कोई मन की बात पूरी नहीं होती या कोई हमारी बात नहीं मानता तब क्या होता है? आवेश, क्रोध, गुस्सा स्वत: हम पर हावी हो जाता है और हम अपना विवेक खो बैठते हैं। क्रोध वैसे तो एक सामान्य मनोभाव है परंतु अधिकांशत: इसके परिणाम काफी बुरे ही होते हैं। क्रोध हमारे दिमाग की सोचने और समझने की क्षमता का हरण कर लेता है और वो कर बैठते हैं जिसके लिए बाद में पछताना पड़ता है।अच्छा यही है कि हम अपने क्रोध पर नियंत्रण रखें वैसे यह अत्यंत मुश्किल कार्य हैं हर किसी के बस में नहीं होता क्रोध पर काबू पाना। और जो अपने क्रोध पर काबू पा लेता है उसकी जीवन नितनए आयाम तक पहुंचता है, मान-सम्मान, इज्जत, खुशी और मानसिक शांति सहज उसे प्राप्त हो जाती है।श्रीकृष्ण ने अर्जुन को क्रोध के संबंध में कहा था कि क्रोध अविवेक और मोह का जन्मदाता है। मोह और अविवेक से हमारी सोचने-समझने की क्षमता पूरी तरह नष्ट हो जाती है। परिणामस्वरूप हमें मान-सम्मान और यश की हानि उठानी पड़ती है। अत: युद्ध में विजय के लिए क्रोध पर विजय करना अति महत्वपूर्ण है। श्रीकृष्ण की यह बात आज हमारे जीवन पर भी सटिक बैठती है। हमारी जिंदगी में क्रोध इतनी सरलता से हम पर हावी हो जाता है कि हम समझ भी नहीं पाते और गड़बड़ कर बैठते हैं।
कैसे करे क्रोध पर नियंत्रण
- क्रोध आने पर अपना ध्यान कहीं ओर लगाने का प्रयत्न करें।
- ठंडा पानी पीएं या जो ठंडी चीज उपलब्ध हो खाएं।
- कुछ देर लंबी-लंबी सांसे लें।
- कुछ देर के लिए मौन धारण कर लें।
- ऐसे समय किसी भी प्रकार की बहस से बचें।
क्रोध पर नियंत्रण करें फिर देखिए जिंदगी कितनी सरल और शांति देने वाली हो जाएगी। विज्ञान ने भी सिद्ध कर दिया है कि क्रोध हमारे शरीर के लिए भी हानिकारक है। अत: क्रोध से बचें।
18 अप्रैल 2010
मानसिक शांति चाहिए, क्रोध को दूर भगाइए
Posted by Udit bhargava at 4/18/2010 09:55:00 pm
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