनम्र तथा इच्छाशक्ति से भरपूर होते हैं। वे निडर तथा परिश्रमी होते हैं। उन्हें इस बात का भी पता होता है कि कोयले की दलाली में हाथ तो काले होना है जिसका उन्हें कोई अफसोस भी नहीं होता।
अफसोस हमारे सीईओ को केवल मेरी कमीज तेरी कमीज से ज्यादा सफेद दिखाई देने की ही चिंता लगी रहती है। सीएमएम परिप्रेक्ष्य में भी यह बात हैरान करने वाली है कि भारतीय आईटी उद्योग अनौपचारिक तथा यहाँ बॉस और अधीनस्थ का संबंध निभाया जाता है तथा जी हुजूरी का जमाना अभी गया नहीं है। जबकि आईटी संस्कृति में ऐसा कोई दस्तूर नहीं निभाया जाता। ऐसे संबंधों के कारण ही हमारे प्रोफेशनल्स अच्छे होने के बावजूद दबंग नहीं बन पाते और प्रतिस्पर्धा के दौर में वे पीछे रह जाते हैं।
यह बात नहीं कि हमारे यहाँ डेशिंग प्रोफेशनल्स का अकाल है, वे हैं लेकिन मुट्ठीभर। फिर अकेला चना भाड़ कैसे फोड़ सकता है। तीसरी महत्वपूर्ण बात यह है कि हमने बुरे व्यवसाय व्यवहारों से अभी तक अपना पल्ला झाड़ना नहीं सीखा है। अभी भी भारतीय सॉफ्टवेयर ऑर्गेनाइजेशंस निचले स्तर से ही संचालित किए जाते हैं। जब व्यवसाय का स्तर इतना गिरा हुआ होगा तो सारे प्रतिमान और सिद्धांत निश्चित ही ताक पर रखे दिखाई देंगे। सबसे बड़ा खतरा, जिसने भारतीय सॉफ्टवेयर संगठनों को स्थापित किया है वह आंतरिक रूप से संवेदनशील है। कोई दूसरे सस्ते लागत वाले देश को खतरे के रूप में नहीं देखता है।
यह बात निश्चित है कि इन स्थापित व्यवसायों के वर्चस्व को मामूली-सी नीतिगत, लोकोन्मुखी, सक्षमता पर केंद्रित तथा गुणवत्ता द्वारा संचालित अपस्टार्ट कंपनियों द्वारा कभी भी आसानी से चुनौती दी जा सकती है। भारत के लिए यह माकूल अवसर है कि वह पूरी ताकत के साथ सॉफ्टवेयर क्वालिटी के मैदान में कूदे। सारी दुनिया में व्यवसाय के ऐसे अनगिनत अवसर ऐसे लोगों का इंतजार कर रहे हैं, जो उद्यमिता के साथ केवल आगे आएँ।
17 मार्च 2010
करियर विकल्प - सॉफ्टवेयर क्वालिटी एश्यारेंस
Posted by Udit bhargava at 3/17/2010 04:11:00 pm
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