सुबह सुबह अंजली, विवेक, शरवरी और इन्स्पेक्टर कंवलजीत कॉन्फरंन्स रुममें इकठ्ठा हूए थे.
'' मै इस बातसे संतुष्ट हूं की आखिर ब्लॅकमेलरने विवेकको कोईभी हानी ना पहूंचाते हूए छोड दिया.'' अंजली काफी समयसे चल रहे चर्चाके बाद एक गहरी सांस लेते हूए बोली.
'' एक मिनीट'' विवेकने हस्तक्षेप किया.
सब लोग एकदम गंभीर होकर उसकी तरफ देखने लगे.
'' मुझे लगता है .... ब्लकमेलरकी वजहसे हमे, मुझे, आपको, अंजलीको - सबकोही काफी तकलिफ उठानी पडी.... '' विवेकने कहा.
'' विवेक... पैसा चला गया इस बातका मुझे दुख नही है ... तुझे कुछ हानी नही हुई यह मेरे लिए सबसे महत्वपुर्ण है '' अंजलीने बिचमेही उसे काटते हूए कहा.
इन्स्पेक्टर कंवलजीतभी उसकी हां मे हां मिलाएंगे इस आशासे अंजलीने उनकी तरफ देखा. लेकिन वे कुछ नही बोले.
'' अंजली बात सिर्फ पैसोकी नही है ... कमसे कम मुझे लगता है की उसे यूही छोड देना कुछ उचित नही होगा. .. वैसे अबभी देरी नही हूई है... अब अगर हमने उसे पकडनेकी कोशिश की तो कैसा रहेगा?...'' विवेकने सवाल खडा किया और वह इन्सपेक्टरकी प्रतिक्रिया परखनेके लिए उनकी तरफ देखने लगा. इन्स्पेक्टरने सोचते हूए कमरेकी छतकी तरफ देखा और वे कुछ बोलनेही वाले थे तभी शरवरी बिचमेंही बोली.
'' लेकिन हमे ना उसका नाम पता है ... ना उसका पता... वह क्या करता है यहभी हमे पता नही है ... फिर अगर हमने उसे पकडनेकीभी ठान ली तो उसे पकडेंगे कैसे ? ...'' शरवरीने अपनी आशंका जाहिर की.
अंजलीने शरवरीकी तरफ देखकर मानो उसके बातको मुक संमती दर्शाई.
'' इतके दिन हम उसे पकडनेकी कोशीश कर रहे थे.... वे सब कोशिशें एकदम खाली गई ऐसा कहना कुछ उचित नही होगा ... क्योंकी अबभी अपनेपास कुछ क्लूज है ... एक तो उस ब्लॅकमेलरका हॅंन्ड रायटींग जो हमें सायबर कॅफेके लॉगबुकसे मिला.... दुसरा उसके फिंगर प्रिन्टस जो हमें सायबर कॅफेसेही मिले और तिसरा ... यह फोटोग्राफस देखो ... '' इन्स्पेक्टर कंवलजीत बोल रहे थे.
अबभी ब्लॅकमेलरको पकडनेकी विवेककी तिव्र इच्छा देखकर मानो इन्स्पेक्टरके शरीरमें फुर्ती दौड रही थी. वे अपने जेबसे दो फोटोग्राफ्स निकालकर वहा इकठ्ठा हूए लोगोंको दिखाकर आगे बोले,
'' यह फोटोग्राफ्स उस सायबर कॅफेमें मिले कॉम्प्यूटरके है, जहां फोटोग्राफ लेनेके थोडीही देर पहले ब्लकमेलर बैठा हुवा था .. इस फोटोग्राफ्सकी तरफ थोडा गौरसे देखो ... देखो कुछ खयालमें आता है क्या ?'' इन्सपेक्टरने वे फोटो सबको देखनेके लिए आगे खिसकाए.
सब लोगोंने वह फोटोग्राफ्स एक एक करके देखे. लेकिन किसीकोभी उन फोटोग्राफ्समें कुछ अलग महसूस नही हुवा. तभी विवेक वे फोटोग्राफ्स देखते हूए मंद मंद मुस्कराया.
'' क्या हुवा ?'' अंजलीने पुछा.
