जिस प्रकार भूमि को अनेक भागों में विभक्त कर भूगोल की शिक्षा सुगमता से दी जाती है, उसी प्रकार खगोल को भी 360 कल्पित अंशों में विभाजित किया गया है। राशि वास्तव में आकाशस्थ ग्रहों की नक्षत्रावली की एक विशेष आकृति व उपस्थिति का नाम है। आकाश में न तो कोई बिच्छू है और न कोई शेर, पहचानने की सुविधा के लिए तारा समूहों की आकृति की समता को ध्यान में रखकर महर्षियों ने परिचित वस्तुओं के आधार पर राशियों का नामकरण किया है। इस राश्यावली को ठीक से पहचानने के लिए समस्त आकाश मण्डल की दूरी को 27 भागों में विभक्त किया गया तथा प्रत्येक भाग का नाम एक-एक नक्षत्र रखा गया।
सूक्ष्मता से समझने के लिए प्रत्येक नक्षत्र के चार भाग किए गए, जो चरण कहलाते हैं। चन्द्रमा प्रत्येक राशि में तथा दो दिन संचरण करता है। उसके बाद वह अलग राशि में पहुँच जाता है। भारतीय मत से इसी राशि को प्रधानता दी जाती है।
सूर्य राशि किसे कहते हैं ?
वर्तमान समय में राशिफल से संबंधित अधिकांश पुस्तकें पाश्चात्य ज्योतिष के आधार पर सूर्य, राशि को प्रधानता देते हुए प्रकाशित की जाती हैं, जिस प्रकार भारतीय ज्योतिषी चन्द्र राशि को ही जातक की जन्म राशि मानते हैं और उसे महत्व देते हैं, उसी प्रकार पाश्चात्य ज्योतिर्विद जातक की सूर्य राशि को अधिक महत्व देते हैं।
जन्म राशि देखने का तरीका या नाम राशि
ज्योतिष प्रेमियों के साथ दूसरी बड़ी समस्या यह है कि वे जन्म राशि देखें या नाम राशि? वैसे व्यक्ति विशेष के जीवन का पूरा विवरण एवं जानकारी तो उसकी जन्मपत्रिका के द्वारा ही संभव है परन्तु मोटे तौर पर जन्मकालीन चन्द्रमा का पता लगाने पर ही किसी व्यक्ति के चरित्र, गुण व गतिविधि के बारे में बहुत कुछ बताया जा सकता है।
कई व्यक्ति इस चक्कर में रहते हैं कि राशि कौन-सी प्रधान मानें जन्म राशि अथवा चालू नाम राशि। इसके लिऐ ज्योतिष शास्त्र निर्देश देता है कि विद्यारम्भ, विवाह, यज्ञोपवीत इत्यादि मूल संस्कारित कार्यों में जन्म राशि की प्रधानता होती है। नाम राशि पर विचार न करें परन्तु घर को आने-जाने पर, गांव प्रस्थान व यात्रादि पर, लाटा-खेत-फर्म, फैक्ट्री इत्यादि के उद्घाटन व समापन पर तथा यज्ञ, पार्टी व व्यापार कर्मों तथा दैनिक कार्यों में नाम राशि प्रधान है जन्म राशि नहीं।
राशियों का स्वरूप व आकृति
मेष : मेष राशि की आकृति मेंढे के समान है।
वृषभ : वृषभ राशि बैल की आकृति वाली है।
मिथुन : मिथुन राशि स्त्री-पुरुष का जोड़ा है।
कर्क : कर्क राशि केकड़े के समान है।
सिंह : सिंह राशि मृगराज शेर के समान आकृति लिए हुए है।
कन्या : नौका में बैठी हुई स्त्री हाथ में धान व अग्नि लिए हुए है।
तुला : तराजू हाथ में लिए हुए पुरुष के तुल्य है।
वृश्चिक : वृश्चिक राशि आकाश में डंकदार बिच्छू की आकृति बनाती है।
धनु : धनुष हाथ में लिए हुए, कमर ऊपर मनुष्य एवं कमर के नीचे जंघा घोड़े के समान है।
मकर : हिरण से सदृश मुख वाले मगरमच्छ के समान है।
कुंभ : कन्धे पर कलश लिए हुए पुरुष के सदृश्य है।
मीन : दो मछलियों के एवं मुख पर दूसरी पूंछ लगाकर गोल बनी हुई है।
19 अप्रैल 2010
ज्योतिष शास्त्र और राशियाँ
Posted by Udit bhargava at 4/19/2010 08:14:00 am
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