कार्य का स्वरूप
इस क्षेत्र से जुड़े लोगों को चिकित्सा संबंधी समस्याओं को इंजीनियरिंग की शब्दावली में परिभाषित करना आना चाहिए। ये ऐसे उपकरणों का डिजाइन और निर्माण करते हैं जो यांत्रिकी और क्लीनिकल लिहाज से उपयोगी हों, जिसमें कार्डिएक मॉनिटर्स, क्लिनिकल कंप्यूटर्स, कृत्रिम हृदय, कॉन्टैक्ट लैंस, व्हील चेयर तक शामिल हैं। मशीनरी को दुरुस्त रखने और इनके व्यवस्थापन के लिए भी इनकी महती आवश्यकता पड़ती है।
शैक्षणिक योग्यता
बायोमेडिकल इंजीनियर बनने के लिए बायोमेडिकल इंजीनियरिंग में स्नातक करना आवश्यक है। यह चार वर्षीय कोर्स कई विश्वविद्यालयों से करवाया जा रहा है। इसके लिए संबंधित विश्वविद्यालय की प्रवेश परीक्षा देनी पड़ती है। इसके बाद बीएमई में स्नातकोत्तर भी किया जा सकता है।
व्यक्तिगत योग्यता
बायोमेडिकल प्रोफेशनल का अच्छा इंजीनियर होना और लाइफ साइंस प्रणाली व तकनीक की तरफ झुकाव होना चाहिए। इंजीनियरिंग की बढ़िया जानकारी, लिखने व बात करने की संप्रेषण कला और बायोलॉजी में रुचि होना चाहिए। टीम के सदस्य बनकर कार्य करने, विश्लेषणात्मक सोच व्यक्तिगत योग्यताओं में शुमार की जाती हैं।
बीएमई की शाखाएं
बायोमेडिकल इंजीनियर कुशल वैज्ञानिक भी होते हैं। इस विस्तृत क्षेत्र की कई शाखाएं हैं।
बायोइंस्ट्रूमेंटेशन- यह उपकरणों का निर्माण करने के लिए इलेक्ट्रॉनिक्स और नापतौल की तकनीक का उपयोग करते हैं, जिससे बीमारियों की पहचान और उपचार बेहतर तकनीक से किया जा सके।
बायोमटेरियल्स- विज्ञान की यह शाखा प्राकृतिक मटेरियल का उपयोग कर मेडिकल तकनीक के विकास के लिए करती है।
सेलुलर, टिश्यू, क्लीनिकल इंजीनियरिंग- यह ऐसी तकनीक है जो कृत्रिम रक्त वाहिकाओं, अंग, त्वचा व हड्डियों की प्रतिस्थापना के लिए उपयोगी है। क्लीनिकल इंजीनियरिंग की उपयोगिता अस्पतालों में मेडिकल उपकरण व औजारों का सही रिकॉर्ड रखने में भी पड़ती है।
ऑर्थोपेडिक बायोइंजीनियरिंग- यह ऐसा विज्ञान है जिससे हड्डियों, मांसपेशियों और जोड़ों की कार्यप्रणाली को समझने में मदद मिलती है। यह आर्टीफिशियल ज्वाइंड रिप्लेसमेंट को डिजाइन व डेवलप करने में मददगार है।
रोजगार के अवसर
बायोमेडिकल इंजीनियरों के लिए आर एंड डी के क्षेत्र में काम करने के व्यापक अवसर हैं। इसके अलावा प्रयोगशालाओं में पर्यवेक्षण करने व मशीनों के व्यवस्थापन में बीएमई काम आते हैं। इस क्षेत्र मंे दूसरे वरिष्ठ शोधकर्ताओं के साथ जुड़कर भी कार्य किया जा सकता है। बीपीएल, लार्सन एंड टूब्रो, विप्रो मेडिकल और सीमंस जैसी कंपनियां इन्हें योग्यता व प्राथमिकता के आधार पर अपने आर एंड डी, सेल्स व मार्केटिंग विभाग में जगह देती हैं। क्लीनिकल व रीहेबिलिटेशन इंजीनियर्स की तो विदेशों मंे भी भारी मांग है।
और भी हैं राहें
हेल्थकेयर व मेडिसिन के साथ ही इंजीनियरिंग का ज्ञान रखने वालों के लिए बॉयोमेडिकल इंजीनियरिंग उचित कॅरियर विकल्प बन सकता है। यह बायोलॉजी व इंजीनियरिंग के सिद्धांतों को एक साथ उपयोग में लाने की विधा है।
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