'' जरा देखोतो... गौरसे देखो ... इस फोटोग्राफ्समें कॉम्प्यूटरका माऊस कॉम्प्यूटरके बाए तरफ की बजाय दाई तरफ रखा हुवा दिख रहा है ...'' विवेकने कहा.
'' यस यू आर ऍब्सुलेटली राईट'' इन्स्पेक्टरने उत्साहभरे स्वरमें कहा.
अब अंजलीभी मंद मंद मुस्कुराने लगी.
'' लेकिन इसका क्या मतलब है ?'' शरवरी अबभी संभ्रममें थी.
''... इसका एकही मतलब निकलता है की वह ब्लकमेलर लेफ्ट हॅन्डेड है ... '' इन्स्पेक्टरने कहा.
'' यस दॅट्स राईट '' अब कहा शरवरीभी मुस्कुराने लगी थी.
तभी कॉन्फरंस रुममें रखे हूए फोनची घंटी बजी. फोन अंजलीके बगलमेंही रखा हूवा था. उसने फोन उठाया,
'' हॅलो''
'' गुड मॉर्निंग अंजली ... '' उधरसे नेट सेक्यूराके मॅनेजींग डायरेक्टर मि. भाटीयां बोल रहे थे.
'' गुड मॉर्निंग भाटीयाजी...'' अंजलीने उतनीही सरगर्मीसे उनका स्वागत किया, '' बोलीए क्या कहते हो ?''
'' हमारे यहा हमने एक नेटवर्किंग सॉफ्टवेअर डेव्हलपमेंट कॉन्टेस्ट रखी थी ... कॉन्टेस्टचा टॉपीक है इथीकल हॅकींग... उस कॉन्टेस्टमें प्राईज डिस्ट्रीब्यूशन आपके हाथसेही हो ऐसी हमारी इच्छा है ... '' उधरसे भाटीयाजी मानो अपना हक जताते हूए बोले.
'' आपने बुलाया और हम नही आए ऐसा कभी होगा क्या भाटीयाजी ... मै जरुर आऊंगी ... प्राईज डिस्ट्रीब्यूशन कब है ?... '' अंजलीने पुछा.
'' पुरा प्रोग्रॅम अभी फायनल होनेका है ... वैसे वह प्रोग्रॅम टेंटीटीव्हली समव्हेअर अराऊंड धीस मंथ होगा ... पुरा प्रोग्रॅम फायनल होतेही आपको वैसे डीटेलमें बताया जाएगा ... '' उधरसे भाटीयाजी बोले.
'' नो प्रॉब्लेम''
'' थॅंक्स''
'' मेन्शन नॉट''
'' ओके बाय... सीयू''
'' बाय''
अंजलीने फोन क्रॅडल वापस रखा और उसने वहा बैठे सब लोगोंपर अपनी नजर घुमाई. उसके चेहरेपर फिरसे मुस्कुराहट दिखने लगी थी.
'' मेरे दिमागमें एक आयडीया आया है ... अभी नेट सेक्यूराके मॅनेजींग डायरेक्टर मि. भाटीयाजींका फोन था ... इथीकल हॅकींगपर वे एक सॉफ्टवेअर डेव्हलपमेंट कॉन्टेस्ट ले रहे है ... मुझे यकिन है की अगर इस कॉन्टेस्ट का प्रचार बडे पैमानेपर अगर किया गया और उस कॉन्टेस्ट जितनेवालोंको अगर बडे बडे प्राईजेस रखे गए ... तो वह ब्लॅकमेलर इस प्रतियोगीतामें जरुर हिस्सा लेगा ...'' अंजलीने कहा.
'' लेकिन तुम यह सब इतने यकिनके साथ कैसे कह सकती हो ?'' विवेकने आशंका जताई.
'' पुरे यकिनके साथतो नही... फिरभी ... क्रिमीनल सायकॉलॉजीके अनुसार... वह ब्लॅकमेलर अभी अपना आत्वविश्वास और गर्वमें पुरी तरह चुर है ... उसतक अगर यह कॉन्टेस्टकी बात पहूचाई गई तो वह उसमें जरुर हिस्सा लेगा ... '' इन्स्पेक्टरने अपना अंदाजा लगाया.
22 मार्च 2010
Hindi Novel - ELove : ch-42 क्लूज
Posted by Udit bhargava at 3/22/2010 03:55:00 pm
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