अल्लाह तआला इरशाद फ़रमाता है ऐ ईमान वालों जब नमाज़ को खड़े होना चाहो (और तुम बे वुज़ू हो तो तुम पर वुज़ू फ़र्ज़ है और फ़राईजे वुजू चार हैं जो आगे बयान किए जाते हैं)तो
अपना मुँह धोओ
कुहनियों तक हाथ धोओ
और चौथाई सरों का मसा करो
और गट्टों तक पाँव धोओ (कंजूलईमान तर्जुमा क़ुरान पारा ६ रुकु ६ सफ़ा १७२)।
रसूलुल्लाह सल्लल्लाहो अलैहे वसल्लम ने फ़रमाया क़यामत के दिन मेरी उम्मत इस हालत में बुलाई जाएगी कि मुँह, हाथ और पाँव आसारे वुज़ू से चमकते होंगे तो जिससे हो सके चमक ज्यादा करे और मुसलमान बंदा जब वुज़ू करता है तो कुल्ली करने से मुँह के गुनाह नीचे गिर जाते है।
जब नाक में पानी डालकर साफ किया तो नाक के गुनाह निकल गए और जब मुँह धोया तो उसके चेहरे के गुनाह निकले। और जब सर का मसह किया तो सर के गुनाह निकले और जब पाँव धोए तो पाँव की खताएँ निकलें और फिर उसका मस्जिद को जाना और नमाज पढ़ना इसका भी सवाब अलग से मिलेगा।
हमारेप्यारे नबी सल्लल्लाहो अलैहे वसल्लम ने फ़रमाया कि तुम में जो कोई वुज़ू फिर पढ़े अशहदो अल्ला इलाहा इलल्लाहो वहदहू ला शरीका लहू व अश्हदु अन्ना मुहम्मदन अब्दहू व रसूलहू। उसके लिए जन्नत के आठों (८) दरवाज़े खोल दिए जाते हैं। जिस दरवाजे से चाहे दाखिल हो और मिसवाक का इस्तेमाल अपने लिए लाज़िम कर लो, क्योंकि मिसवाक से मुँह के पाकी और अल्लाह तआला की खुशी है।
अगर मुझे अपनी उम्मत पर मशक्क़त और दुश्वारी का ख्याल न होता तो मैं मिसवाक करने को लाज़िम करार देता और मिसवाक करके नमाज़ पढ़ने की फ़जिलत सत्तर (७०) गुना ज्यादा है। बग़ैर मिसवाक के (मिश्कात शरीफ़ जि. १ स. १४५)।
हज़रत अबु हुरेरा रदिअल्लाह अन्हो से रिवायत है कि रसूल्लुल्लाह सल्लल्लाहो अलैहे व सल्लम ने फ़रमाया जो बे वुज़ू हो उसकी नमाज़ बग़ैर वुज़ू किए कुबूल न होगी (बुख़ारी शरीफ़ जिल्दे १ सफा २५)।
20 मार्च 2010
वुज़ू का बयान
Posted by Udit bhargava at 3/20/2010 05:45:00 pm
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