20 अप्रैल 2010

टेलीकम्युनिकेशन इंजीनियरिंग

टेलीकम्युनिकेशन का क्षेत्र दुनिया में तेजी से आगे बढ़ रहा है। यह क्षेत्र हमारे रोजमर्रा के जीवन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। इसकी मदद से ही हम दूर बैठे लोगों के संपर्क में रह पाते हैं। इस तकनीक की मदद से ही हम उन्हें देख और बातचीत कर पाने में सक्षम हो पाए हैं। सूचना व संचार के इस दौर में संप्रेषण के बेहतर डिजिटल माध्यम जैसे मोबाइल, इंटरनेट और सैटेलाइट सेवाएं और विस्तृत हो रही हैं। नतीजतन इस तकनीक में पेशेवर और दक्ष लोगों की मांग भी बढ़ रही है, जो टेलीकॉम इंडस्ट्री को महत्वपूर्ण बना रहे हैं।

कार्य का स्वरूप
डिजिटल और वायरलेस प्रसारण के दौर में माइक्रोइलेक्ट्रॉनिक उपकरण, सिग्नल प्रोसेसिंग, डाटा नेटवर्किग, कोडिंग, एनक्रिप्शन और ट्रांसमिशन में रुचि रखने वाले इस क्षेत्र में कॅरियर बना सकते हैं। टेलीकम्युनिकेशन इंजीनियर लाइन, वायरलेस और रेडियो संचार से डील करते हैं। इनके द्वारा किए जाने वाले महत्वपूर्ण कार्यो में ग्राहक की मांग के अनुरूप टेलीकम्युनिकेशन के उपकरणों का निर्माण, रखरखाव, इंस्टॉलेशन और समस्या का निवारण शामिल है। नेटवर्क के रखरखाव, उत्पाद की गुणवत्ता और टेलीकॉम उद्योग के लिए नए सॉफ्टवेयर विकसित करने की जिम्मेदारी इन्हीं की है। इन्हें फाइबर ऑप्टिक्स, सेलुलर तकनीक और लेजर तकनीक का भी अच्छा ज्ञान होना चाहिए।

विस्तृत विषय
विशेषज्ञता की दरकार रखने वाले इस क्षेत्र में योग्यता और प्रशिक्षण दोनों की आवश्यकता होती है। टेलीकम्युनिकेशन इंजीनियरिंग मंे अध्ययन व विकास, निर्माण, मरम्मत, सेल्स, मार्केटिंग और शिक्षण मुख्य हैं। इन विषयों से स्नातक विशेषज्ञ डेवलपमेंट, प्रोडक्शन, क्वालिटी एश्योरेंस, सेल्स, सर्विसिंग या सॉफ्टवेयर इंजीनियर बन सकते हैं।

शैक्षणिक योग्यता
फिजिक्स, केमिस्ट्री व मैथ्स पर अच्छी पकड़ रखने वाले छात्र इसे कॅरियर के विकल्प के तौर पर अपनाकर स्नातक या स्नातकोत्तर कर सकते हैं। टेलीकम्युनिकेशन इंजीनियर बनने के लिए स्नातक (बीई/बीटेक), स्नातकोत्तर (एमई/एमटेक) या डिप्लोमा होना आवश्यक है। रोजगार के बेहतर विकल्प के लिए इसमें एमबीए भी किया जा सकता है।

कोर्स
चार वर्ष के बीई/बीटेक, दो वर्ष के एमई/एमटेक के अलावा इस विषय में दो वर्ष का एमबीए और एक वर्ष का डिप्लोमा कोर्स भी मौजूद है। इसके अलावा तीन माह के सर्टिफिकेट कोर्स भी कुछ संस्थान करवा रहे हैं। डिप्लोमा कोर्स में छात्रों को टेलीकम्युनिकेशन के विभिन्न उपकरण जैसे मोबाइल फोन, केबल टीवी, सैटेलाइट, कंप्यूटर नेटवर्किग, राडार, नेविगेशन वगैरह की जानकारी दी जाती है। इसके अलावा मोबाइल टेलीफोनी, जीएसएम आर्किटेक्चर, इंटरनेट प्रोटोकॉल मीडिया सिस्टम, सीडीएमए, जीपीआरएस नेटवर्क और ऑप्टिकल नेटवर्क पर भी विशेष ध्यान दिया जाता है।

व्यक्तिगत कौशल
टेलीकम्युनिकेशन इंजीनियर बनने के लिए व्यक्तिगत योग्यताओं में संप्रेषण की कला, संगठनात्मक योग्यता, स्थिति का आकलन कर त्वरित फैसले लेने और समस्याओं को सुलझाने की समझ होनी चाहिए। टीम के साथ मिलकर कार्य करना, कंप्यूटर हार्डवेयर व सॉफ्टवेयर की पूरी जानकारी होना भी आवश्यक है।

रोजगार के अवसर
इस उद्योग में आए बूम से देश-विदेश में टेलीकॉम इंजीनियर के लिए रोजगार के विकल्प बढ़ रहे हैं। टेलीकॉम इंजीनियर टेलीफोन, टेलीग्राफ, राडार, रेडियो, टेली प्रिंटर को सूचना माध्यमों के लिए और बेहतर व विकसित करने के लिए कार्य करते हैं। इस विधा में दक्ष लोगों के लिए टेलीकॉम इंडस्ट्री में कई मौके हैं, डिजाइन, निर्माण, रखरखाव, इंस्टॉलेशन और समस्या के निवारण में विशेषज्ञता रखने वालों के लिए एमटीएनएल, बीएसएनएल, रिलायंस, वोडाफोन, एयरटेल और नोकिया जैसी कंपनियों में काफी विकल्प मौजूद हैं। बीएसएफ, सीआरपीएफ और सेना में भी कम्युनिकेशन विशेषज्ञों की जरूरत होती है।

टेलीकम्युनिकेशन में दो-तीन वर्ष का अनुभव प्राप्त करके शिक्षण की तरफ भी जाया जा सकता है। इस विषय में एमबीए करने के बाद मैनेजेरियल जॉब भी एक विकल्प है। अगर रिसर्च व विकास में भागीदारी करना चाहते हैं तो इस दिशा में भी कदम बढ़ाए जा सकते हैं। इस क्षेत्र में नित नए अनुसंधान हो रहे हैं ताकि बदलते दौर के साथ कदमताल मिलाई जा सके। यह एक ऐसा क्षेत्र है, जिसमें आपके लिए विदेशों में भी अपार संभावनाएं मौजूद हैं।

पारिश्रमिक
टेलीकम्युनिकेशन इंजीनियर का पारिश्रमिक उसके अनुभव, शैक्षणिक योग्यता और व्यक्तिगत योग्यता पर निर्भर करता है। यहां सरकारी संस्थाओं के मुकाबले निजी संस्थानों में बेहतर वेतन मिलता है। संस्थानों के अनुरूप स्नातकों के लिए 10 हजार रुपए से शुरुआत हो सकती है। कुछ वष्रो का अनुभव के बाद 20 हजार रुपए से अधिक वेतन हासिल किया जा सकता है।

कोर्स करवाने वाले संस्थान
इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (आईआईटी) के सभी केंद्र।
राजस्थान विधापीठ यूनिवर्सिटी, उदयपुर
किंग्सटन पॉलीटेक्निक इंस्टीट्यूट, परगनास, पश्चिम बंगाल
महाकौशल इंस्टीट्यूट ऑफ इंजी. एंड टेक्नोलॉजी, बिलासपुर