शामका वक्त था. अतूल एक कमरेमें कॉम्प्यूटरपर बैठा हुवा था. उस कमरेसे बगलकेही कमरेमें बंद किया हुवा विवेक दिख रहा था. लेकिन विवेकको उसके कमरेसे अतूलके कमरेमेंका कुछ नही दिख रहा था. अतूलको रातदिन कॉम्प्यूटरके सिवा कुछ सुझताही न था. अलेक्स अपना एक्सरसाईज वैगेरे निपटाकर पसिना पोंछते हूएही अतुलके पास जाकर बैठ गया.
'' क्यों लडकी क्या बोलती है? ... उसे पैसा प्यारा है या अपनी इज्जत? '' अलेक्सने पुछा.
अलेक्सको अपने पास आकर बैठा हुवा पाकर अतुल विवेकका मेलबॉक्स खोलते हूए बोला,
'' देखो तुम्हे एक मजेकी चिज दिखाता हूं ''
अतूलने विवेकके मेलबॉक्समेंसे एक मेल खोली.
'' देखोतो इस मेलमें अंजलीने क्या लिखा हुवा है.''
दोनो पढने लगे. मेल पढनेके बाद दोनो उनके कमरेको और विवेकके कमरेंको अलक करते कांचसे विवेककी तरफ देखने लगे.
''देखोतो इस मेलमें यह अंजली ...
विवेकको समझानेकी कोशीश कर रही है...
वह सोच रही होगी..
कबूतरकी एकदमसे कैसे मर सारी वफाए...
अब इसको क्या बताएं, कैसे समझाए
कि बेचारा इधर पिंजरेमे बंधा तडप रहा है ''
फिरसे विवेककी तरफ देखते हूए उन्होने एक दुसरेके हाथसे ताली बजाई और वे जोरसे हंसने लगे. दोनोंका हंसना थमनेके बाद अलेक्सने एक आशंका उपस्थित की,
'' यह विवेक अपने होस्टेलसे अचानक गायब होनेसे वहा कुछ हंगामा तो नही खडा होगा ?''
'' अरे हां ... अच्छा हुवा तुमने याद दिलाया ... उसके होस्टेलमें रह रहे उसके किसी दोस्तको मेल कर उसका बंदोबस्त करता हुं '' अतूलने कहा.
अतूल मेल टाईप करने लगा और टाईप करते हूए बोला, '' लेकिन अलेक्स याद रखो ... इसके आगेही असली खतरा है ... इसके आगे हमे सारी मेल्स अलग अलग सायबर कॅफेमें जाकर भेजनी पडेगी ... नही तो ट्रेस होनेका बडा खतरा है ... ''
.... कॉम्प्यूटरपर मेल आनेका बझर बजतेही अंजलीने अपना मेलबॉक्स खोला. उसे एक नई मेल आयी हूई दिखाई दी. वह मेल उसने भेजे स्निफर प्रोग्रॅमकीही थी. उसने झटसे वह मेल खोली और
'' यस्स!'' उसके मुंहसे जितभरे उद्गार निकले.
उसने भेजे स्निफरने अपना काम सही सही निभाया था.
उसने बिजलीके गतीसे मेल सॉफ्टवेअर ओपन किया और ...
'' यह उसका मेल आयडी और यह उसका पासवर्ड'' कहते हूए विवेकका मेल ऍड्रेस टाईप करते हूए उस प्रोग्रॅमको विवेकके मेलका पासवर्ड दिया.
अंजलीने उसका मेल अकाऊंट खोलतेही और की बोर्डकी दो चार बटन्स और दोन चार माऊस क्लीक्स दबाए. और दोनोभी कॉम्प्यूटरके मॉनिटरकी तरफ देखने लगी.
'' ओ माय गॉड ... आय जस्ट कान्ट बिलीव्ह'' अंजलीके खुले मुंहसे निकला.
शरवरी कभी मॉनिटरकी तरफ तो कभी अंजलीके आश्चर्यसे खुले मुंहकी तरफ देख रही थी.
'' शरवरी यह देखो विवेकके मेलबॉक्समें ... देखो यह मेल ... जो है तो मेरे नामकी पर मैने भेजी नही है ... '' "" मतलब ?'' शरवरीने पुछा.
'' मतलब मै और विवेकके अलावा दुसरा कोई है जो यह मेल अकाऊंटस खोल रहा है ... और हो सकता है वही तिसरा आदमी जो मुझे ब्लॅकमेल कर रहा है ... लेकिन वह तिसरा है कौन ?''
21 मार्च 2010
Hindi Novel - ELove ch-34 तिसरा
Posted by Udit bhargava at 3/21/2010 08:18:00 pm
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