23 अप्रैल 2010

कष्ट निवारण - उपाय - 4

दुर्घटना से बचाव हेतु
आपके वाहन में काले धागे में 7 पीली कौड़ियां, 7 तांबे वाले छेद वाले सिक्के बांधकर लटका देने से आपका वाहन हमेशा दुर्घटनाओं से बचा रहेगा।

धन प्राप्ति
कनकधारा यंत्र की अपनी ही एक महिमा है यदि श्रध्दापूर्वक अपने घर में कनकधारा यंत्र को स्थापित करके नित प्रतिदिन धूप-दीप, नैवेद्य और पुष्प अर्पित करें तो बहुत लाभ होगा। इसके साथ ही प्रतिदिन घी का दीपक जला कर 'ॐ वं श्री वं एं ह्रीं क्लीं कनकधारायै स्वाहा।' कनकधारा मंत्र को स्फटिक की माला पर ग्यारह माला प्रतिदिन सुबह और शाम जाप करने से महालक्ष्मी प्रसन्न होती हैं और जीवन की सारी समस्याओं का निवारण हो जाता है।

रोजगार प्राप्ति हेतु
अगर आपको नौकरी या काम नहीं मिल रही हैँ तो एक दाग रहित बड़ा नींबू लें और चौराहे पर बारह बजे से पहले जाकर, उसके चार हिस्से कर लें और चारों दिशाओं में दूर-दूर फैंक दें। फलस्वरूप बेरोजगारी की समस्या समाप्त हो जाएगी।

धन-वृध्दि के स्रोत हेतु
कभी-कभी मनुष्य लाख कोशिश करता है किन्तु आमदनी हमेशा खर्च से अधिक रहती है। इसलिए उसे पूंजी में से ही खर्च करना पड़ता है। कई प्रकार के तरीके अपना कर जब भी घर में कुछ धन एकत्र होता है सहसा खर्च बढ़ जाता है और आर्थिक स्थिति पहले की तरह नाजुक ही बनी रहती है। ऐसी स्थिति से उबरने के लिए यदि शास्त्रोक्त उपाय का सहारा लिया जाए तो उससे काफी राहत मिलती है। इसके लिए जातक को शुक्ल पक्ष पर अष्टमी से पूर्णिमा तक प्रतिदिन रात में चंद्रमा को दही-भात का नैवेद्य श्रध्दापूर्वक अर्पित किया जाना चाहिए। यह दही-भात का नैवेद्य को चंद्रमा को केवल केले के पत्ते पर ही समर्पित करना चाहिए। नैवेद्य को चाँदी की छोटी सी कटोरी में भी रखा जा सकता है। नैवेद्य के पास शुध्द घी का दीपक जलाकर अवश्य रखें। साथ ही एक माला लक्ष्मी बीज मंत्र ॐ श्रीं ह्रीं श्रीं कमले कमलालये प्रसीद प्रसीदं। श्रीं ह्रीं महालक्ष्म्यै नम:। का भी जाप करें। पूर्णिमा के दिन जो नैवेद्य चन्द्रमा को अर्पित करें, उसका थोड़ा प्रसाद स्वयं भी ग्रहण करें। इस उपाय से बड़ी सरलता से धन-वृध्दि के नए-नए स्रोत खुलने लगते हैं।

धन हानि रोकने हेतु
यदि अप्रत्याशित व्यावसायिक परेशानियों से जूझना पड़ रहा हो तो किसी भी रविवार के दिन नित्यकर्म से निवृत होकर स्नानोपरांत रवि की होरा में अपने पूजा स्थान में मां लक्ष्मी के श्रीविग्रह की स्थापना करें। साथ में व्यापाार वृद्धि यंत्र भी स्थापित करें। तत्पश्चात पूजा स्थान में चौकी बिछाकर उसपर पीला वस्त्र बिछा दें। उस पर हल्दी से रंगे हुए चावलों की 9 ढेरी बनाएं। प्रत्येक ढेरी पर 9 चौमुखा घी का दीपक प्रज्वलित करें। तत्पश्चात 108 कमलगट्टे के ऊपर मां लक्ष्मी क ध्यान करते हुए केसर से 'श्री' अंकित करें। प्रत्येक कमलगट्टे को अपने हाथ में लेकर इस मंत्र का जाप करते हुए कमलगट्टे को लक्ष्मी के श्रीचरणों में अर्पित कर दें। ऐसा 108 कमलगट्टे को जाप करते हुए अर्पित कर दें। पूजा समाप्ति के बाद श्रद्धापूर्वक एक कमल गट्टा मां लक्ष्मी से मांगकर पीले कपड़े में लपेट कर अपनी तिजोरी में रख दें। मां लक्ष्मी की कृपा होगी। परिवार में सुख-शांति रहेगी और धन हानि का भय कभी नहीं रहेगा।

