23 अप्रैल 2010

कष्ट निवारण - उपाय - 7

सम्पूर्ण कष्ट निवारण प्रयोग
यदि आपको आपके व्यापारिक कार्यों में अप्रत्याशितबाधाएं आ रहीं हैं तो आज के दिन यह उपाय शुरु करें। घी का दीपक जला दें। एक माला ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डाय विच्चे ॐ चंद्रघंटा देव्यै नम:, एक पाठ श्री गणेश स्तोत्र प्रतिदिन सुबह नियमित रूप से करें। पूजा करने के उपरांत हर रोज गाय को हरी घास खिलाएं। हरा चारा डालें। ऐसा 43 दिन, 86 दिन या 172 दिन करें।

बाधा निवारण और बाधा विनाशक प्रयोग
यदि किसी के भी साथ अप्रत्याशित, बार-बार बिना किसी कारण परेशानी आ रही हो, मन बेचेन रहता हो, अनहोनी दुर्घटनाएं घट रही हों और एक्सीडेंट होता हो तो 800 ग्राम चावल दूध से धो कर पवित्र पात्र में अपने सामने रख लें और एक माला ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डाय विच्चे ॐ चंद्रघंटा देव्यै नम: और एक माला मंगलकारी शनि मंत्र का जाप करें। तत्पश्चात इस सामग्री को अपने ऊपर से 11 बार उसार करके किसी तालाब अथवा बहते पानी में प्रवाह करें और दूध किसी कुत्ते को पिला दें। यह उपाय लगातार 43 दिनों तक करें। इस समस्या से छुटकारा मिल जाएगा।

आयु, यश, बल व ऐश्वर्य प्रदान करने वाला अद्भुत प्रयोग
सम्पूर्ण परिश्रम, प्रयास और कठिन मेहनत के बावजूद बदनामी का सामना करना पड़ रहा हो, समाज में जग हंसाई हो रही हो, व्यापार वृध्दि के लिए किए गए सम्पूर्ण प्रयास विफल हो रहे हो, तो आज का दिन उन लोगों के लिए बहुत महत्त्वपूर्ण है। चार कुम्हड़े (काशीफल या कद्दू), चौकी पर लाल कपड़ा बिछा कर इन सबको उस पर रख दें। धूप, दीप, नेवैद्य, पुष्प अर्पित करने के बाद पांच माला ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डाय विच्चे ॐ कूष्माण्डा देव्यै नम:, एक माला ॐ शं शनैश्चराय नम: का जाप करें। तत्पश्चात इनको अपने ऊपर से 11 बार उसार लें, उसारने के बाद छोटे-छोटे टुकड़े करके किसी तालाब में डाल दें। सभी प्रकार के कष्टों से मुक्ति मिल जाएगी।

चर्म रोगों से छुटकारा के लिए अद्भुत प्रयोग
जिन्हें बार-बार, शरीर में फोड़ा-फुंसी होती हो या कोई न कोई चर्म रोग हमेशा रहता हो उन्हें आज के दिन यह उपाय प्रारम्भ करना लाभदाय रहेगा। एक चाँदी की कटोरी ले लें उसमें स्वच्छ जल भर कर 18 पत्ते तुलसी के, 9 पत्ते नीम के और 3 पत्ते बेलपत्र के डाल लें। अपने सामने स्वच्छ आसन पर रख दें। तत्पश्चात घी का दीपक और चंदन का धूप जला कर एक माला ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामूण्डाय विच्चे ॐ कूष्माण्डा देव्यै नम: और शनि पत्नी नाम स्तुति की एक माला करने से लाभ होगा।

ग्रह कलह निवारण प्रयोग
यदि आपके परिवार में बिना किसी कारण ही अशांति बनी रहती है। पारिवारिक सदस्य यदि एक साथ बैठ नहीं पाते। किसी न किसी बात को लेकर गृह कलह होता रहता है तो आज के दिन किसी भी समय सुबह, दोपहर शाम यह उपाय शुरू करें। लकड़ी की चौकी बिछाएं। उसके ऊपर पीला वस्त्र बिछाएं। चौकी पर पांच अलग-अलग दोनो पर अलग-अलग मिठाई रखें। दोनों में पांच लौंग, पांच इलायची और एक नींबू भी रखें। धूप-दीप, पुष्प, अक्षत अर्पित करने के उपरांत एक माला ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे। ú स्कं द माता देव्यै नम: मंत्र का जाप करें। साथ ही एक माला जाप शनि पत्नी नाम स्तुति की करें। तत्पश्चात यह समस्त सामग्री किसी पीपल के पेड़ के नीचे चुपचाप रखकर आना चाहिए। बहुत जरूरी है कि अपने घर में प्रवेश से पहले हाथ-पैर अवश्य धो लें। ऐसा नियमित 43 दिनों तक करें। पारिवारिक सारी समस्याओं का निवारण हो जाएगा। वैसे यह उपाय किसी भी महीने की शुक्ल पक्ष की पंचमी से प्रारम्भ किया जा सकता है।

