कंपनीके उस आदमीने कंपनीके मॅनेजींग डायरेक्टरके कानमें कुछ खुसफुसाकर प्रोग्रॅमका सारा मुडही बदल दिया था. डायससे निचे उतरकर कंपनीके मॅनेजिंग डायरेक्टर भाटीयाची सिधे अपने कॅबिनके तरफ जाने लगे. भाटीयाजींको वह फासला मानो बहोत दूर लग रहा था. डायसकी सिढीयां उतरकर और उनके ऑफीसकी सिढीयां चढते हूए पहलीबार उन्हे थकावट महसूस हो रही थी. उनके पिछे इन्स्पेक्टर कंवलजित और सबसे पिछे असमंजसमें चल रहे अंजली और विवेक थे. सबलोग जब भाटीयाजींके कॅबिनमें घुस गए, तब वहां पहलेसेही कुछ लोगोंने कॉम्प्यूटरके इर्दगिर्द भिड की थी. भाटीयाजीभी उस भिडमें शामिल हो गए और कॉम्प्यूटरके मॉनिटरकी तरफ आश्चर्यसे देखने लगे. अंजली और विवेकने जब उस भिडमें घुसकर उस मॉनिटरकी तरफ देखा. तब कहां उनको सारे मसलेका अवलोकन हुवा. उनके मनमें चल रही सारी शंकाए एक पलमें नष्ट होकर वह जगह अब चिंता और डरने ली थी. मॉनिटरपर एक ब्लींक हो रहा मेसेज दिख रहा था - All the server data and computer Data has been deleted. To recover enter the password' और मॉनिटरपर उलटी गिनती दिखा रही टाईम बॉम्बके घडी जैसी एक घडी दिख रही थी. - 5hrs... 10mins... 26secs
"" ओ माय गॉड... '' भाटीयाजींके आश्चर्यासे खुले रहे मुंहसे निकल गया.
उनका पुरा बदन पसिना पसिना हो गया था और चेहरेपरभी पसिनेकी बुंदे दिख रही थी. सब डाटा अगर डिलीट हूवा तो होनेवाले नुकसानके कल्पनाभरसेही वे घबरा गए थे.
'' सर यही नही तो कंपनीके सारे कांम्प्यूटरपर यह मेसेज आया है ... '' कंपनीका एक आदमी बोला. और फिर सब लोगोंको डॆव्हलपमेंट सेंटरकी तरफ ले जाते हूए बोला, '' सर जरा इधरभी देखिए ..''
उसके पिछे सारे लोग कुछ ना बोलते हूए जा रहे थे, मानो समशानमें जा रहे हो.
डेव्हलपमेंट सेंटर यानी एक बडा हॉल था और वहां छोटे छोटे क्यूबिकल्स बनाकर हर डेव्हलपरकी तरफ ध्यान दिया जा सके और सबको प्रायव्हसीभी मिले इसका खास ध्यान रखा गया था. वहां सब कॉम्प्यूटरके मॉनिटर्स शुरु थे और सब मॉनिटरपर एकही मेसेज था - All the server data and computer Data has been deleted. To recover enter the password'
और यहांभी सब कॉम्प्यूटर्सपर उलटी गिनती चल रही थी.
5hrs... 3 mins... 2 secs
'' सचमुछ गुनाहगार जाते हूए अपनी आखरी चाल चल गया है '' विवेकने कहा.
'' इट्स अ टीपीकल एक्सांपल ऑफ ईटेररीझम'' अंजलीने कहा.
'' हमारे तो कंपनीका अस्तित्वही खतरेमें आया है '' भाटीयाजी अपने चेहरेसे पसिना पोंछते हूए बोले.
'' आप चिंता मत किजिए ... पासवर्ड गुनाहगारसे कैसे उगलना है यह हमारा काम है '' इन्स्पेक्टरने कहा.
तभी दो पुलिस हथकडी पहने हूए अतूलको वहां लेकर आ गए. इन्स्पेक्टरने पुरा मसला समझमें आतेही उसे वापस यहां लानेके लिए अपने साथीयोंको पहलेही वायरलेसपर बताया था. अतूल धीमे मस्ती भरी चालसे मंद मंद मुस्कुराते हूए इन्स्पेक्टरकी तरफ चलने लगा.
