कुछ दरबारी बीरबल से जलते थे जिनमें शाही हकीम जालिम खान भी शामिल था। वे ऐसे हालात पैदा करने की ताक में थे जो बीरबल को शाही दरबार से निकलने के लिए मजबूर कर दे। यह मौका उन्हें तुरन्त ही मिल गया।
बादशाह बीमार पड़ गये। हक़ीम जालिम खान को बुलाया गया। वह महल में जाने को तैयार हो ही रहा था कि कुछ दरबारी उसके घर पर आ गये।
‘‘मैं जल्दी में हूँ’’, हकीम बोला, ‘‘बादशाह सलामत बीमार हैं।’’
‘‘हम जानते हैं, इसीलिए हम आप से मिलने जल्दी चले आये।’’ एक दरबारी बोला।
‘‘हमलोगों का समय आ गया है। हम जो कहते हैं, वैसा कीजिये। फिर देखिये, बीरबल कैसे जान बचाता फिरेगा!’’ दूसरा दरबारी बोला।
‘‘मैं बीरबल को गड्ढे में गिराने के लिए दुनिया के आखिरी छोर तक जा सकता हूँ।’’ हकीम खीसें निकालता बोला।
सबसे बूढ़ा दरबारी हकीम के पास आकर उसके कान में कुछ बोला। हकीम की आँखें खुशी से चमक उठीं।
दरबारी विदा लेकर चले गये। हकीम महल की ओर दौड़ा। बादशाह पलंग पर लेटे हुए थे। एक मोटी कसीदाकारी की हुई रज़ाई से एड़ी से ठुड्डी तक शरीर ठका हुआ था। उनके चेहरे पर बेचैनी साफ दिखाई पड़ रही थी।
हकीम ने शहनशाह की नाड़ी की जाचँ-परख की और मन में यह निष्कर्ष निकाला कि शहनशाह की तबीयत कोई खास खराब नहीं है। काफी देर तक काम करने से थकान भर है और केवल कुछ दिनों के लिए विश्राम की जरूरत है। पर उसने बादशाह को यह सब नहीं बताया।
उसने बादशाह से कुछ और कहा, ‘‘यह गम्भीर रोग है, आलमपनाह। मेरे पास इसकी सही दवा है। फिर भी....’’ यह कह कर हकीम रुक गया। फिर बोला, ‘‘इस दवा का असर बहुत जल्दी होगा यदि इसे सॉंढ़ के दूध के साथ मिला कर लिया जाये।’’
‘‘सॉंढ़ का दूध?’’ बादशाह को यकीन नहीं हुआ।
‘‘हॉं, आलमपनाह! कुछ सॉंढ़ दूध देते हैं, हालांकि इन्हें खोज पाना कठिन है।’’ हकीम ने बताया।
‘‘लेकिन दूध देनेवाले सॉंढ़ का पता कौन लगायेगा?’’ बादशाह ने पूछा।
‘‘मैं समझता हूँ, आलमपनाह, कि इस कार्य के लिए सही व्यक्ति बीरबल है। वह अक्लमन्द है, चतुर है और बादशाह को उसने कभी निराश नहीं किया है।’’ हकीम ने सलाह दी।
‘‘बीरबल? क्या वह यह काम कर सकता है?’’ बादशाह ने नाराज होते हुए पूछा।
‘‘यदि कोई दूध देने वाले सॉंढ़ का पता लगा सकता है तो वह केवल बीरबल है, आलमपनाह!’’ हकीम ने जोर देकर कहा। उसने बादशाह को एक सप्ताह तक पूरी तरह विश्राम करने की सलाह दी। ‘‘यदि सम्भव हो सके तो इस चूर्ण को सॉंढ़ के दूध के साथ दिन में चार बार लेते रहिये। अन्यथा गाय के दूध के साथ ले सकते हैं हालांकि रोग देर से जायेगा।’’ हकीम ने एक नौकर को चूर्ण का डिब्बा दिया और बादशाह को सलाम करके बाहर आ गया।
बीरबल को बुलाया गया। तुरन्त बीरबल बादशाह के कमरे में हाज़िर होकर, ‘‘अब आपकी तबीयत कैसी है, शहनशाह?’’ बीरबल ने बादशाह को सलाम करके पूछा।
‘‘मैं ठीक नहीं हूँ बीरबल! हकीम कहता है कि मैं तभी जल्दी चंगा हो सकता हूँ यदि उसकी दवा को मैं सॉंढ़ के दूध के साथ खाऊँ।’’
‘‘सॉंढ़ का दूध? मैंने दूध देनेवाले सॉंढ़ के बारे में कभी नहीं सुना!’’ बीरबल भौचक रह गया।
‘‘हकीम कहता है कि दूध देने वाले सॉंढ़ दुर्लभ होते हैं। उसे विश्वास है कि ऐसे कुछ सॉंढ़ अवश्य हैं पर वे कहॉं मिल सकते हैं, उसे नहीं मालूम है। वह समझता है कि तुम इस काम को कर सकते हो और उसका पता लगा कर सॉंढ़ का दूध ला सकते हो।’’ बादशाह ने बीरबल की ओर देखते हुए कहा।
‘‘क्या हकीम ऐसा समझता है कि मैं सॉंढ़ का दूध ला सकता हूँ?’’ बीरबल को उसके विरुद्ध साजिश का सन्देह हुआ। वह अपने सन्देह की पुष्टि कर लेना चाहता था।
‘‘निस्सन्देह! क्या तुम मेरे लिए इतना नहीं कर सकते बीरबल?’’
