कार्य का स्वरूप
चॉकलेटियर बनने के लिए बहुत धर्य और दृढ़ता की आवश्यकता होती है। साथ ही अपने द्वारा तैयार की हुई चॉकलेट को थोड़े-थोड़े समय बाद नवरूप देने की कलात्मक योग्यता की भी दरकार होती है। रोजमर्रा के कार्य में चॉकलेट बनाने वाले यंत्रों की कार्यप्रणाली, सफाई व रखरखाव, निर्माण कार्य की शिडच्यूलिंग, ऑर्डर लेना, सामग्री तैयार करना और अंत में तैयार उत्पाद को गुणवत्ता के आधार पर जांचना शामिल है। व्यापार के विस्तार के अनुरूप इनके काम में बदलाव संभव हैं।
व्यावहारिक समझ
चॉकलेट के इतिहास, फ्लेवर और गुणों की जानकारी होनी चाहिए, ताकि चॉकलेट से विभिन्न तरह के डेजर्ट, कैंडीज और स्कल्पचर तैयार कर सकें। बाजार में उपलब्ध कई तरह की चॉकलेट्स और उनके सही उपयोग के बारे में पता होना चाहिए। तीन तरह की चॉकलेट (सफेद, मिल्क व डार्क) की खूबी व इसे सबसे अच्छे आकार में सामने लाने का ज्ञान भी इनके लिए आवश्यक है।
योग्यता
द कुलिनरी इंस्टीट्यूट ऑफ अमेरिका के अनुसार चॉकलेटियर के पास कलात्मक सोच के साथ ही सफल व्यापार संचालन के लिए जरूरी बातें होना आवश्यक हैं। हालांकि कुछ चॉकलेटियर्स ने औपचारिक शिक्षा लिए बगैर भी सफलता पाई है और नाम कमाया है, लेकिन कुलिनरी स्कूल से तकनीकी व व्यावहारिक शिक्षा लेने के बाद ही इसमें प्रवेश करना बेहतर रहता है। अब तो इस विधा से जुड़े ऑनलाइन कार्यक्रम भी शुरू हो चुके हैं, लिहाजा यह आपको तय करना है कि कक्षागत पढ़ाई को प्राथमिकता देंगे या ऑनलाइन को।
अनुभव
प्रशिक्षु को किसी स्थापित चॉकलेटियर का हाथ बंटाते हुए कार्य की बारीकियां सीखना चाहिए। इसमें इंटर्नशिप और हर स्तर पर कार्य करते हुए सीखने के प्रशिक्षण को कुछ समय तक जारी रखा जा सकता है। इस तरह शिक्षण के बाद व्यावहारिक शिक्षा का भी ज्ञान हो जाता है। इस तरह से अपना कार्य शुरू करने से पहले व्यवसाय की बारीकियां भी जान लेते हैं। अनुभवी चॉकलेटियर शानदार और कलात्मक चॉकलेट पीस भी तैयार करते हैं।
संभावनाएं
आवश्यक शिक्षण-प्रशिक्षण लेने और किसी स्थापित ब्रांड के साथ कार्यगत अनुभव लेने के बाद आप अपना काम शुरू कर सकते हैं। अपना काम शुरू करने में मेहनत, धर्य और सजगता की आवश्यकता होती है। फिर भी ज्यादातर लोग किसी दूसरे के साथ जुड़कर कार्य करने से ज्यादा प्राथमिकता अपना काम शुरू करने को देते हैं। वेबसाइट ह्यद्बद्वश्चद्य4द्धद्बrद्गस्र.ष्oद्व के अनुसार बीते कुछ वर्षो में इस व्यवसाय में 52 फीसदी की बढ़ोत्तरी दर्ज हुई है। इस वेबसाइट के अनुसार वेतन या आपकी कमाई अनुभव, कार्यरत या स्वयं संचालित कंपनी की तरक्की व ब्रांड वेल्यू के अनुसार बढ़ती है। इस इंडस्ट्री से जुड़ने का एक और विकल्प चॉकलेट टेस्टर बनने का भी है। इसके अलावा रिसर्च व डेवलपमेंट का कार्य संभालते हुए नई-नई रेसिपी भी ईजाद कर सकते हैं।
कोर्स
भारत में इस संबंध में कम ही कोर्स मौजूद हैं। दिल्ली स्थित चॉकलेट क्लासेज एंड मटेरियल इंस्टीट्यूट में प्रोफेशनल चॉकलेट मेकिंग, चॉकलेट डेकोरेशन, चॉकलेट पैकेजिंग और सेमी प्रोफेशनल चॉकलेट मेकिंग का कोर्स
करवाया जा रहा है। मुंबई बैरी कैलेबॉट चॉकलेट एकेडमी भी देश का एक प्रतिष्ठित संस्थान है। यहां एक और दो दिन के स्पेशल कोर्स भी हैं जो क्रमश: 3500-7000 रुपए में हो सकते हैं। ऑनलाइन कोर्सेज की बात करें तो वैंकुवर, कनाडा स्थित इकोल चॉकलेट संस्थान इस बाबत ऑनलाइन कोर्स करवाता है।
मिथक
ज्यादातार लोग इस पेशे से इसलिए जुड़ते हैं, क्योंकि उन्हें चॉकलेट खाने का शौक होता है। यह बात कुछ हद तक तो जायज है लेकिन जब बात कलात्मक नजरिये, व्यापारिक सोच और संप्रेषण की शानदार कला की आती है तो कई लोग पिछड़ जाते हैं। ऐसे में यह ध्यान रखना जरूरी है कि आप सिर्फ शौक के तहत इस उद्योग से जुड़ रहे हैं या वास्तव में चॉकलेट निर्माण से जुड़ने की धुन है।
वेतन
चॉकलेट टेस्टर के तौर पर आप किसी कंपनी में शुरुआत से ही अच्छा वेतन पा सकते हैं। ट्रेनिंग के क्षेत्र से जुड़कर आप एक सत्र में एक-दो हजार रुपए तक कमा सकते हैं। चॉकलेटियर्स की सबसे ज्यादा खपत हॉस्पिटेलिटी इंडस्ट्री में है, जहां इनका शुरुआती वेतन 8-10 हजार रुपए होता है।
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