इसके अलावा आयात विशेषज्ञों को नियुक्त करने वालों में कार्गो क्लीयरिंग, मरीन इंश्योरेंस कंपनियां और पैकेज उद्योग प्रमुख हैं। फॉरेन ट्रेड डेवलपमंेट सेंटर, दिल्ली के निर्देशक केएल भाटिया के अनुसार, ‘अंतरराष्ट्रीय व्यापार तेज गति से विकास कर रहा है और रोजगार के नए मौके सामने आ रहे हैं। कई ट्रेडिंग और सुपर ट्रेडिंग हाउस अपने विदेशी दफ्तरों में इस क्षेत्र से जुड़े लोगों की नियुक्ति को तत्पर हैं।’
कार्य का प्रारूप
एक्सपोर्ट मैनेजमेंट प्रोफेशनल का काम बहुत जिम्मेदारी का होता है, क्योंकि आपकी जरा सी भी गलती कंपनी को लाखों की चपत लगा सकती है। इस काम में कंपनी द्वारा निर्मित निर्यात होने वाले उत्पादों की मार्केटिंग, विदेशी व्यापार से जुड़ी कागजी कार्रवाई व जानकारी के अलावा पोत-परिवहन और पैकेजिंग की जानकारी होना जरूरी है। बड़ी कंपनियों में उच्च स्तर पर ऐसे पेशेवरों को नियुक्त किया जाता है जो कंपनी के सभी विदेशी कारोबार व लेन-देन की व्यवस्था बना पाएं।
योग्यता
एक्सपोर्ट मैनेजर विदेशों में कंपनी का प्रतिनिधित्व करते हैं। इनके द्वारा निभाई जाने वाली अन्य जिम्मेदारियों में ग्राहक से जुड़े मसले सुलझाना, परिवहन, लाइसेंस, व्यापार समझौते और शीघ्र भुगतान करवाना शामिल है। इसके लिए न्यूनतम स्तर पर एक्सपोर्ट मैनेजमेंट व अंतरराष्ट्रीय व्यापार में स्नातक का कोर्स करना अनिवार्य है।
अंतरराष्ट्रीय व्यापार में एमबीए करने के लिए छात्रों को संयुक्त प्रवेश परीक्षा से गुजरना पड़ता है। कुछ निजी शिक्षण संस्थान जैसे फॉरेन ट्रेड डेवलपमेंट सेंटर इसमें पीजी डिप्लोमा भी करवाते हैं। यह अपनी प्रवेश परीक्षा के जरिए ही प्रवेश देते हैं। ऑल इंडिया काउंसिल फॉर टेक्नीकल एजुकेशन के तहत आने वाले कई संस्थान इसके कोर्स करवा रहे हैं। शैक्षणिक योग्यता के अलावा, व्यापार की तरफ रुझान, संप्रेषण की कला में निपुणता और आत्मविश्वास आवश्यक गुणों में शामिल है।
पेशेवरों का पारिश्रमिक
एक्सपोर्ट मैनेजमेंट में डिग्री लेने के बाद पेशेवरों को शुरुआत में 60-95 हजार सालाना वेतन मिल सकता है। अच्छे संस्थान से डिग्रीधारी, एक या ज्यादा विदेशी भाष के जानकार और अनुभवियों को दूसरों से ज्यादा अच्छा मेहनताना मिलता है।
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