शत्रु षडयन्त्र
जिन जातक-जातिकाओं को अप्रत्याशित रूप से लगातार शत्रु षडयन्त्र की वजह से कारोबार में हानि, चोरी आदि का सामना करना पड़ रहा हो तो उनसे मुक्ति पाने के लिए वे इस उपाय से लाभ उठा सकते हैं। यह उपाय अचूक है। इसके लिए अपने ही हाथों से अमावस्या तिथि को कुश उखाड़ लें और उसकी जड़ ले आएं। फिर उस जड़ को बिल्व (बेल) के पंचांग तथा सिन्दूर के साथ चूर्ण बनाकर उससे चन्दन की लकड़ी की कलम से भोजपत्र के ऊपर - 'ॐ ह्रीं श्रीं क्लीं नमो भगवति माहेश्वरि अन्नपूर्णे स्वाहा।' मंत्र को लिखें। उसके बाद इस भोजपत्र पर लिखे मंत्र को कांसे की थाली पर रख दें, पंचोपचार से उसका पूजन करें। बाद में देसी गाय के घी का दीपक जला कर इस मंत्र की तीन माला प्रतिदिन करें और ऐसा 44 दिनों तक करें। जितनी माला रोज हो जाए उसके दशांश का हवन प्रतिदिन करें। ऐसा लगातार 44 दिनों तक करें। श्रध्दा भाव से यदि आप इस प्रयोग को करते हैं तो कष्ट मिटेंगे साथ ही धन लाभ भी होगा।

बरकत हेतु
संपूर्ण प्रयासों के बावजूद भी घर में पैसा नहीं टिकता हो, हमेशा मांगने वाले दरवाजे पर खड़े रहते हो, पैसे को लेकर हमेशा दयनीय स्थिति बनी रहती हो तो किसी भी माह के शुक्ल पक्ष के शुक्रवार के दिन यह प्रयोग आरंभ करें। और नियमित 40 दिन करने से घर में धन की कमी नहीं रहेगी। नित्यकर्म से निवृत होकर स्नानोपरांत घर के मुख्य द्वार पर कुंकुम से त्रिकोण बनाएं और त्रिकोण के मध्य में चौमुखा तिल के तेल का दीपक रख दें साथ में एक लोटा जल भी भरकर रख दें। दीपक प्रज्वलित करने के बाद एक परिक्र मा दीपक की कर लें और अपने घर में आ जाएं। जब दीपक बुझ जाएं तो बचे हुए तेल व दीपक को पीपल के पेड़ में चढ़ा दें और जल भी अर्पित कर दें। ऐसा करने से धन बहुत ही सरलता पूर्वक प्राप्त होगा।

व्यवसाय में उतार-चढ़ाव
यदि आपका कार्य हमेशा रुक-रुक कर होता हो या आपके व्यवसाय में हमेशा उतार-चढ़ाव का दौर चलता रहता हो, कारोबार में घाटा आपका पीछा नहीं छोड़ रहा हो तो यह उपाय किसी भी शनिवार को प्रारंभ करें। हर रोज एक ही निर्धारित समय पर इस उपाय को करें। नित्यकर्म से निवृत होकर स्नानोपरांत अपने पूजा स्थान में एक जगह सुंदर गाय के गोबर से लीप-पोत कर शुद्ध कर लें। उस पर कुं कुंम हल्दी और केसर मिलाकर एक त्रिकोण बनाएं। त्रिकोण के तीनों कोणों पर सिंदुर से ह्री लिख दें। और त्रिकोण के मध्य में अपनी कंपनी का नाम लिखें। अब 21 मूुट्टी साबुत उड़द उस पर बिछा दें। उड़द के ऊपर कंबल का सुंदर आसन बिछा कर अपने सामने चौमुखा घी का दीपक जला कर श्री महा लक्ष्मी का श्रद्धापूर्वक ध्यान करें और इस मंत्र की पांच माला जाप करें। ऐसा नियमित 186 दिन करें। पूजन सामग्री हर रोज नवीन प्रयोग में लाना बहुत जरूरी है।

श्री वृद्धि के लिए
आपके घर में लक्ष्मी की वृद्धि हो इसके लिए आप नियमित रूप से नित्यकर्म से निवृत होकर स्नानोपरांत अपने पूजा स्थान में हनुमान जी के आगे घी का दीपक प्रज्वलित करके हर रोज शाम इस ॐ नमो हनुमते भय भंजनाय सुखम् कुरु-कुरु फट् स्वाहा मंत्र की 11 माला का जाप 40 दिन नियमित करने से संपूर्ण सुख-समृद्धि व धन की वृद्धि होती है।

कारोबार में घाटा
यदि कारोबार में अनावश्यक विघ् आ रहा हो, व्यापार में घाटा हो रहा हो, कर्मचारी साथ नहीं दे रहे हो, हमेशा कोई न कोई बात को लेकर व्यावसायिक प्रतिष्ठान में परेशानी आ रही हो तो किसी भी महीने के शुक्ल पक्ष की अष्टमी के दिन अपने पूजा स्थान मेंं मां दुर्गा श्री विग्रह एवं दुर्गा यंत्र की स्थापना करें। और हर रोज एक पाठ दुर्गा सप्तशती का करें ऐसा 108 दिन नियमित पाठ करने से संपूर्ण परेशानियों का निवारण होगा। सभी प्रकार की विघ् बाधाएं दूर होंगी। मां लक्ष्मी की कृ पा भी होगी। यदि आपके पास समय नहीं है आप मजबूर है ऐसी अवस्था में केवल चौथे अध्याय एवं कवच, अर्गला, कीलक, नवार्ण या सिद्धि कुंजी स्तोत्र का पाठ करने से भी उतना ही लाभ मिलेगा।