‘‘हुजूर, मैं आप के लिए कुछ भी कर सकता हूँ।’’ बीरबल ने तुरन्त अपनी अक्ल का घोड़ा दौड़ाया और कहा, ‘‘मैं वही करने जा रहा हूँ इसलिए समय नष्ट करना नहीं चाहता।’’ इतना कह कर बीरबल ने झुक कर सलाम किया और बाहर निकल गया।
अब उसे पूरा विश्वास हो गया कि हकीम ने उसे फँसाने के लिए फन्दा डाला है। वह घर पहुँचने तक मार्ग में इसी पर विचार करता रहा और इससे बचने की एक योजना भी बना ली। घर पहुँचते ही उसने बेटी को बुलाया जो बहुत अक्लमन्द लड़की थी और उसे अपनी समस्या के बारे में बताया।
‘‘क्या किसीने सॉंढ़ के दूध के बारे में सुना है?’’ उसे आश्चर्य हुआ।
‘‘हकीम ने इसके बारे में सुना है। लेकिन वह इसे नहीं ला सकता; वह चाहता है कि मैं जल्दी से इसे ले आऊँ ।’’ बीरबल बिल्कुल ठण्ढे और स्थिर मन से बोला।
‘‘क्या हकीम आप से नफरत करता है? क्या वह आप का दुश्मन है?’’ बेटी ने पूछा।
बीरबल ने सिर हिलाया। ‘‘मैं तुम्हें बताता हूँ क्या करना है।’’ उसने उसके कान में अपनी योजना समझा दी।
‘‘ओह अप्पाजी, काश! मैं आप के समान बुद्धिमती होती?’’ वह मुस्कुरा कर बोली।
‘‘तुम एक तेज लड़की हो। आज रात में इस योजना को कार्यान्वित करने के लिए तैयार हो जाओ।’’ बीरबल ने अपनी बेटी को प्यार से थपथपाया।
आधी रात जैसे ही होनेवाली थी कि बीरबल की बेटी एक विश्वासी सेविका को लेकर नदी की ओर चल पड़ी। उन दोनों ने कपड़ों की एक गठरी और कपड़ों से, पीट-पीट कर, गन्दगी निकालने के लिए एक मोटा-सा डण्डा ले लिया। वे एक ऐसे घाट पर गये जो महल के पास था। उन्होंने गठरी को पत्थर की सीढ़ियों पर रख दिया। फिर लड़की ने एक-एक कर कपड़े को पानी में डुबोया, उसे पत्थर पर फैलाया और उसे डण्डे से पीटना शुरू किया। इससे जोर-जोर से धब-धब की आवाज आने लगी। साथ ही, लड़की अपनी सेविका से ऊँची आवाज में बातचीत भी करती रही।
धब-धब और दोनों की बातचीत की आवाज से बादशाह की नींद में खलल पड़ गई। बादशाह का शयन कक्ष नदी के घाट से लगा हुआ था।
उन्होंने नाराज होकर नौकर को बुलाया। एक रक्षक तुरन्त अन्दर आया। ‘‘देखो, यह कैसी जोर-जोर से आवाज आ रही है?’’ बादशाह ने गुस्से में कहा।
रक्षक ने धब-धब की और जोर-जोर से हँसने की आवाज सुनी। उसने सिर हिलाया।
‘‘जाओ, पता करो कौन इस समय कपड़े धो रहा है? वे क्यों इतना शोर मचा रहे हैं? मैं एक झपकी भी न ले सका। उन्हें जल्दी भगाओ।’’ बादशाह ने आग बबूला होकर हुक्म दिया।
रक्षक बादशाह को सलाम कर घाट पर गया। एक युवती कपड़े धो रही थी। पास में घुटने भर जल में खड़ी उसकी सेविका कपड़ों को खंगाल रही थी।
‘‘अरी लड़कियो! क्या यह कपड़े धोने का समय है? दन में क्यों नहीं धोती?’’ रक्षक ने भाले को हवा में उछालते हुए उन्हें डॉंटा।
‘‘क्या नदी केवल दिन में बहती है?’’ लड़की उस पर हँसती हुई बोली।
‘‘बहस नहीं करो। परेशानी में पड़ जाओगी।’’ रक्षक ने चेतावनी दी।
‘‘परेशानी? कपड़ों को धोने में मैं कभी परेशानी में नहीं पडूँगी, शहनशाह के राज्य में तो कभी नहीं। वे इतने निष्पक्ष और इन्साफ पसन्द हैं!’’ उसने दलील दी।
‘‘तुम इतना हल्ला कर रही हो कि बादशाह की नींद में खलल पड़ गई।’’ रक्षक ऊँची आवाज में बोला।
‘‘क्या तुम बिना शोर किये कपड़े धो सकते हो?’’ लड़की मुस्कुराई।
‘‘तुम कौन हो?’’ रक्षक ने क्रोध में आकर पूछा। ‘‘एक लड़की।’’
‘‘मुझे तुम्हारे बाप को यहॉं बुला कर लाना पड़ेगा ताके तुम्हारी खोपड़ी में कुछ अक्ल डाल सके । बताओ किस की बेटी हो?’’