पारिवारिक कष्ट निवारण या पति-पत्नी मन-मुटाव निवारण प्रयोग
कई परिवार ऐसे देखे गए हैं कि उनके परिवार में किसी प्रकार की कमी नहीं है। भरा-पूरा परिवार है। धन-दौलत सब कुछ है लेकिन सुख-शांति नहीं है और कोई कारण समझ में नहीं आता। तो पांचवें नवरात्र में इस उपाय को शुरु करना चाहिए। वैसे तो यह उपाय शुक्ल पक्ष की किसी भी पंचमी को शुरु किया जा सकता है और उसे 43 दिनों तक नियमित करना चाहिए। अपने पूजा स्थान में ईशान कोण में एक चौकी लगाकर पीला कपड़ा बिछाएं। उस पर हल्दी और केसर मिला कर स्वास्तिक बनाएं। स्वास्तिक के ऊपर कलश स्थापित करें। कलश में जल भर कर थोड़ा सा गंगाजल डालें। 7 मुट्ठी धनिया, 7 गांठ हल्दी और 7 बताशे डालें। पांच अशोक पेड़ के पत्तों को दबाकर कलश पर मिट्ठी की प्लेट रखें। उसमें 7 मुट्ठी गेहू और 7 मुट्ठी मिट्टी मिला कर प्लेट में रखें। तत्पश्चात एक जटा वाला नारियल रखें उस पर 7 बार कलावा लपेट कर स्थान दें। नारियल पर केसर और हल्दी का तिलक करें। शुध्द घी का दीपक जला कर गाय का घी, शक्कर, केला, मिश्री, दूध, मक्खन, हल्वा भोग के रूप में अर्पित करें। और रुद्राक्ष की माला पर पांच माला ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे। ॐ स्कंद माता देव्यै नम: और पांच माला ॐ सर्व मंगलमांगल्यै शिवै सर्वाथ साधिके। शरण्ये त्र्यम्बके गौरी नारायणी नमोस्तु ते। और माँ भगवती को प्रणाम करके उठ जाएं। और माँ भगवती को लगाए भोग को निर्जन व गरीब परिवार में बांट दें। माँ की आरती करें और कष्ट निवारण के लिए प्रार्थना करें। अगले दिन पुन: भोग व धूप-दीप अर्पित करें और पांच-पांच माला जाप करें। ऐसा नवमी तक करें। अंतिम दिन पांच कुंवारी कन्याओं को बुला कर भोजन कराएं। वस्त्र और दक्षिणा भेंट करें। नारियल फोड़ कर उस जल को पूरे घर में छिड़क दें। गिरी को परिवार के सदस्यों में बांट दें। बाकी समस्त पूजन सामग्री कलश सहित जल में प्रवाह कर दें।

कार्य सिद्धि हेतु
• किसी भी शुभ कार्य के लिए घर से बाहर निकलने से पूर्व दही में गुड़ या चीनी मिलाकर सेवन करके बाहर निकलने से कार्य में सफलता मिलती है। साथ ही घर से बाहर निकलते समय अपने पास कुछ धन राशि रख दें। इस धन राशि से किसी जरूरत मंद व्यक्ति को खाने की चींज देकर निकल जाएं, कार्य में सफलता मिल जाएगी।
• किसी भी कार्य की बाधा दूर करने के लिए 43 दिन तक हर रोज प्रात:काल नित्यकर्म से निवृत होकर स्नानोपरांत हनुमान जी की प्रतिमा के समक्ष चमेली के तेल में सिंदूर मिलाकर चढ़ाएं और उनके श्रीचरणों के सिंदूर का तिलक अपने मस्तक पर लगा लें। कार्य बाधा दूर हो जाएगी।

मनोकामना पूर्ति हेतु
हर रोज नित्यकर्म से निवृत होकर स्नानोपरांत 108 बिल्वपत्र के ऊपर सफेद चंदन से ॐ नम: शिवाय चंदन की लकड़ी से लिखें। महामृत्युंजय मंत्र का जाप करते हुए शिवलिंग पर चढ़ा दें। संपूर्ण मनोकामना पूर्ण होगी।

धन की प्राप्ति हेतु
संपूर्ण प्रयासों के बावजूद धन की प्राप्ति नहीं होने पर किसी भी माह के शुक्ल पक्ष के प्रथम सोमवार को यह उपाय प्रारंभ करें। और लगातार एक साल तक करें। हर रोज नित्यकर्म से निवृत होकर स्नानोपरांत किसी तांबे के पात्र स्वच्छ जल भर के उसमें थोड़ा गंगा जल और शहद मिलाकर सूर्योदय से पूर्व शिवलिंग पर ॐ नम: शिवाय का जाप करते हुए चढ़ा दें। इससे लाभ मिलेगा।

बच्चे के कष्टों से छुटकारा हेतु
यदि आपका बच्चा बीमार है और वह जो भी खाता है, उसकी उल्टी कर देता है तो उसके उपचार के लिए एक पान के पत्ते पर एक बूंदी का लड्डू, पांच गुलाब के फूल रखकर बच्चे के ऊपर से सात बार उसार कर चुपचाप किसी मंदिर में रखकर आ जाएं, कष्टों से छुटकारा शीघ्र मिल जाएगा।