वह आवाज सुनकर अंजलीही नही तो वहां उपस्थित सारे लोगोंको मानो कुछ आभास होगया है ऐसा लगा. अंजलीका रोना रुक गया था. सारे लोग स्तब्धतासे खडे होकर दरवाजेकी तरफ देख रहे थे.
'' अंजली '' फिरसे आवाज आ गया.
इसबार काफी नजदिकसे आए जैसा. लगभग दरवाजेकी बाहरसे ही. अब अंजली उठकर खडी हो गई और दरवाजेकी तरफ जाने लगी. कमरेमें उपस्थित बाकी लोगभी दरवाजेकी तरफ जाने लगे. अंजली दरवाजे तक पहूंच गई होगी जब कमरेका दरवाजा खुला और दरवाजेमें विवेक खडा था. उसके सारे कपडे और सारा शरीर खुनसे सना हुवा था. दोनों आवेशके साथ एक दुसरेकी तरफ दौडे और उन्होने एक दुसरेको बाहोंमें लिया.
अतूलने इन्स्पेक्टरको पासवर्ड बतानेके बाद शुरु मोबाईल गाडीके बोनेटपर रखा. और वह उस विवेककी तरफ ताने हूए बंदूकका ट्रीगर दबाने लगा.
'' रुको ... तुम बहुत बडी गलती कर रहे हो ...'' विवेक किसी तरहसे बोला.
'' भूल ... इसके बाद तुम्हारी वजहसे ... सिर्फ तुम्हारे हठकी वजहसे ... मुझे जिस अंडरवर्डमें जाना पड रहा है ... उसके लिए मुझे एक योग्यता हासील करनी पडेगी ... पुछो कौनसी ? ... कम से कम एक खुन मेरे नामपर होनेकी... और वह योग्यता अब मै हासिल करनेवाला हूं '' अतूलने कहा और उसने झटसे बंदूकका ट्रीगर दबाया.
एक बडीसी आवाज हो गई और अतूलके हाथमें पकडे बंदूकका किसी बॉंम्बकी तरह विस्फोट हो गया.
अतुलके शरीरके टूकडे टूकडे होकर चारो ओर उड गए थे. विवेक अपना बचाव करते हूए पिछेकी तरफ लपक पडा था. फिरभी खुनकी छिंटे अतूलके शरीरपर उड गई थी और उसका पुरा शरीर और कपडे खुनसे सन गए थे. पासमें खडे कारके शिशेभी अतूलके खुनसे सन गए थे.
थोडी देर बाद विवेक उठ खडा हुवा. उसने निचे गिरे हुए अतूलके शवपर अपनी नजर डाली.
फिरभी मैने उसे बतानेकी कोशीश की की वह बंदूक ना होकर बॉम्ब है ...
लेकिन वह मानाही नही ... उसमें मेरा क्या दोष...
विवेक मानो अपने आपको समझानेकी कोशीश कर रहा था.
आखिर क्या है ... की पराई नार ... और पराये हथीयारसे आदमीको बचना चाहिए...
विवेकके जहनमें आकर गया.
अंजली अपने ऑफीसमें अपने काममें व्यस्त थी. उसने हमेशाकी तरह आए बराबर कॉम्प्यूटर ऑन करके रखा था. तभी कॉम्प्यूटरपर चाटींगका बझर बजा. उसने मॉनिटरपर देखा. एक मेसेज था -
'' मिस अंजली ... 50 लाख रुपयोंका मेरे लिए इंतजाम करना वर्ना नतिजा तो तुम जानतीही हो ...'' अंजलीने वह मेसेज पढा और उसके रोंगटे खडे हो गए.
तभी विवेक और शरवरी उसके कॅबिनमें आ गए.
'' अंजली चलो आज हम पिक्चरको चलते है ...मॉर्निंग शो''
'' विवेक ... इधरतो देखो ... ब्लॅकमेलरका फिरसे मेसेज आ गया है'' अंजली उसका ध्यान मॉनिटरकी तरफ आकर्षीत करते हूए बोली.
विवेक कॉम्प्यूटरके पास जाकर देखने लगा. लेकिन शरवरी अपनी हंसी नही दबा सकी. वह जोरजोरसे हसने लगी.
'' ए क्या हुवा ?'' अंजली.
'' अरे वह मेसेज अभी अभी विवेकने बगलके कॅबिनसे भेजा है '' शरवरी हंसते हूए बोली.
'' लेकिन वह तो अभी अभी यहां आया है '' अंजली.
'' अरे नही ... बगलके कॅबिनसे वह मेसेज भेजकर तुरंत हम इधर आ गए.
'' यू नॉटी बॉय'' अंजली विवेकपर पेपरवेट उठाते हूए बोली.
और फिर पेपरवेट टेबलपर वापस रखते हूए वह उठ गई और उसके पास जाकर उसके छातीपर प्यारसे मारने लगी. विवेकने हल्केसे उसे अपने आगोशमें खिंच लिया.
22 मार्च 2010
Hindi Novels - ELove : Ch-52 फिरसे मेसेज? (समाप्त)
Posted by Udit bhargava at 3/22/2010 04:08:00 pm
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