‘‘अपने बाप की।’’ पट जवाब आया।
‘‘चुप रहो। मेरे साथ आओ। बादशाह ही तुम्हें ठीक करेंगे। जेल के तहखाने में सड़ने के लिए तैयार रहना।’’ उसने उसे साथ चलने का संकेत दिया।
लड़की के चेहरे पर भय का कोई चिह्न नहीं था। वह रक्षक के साथ चल पड़ी। शीघ्र ही वे बादशाह के शयन कक्ष में थे। लड़की बादशाह को झुक कर सलाम करने के बाद मुस्कुराती हुई खड़ी हो गई।
रक्षक ने बादशाह से कहा कि यह लड़की अपनी सेविका के साथ कपड़े धोती हुई पाई गई।
‘‘रात में कपड़े क्यों धो रही हो?’’ बादशाह ने तीखी आवाज में पूछा।
‘‘शहनशाह, आज शाम को मेरे पिता ने एक शिशु को जन्म दिया।’’ उसने कहा।
‘‘बकवास!’’ बादशाह ने डॉंटा।
‘‘शहनशाह, मैं शिशु की सफाई में लगी हुई थी और अपने पिता की सेवा...’’
वह बादशाह का गर्जन सुन कर रुक गई। ‘‘अपने पिता की सेवा में लगी थी जिसने बच्चे को जन्म दिया! ठीक है न?’’ बादशाह कड़क कर बोले।
‘‘जी हॉं शहनशाह!’’
‘‘और तुम चाहते हो कि मैं विश्वास कर लूँ कि तुम्हारे पिता ने एक बच्चे को जन्म दिया या...’’ उनकी आवाज कॉंपने लगी, ‘‘तुम बोलने में भूल कर गई? तुम्हारी मॉं ने शिशु को जन्म दिया?’’
‘‘नहीं शहनशाह, मेरे पिता ने ही शिशु को जन्म दिया।’’ लड़की के होठों पर मुस्कुराहट आ गई।
‘‘नहीं शहनशाह, मैं आपसे सचाई बयान कर रही हूँ, मैं आपसे सचाई के सिवा और कुछ नहींकह रही हूँ ।’’ वह अपनी बात पर अडिग रही।
‘‘क्या हमलोग एक विचित्र समय में नहीं जी रहे हैं?’’ वह फिर बोली, ‘‘मैंने सुना है कि इस देश में सॉंढ़ के दूध से कुछ रोग जल्दी ठीक हो जाते हैं।’’ लड़की ने बादशाह की तरफ देखा।
बादशाह ने संकेत समझ लिया। उन्होंने पूछा, ‘‘क्या तुम बीरबल की बेटी हो?’’ उनकी आवाज धीमी और शान्त थी।
‘‘हॉं, शहनशाह, मुझे खेद है, मैंने आप की नींद में खलल डाल दी। परन्तु, जब सॉंढ़ दूध देने लगते हैं और मर्द बच्चे पैदा करने लगते हैं तब रातों को दिन में परिवर्तित करना पड़ता है,’’ वह झुक कर बोली।
‘‘तुम बहुत अक्लमन्द, तेज और होशियार लड़की हो। अपने पिता को बोल दो कि तुमने पहले ही मुझे सॉंढ़ का दूध दे दिया है।’’ बादशाह ने सोने के मोहरों का एक थैला निकाला और उसके हाथ में पकड़ा दिया।
वह झुक कर सलाम करके बाहर आ गई। बादशाह अपने आप से बड़बड़ाने लगे, ‘‘सॉंढ़ का दूध, बकवास! जालिम खॉं को यह बात कहॉं से सूझी? अथवा क्या वह बीरबल को परेशानी में डालने की कोशिश कर रहा था? कल मैं इसका पता लगाऊँगा।’’
अगला दिन हकीम के लिए बड़ा अशुभ दिन बन गया।
कुएँ में हीरे की अंगूठी
न्यायपूर्ण फैसला
उल्लुओं की भाषा
सत्य की शिनाख़्त
उलटे, मुँह के बल गिरा
धूप-छाँव
बच्ची की रुलाई
उत्तम आयुध
बीरबल-राजा का पानवाला
भेंट में हिस्सा
आप ही ने तो कहा था
अपराध योग्य न्याय
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