'' पासवर्ड क्या है ?...'' इन्स्पेक्टरने उसे कडे स्वरमें पुछा.
इन्स्पेक्टरने 'साम दाम दंड भेद' से पहले 'दंड' का इस्तेमाल करनेकी ठान ली थी ऐसा दिख रहा था.
'' जल्दी क्या है ... पहले मेरी हथकडीतो खोलो ... अभी और 5 घंटे बाकी है '' अतूल हसते हूए शांत स्वरमें बोला.
इन्स्पेक्टर गुस्सेसे उसे मारनेके लिए उसकी तरफ बढे वैसे अतूल चेहरेपर कुछभी डर ना दिखाते हूए वैसेही खडा रहते हूए, उनकी आखोंमें आखे डालकर बोला, ' अं हं... इस्न्पेक्टर यह गल्ती कभी ना करना ... ऐसी गलती करोगे तो मै पासवर्ड तो दुंगा लेकिन वह पासवर्ड देनेके बाद ... तुम्हारेपास जो 5 घंटे बाकि है वहभी नही रहेंगे..... पुरा डाटा वह पासवर्ड देनेके बाद तुरंत नष्ट हो जाएगा ...''
इन्स्पेक्टरने उसपर उठाया हुवा हाथ पिछे लिया. उन्हे अहसास हो गया था की उसके बोलनेमें तथ्य था.
'' खोलो मेरी हथकडी '' अतूलने फिरसे कहा.
इन्स्पेक्टरने उसे लेकर आए पुलिसको इशारा किया. उन्हे इशारा मिलतेही उन्होने चूपचाप उसकी हथकडी खोली. अतूलने अपनी खुली हूई कलाइयां एक के बाद एक दुसरे हाथमें लेकर घुमाई और वह अपने दोनो हाथ पिछे ले जाते हूए जम्हाई भरते हूए, उसे मिली हूई रिहाईका आनंद व्यक्त करते हूए बोला,
'' हां अब देखो... कैसे खुला खुला लग रहा है ''
'' पासवर्ड क्या है ?'' फिरसे इन्स्पेक्टरका कडा स्वर गुंजा.
'' इन्स्पेक्टर तुम्हे लगता है, की मै इतने आसानीसे और इतने जल्दी तुम्हे पासवर्ड बताऊंगा ?'' अतूल इन्स्पेक्टरकी आंखोसे आंखे मिलाते हूए बोला.
'' फिर तुम्हे और क्या चाहिए ?'' इन्स्पेक्टरने अपना स्वर अबभी कडा रखते हूए पुछा.
'' बस कुछ नही ... सिर्फ मेरे पुरे रिहाईका इंतजाम .. '' अतूलने कहा.
'' मतलब ?'' इतनी देर से चुप था विवेक पहली बार बोला.
'' अरे हां ... अच्छा हुवा तु बोला ... तुझे मेरे साथ आना पडेगा ... मुझे यहांसे दूर ... जहां ये लोग फिरसे पहूंच नही पाए ऐसी जगह मुझे पहुचानेकी जिम्मेदारी अब तुम्हारी ... और फिर वहांसे मै इन्हे मोबाईलसे वह पासवर्ड बताऊंगा ... '' अतूलने कहा.
'' हमें क्या मुरख समझ रखा है ?'' इन्स्पेक्टर फिरसे गुर्राया.
'' इन्स्पेक्टर यह वक्त अब कौन मुरख है या बननेवाला है यह तय करनेका नही है ... संक्षिप्तमें कहा जाए तो ... यू डोन्ट हॅव चॉईस... तुम्हे मेरे कहे अनुसार करनेके अलावा कोई चारा नही है '' अतूलने कहा.
इन्स्पेक्टरने एक बार विवेककी तरफ तो दुसरी बार अतूलकी तरफ देखा.
'' ठिक है '' विवेकने दृढतासे कहा.
22 मार्च 2010
Hindi Novel - ELove : ch-46 इटेररीझम
Posted by Udit bhargava at 3/22/2010 04:01:00 pm
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