ज्योतिष भी अन्य विज्ञानों की तरह एक विज्ञान है और उसका मूल उद्गम सृष्टि के गर्भ में छिपे तथ्यों को जानने की उत्सुकता में निहित है। आकाश-मंडल, निर्बाध गति से चलने वाले रात-दिन, और जन्म-मरण के चक्र और सूर्य, चन्द्र तथा तारागणों के प्रति मानव का कौतूहल अनादिकाल से रहता आया है।
इसी के परिणाम स्वरूप ज्योतिष की विद्या का प्रादुर्भाव हुआ और उसके शास्त्र को विभिन्न ग्रहों और काल का बोध कराने वाले शास्त्र के रूप में स्थापित किया गया। ज्योतिषशास्त्र को वेदों में भी समुचित प्रतिष्ठा प्रदान की गई थी। और यह तथ्य कतिपय व्यक्तियों की इस धारणा को सर्वथा निर्मूल सिद्ध करता है कि यह विज्ञान भारत में विदेशों से आयातित हुआ था।
ज्योतिष का विज्ञान वस्तुतः अपने आप में इतना सशक्त और भरपूर है कि उसके प्रबल विरोधी भी उसके वैज्ञानिक पहलुओं की अवहेलना नहीं कर सकते। ज्योतिष विज्ञान के अन्तर्गत आने वाले ग्रह स्वयं किसी को सुख अथवा दुःख प्रदान नहीं करते। हाँ, उनका प्रभाव सृष्टि के अणु-परमाणुओं पर निरंतर पड़ता रहता है और उससे यहाँ का प्राणी जगत भी प्रभावित होता है। उदाहरण स्वरूप कमल का पुष्प सूर्य की प्रथम किरण पाते ही खिल उठता है और फिर सूर्यास्त होने के साथ ही उसकी पंखुड़ियाँ बंद हो जाती हैं। इसे सूर्य की अपनी विशेषता नहीं कहा जाएगा, बल्कि उन दोनों के मिलन के फलस्वरूप ही इस प्रकार की प्रतिक्रिया उत्पन्न होती है।
कोई भी विज्ञान अपने आप में संपूर्ण नहीं होता। उसकी कुछ विशेषताएँ होती हैं और कुछ खामियाँ। इसी तरह ज्योतिष विज्ञान को भी सर्वथा पूर्ण और निष्कलंक कहना कठिन है। इसका मुख्य कारण यह है कि इस विज्ञान के गणित को अनादिकाल से हमारे पूर्वजों ने गोपनीय बनाए रखने की चेष्टा की और तत्संबंध में जो ज्ञान जिसके पास था वह उसके जीवन के साथ ही समाप्त होता चला गया।
आज भी इस विज्ञान को फलने-फूलने के लिए न उस तरह का परिवेश मिल रहा है जो उसके विकास और विस्तार के लिए अपेक्षित है, और न वह वातावरण जिसके सहारे वह अपने को पुष्पित-पल्लवित करने में समर्थ हो सके। अपनी तमाम कमियों के बावजूद मनुष्य के जीवन में ज्योतिष-विज्ञान का सर्वोपरि स्थान है। यह बात भी असंदिग्ध है कि समग्र विश्व इस विज्ञान की सहायता से अपनी विभिन्न समस्याओं के निराकरण में असामान्य रूप से सफल हो सकता है।
ज्योतिष-विज्ञान वह विज्ञान है जो मनुष्य को उसके कार्यक्षेत्र से परिचित कराता है और जिस तरह रोग-निवारण में औषधि का प्रयोग सहायक सिद्ध होता है। उसी प्रकार इस विज्ञान में जीवन की बाधाओं के प्रति मानव को सचेत करते हुए उसके समुचित निवारण को निर्दिष्ट करने की अद्भुत क्षमता है। भारत जैसे कृषि प्रधान देश के लिए तो ज्योतिष विज्ञान एक अमूल्य वरदान है। उसके आधार पर वर्षा, भूकम्प, बाढ़ और तूफान जैसे प्राकृतिक क्रियाकलापों से अवगत होकर संभावित प्रकोपों के प्रति पहले से सावधान हुआ जा सकता है।
ज्योतिष के माध्यम से प्राप्त जानकारी विश्वसनीय सिद्ध होती रही है। शिक्षा के क्षेत्र में भी ज्योतिष विज्ञान का महत्वपूर्ण योगदान हो सकता है। यह विज्ञान अपना अध्ययन क्षेत्र चुनने में विद्यार्थियों का पथ प्रदर्शन करने में भी पूरी तरह समर्थ है। उद्योग के क्षेत्र में भी इस विज्ञान के माध्यम से बहुत सहायता प्राप्त की जा सकती है।
इसी प्रकार चिकित्सा और मनोविज्ञान की विधाओं में भी ज्योतिष-शास्त्र बहुत उपयोगी सिद्ध हो सकता है। चिकित्सा विशेषज्ञ और मनोवैज्ञानिक जहाँ मात्र बाह्य निरीक्षणों के आधार पर रोग का निर्धारण करते हैं वहीं ज्योतिष विज्ञान जन्मकालीन ग्रह और नक्षत्रों की स्थितियों के आधार पर आंतरिक वास्तविकता का ज्ञान कराने में समर्थ है। राजनीति के क्षेत्र में भी ज्योतिष विज्ञान का विशेष महत्व है।
इस तरह कहा जा सकता है कि आज के युग में भी ज्योतिष विज्ञान मानव जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में वरदान सिद्ध होने की असाधारण क्षमता रखता है। ज्योतिष विज्ञान वस्तु का स्वरूप तो सहज ही बता सकता है, लेकिन उसमें किसी तरह का परिवर्तन लाना उसके लिए संभव नहीं है। हाँ, वह किसी आदमी को उसके व्यक्तित्व की कमियों और खूबियों का अहसास कराते हुए तदनुसार अपना विकास करने के लिए उसे अवश्य प्रेरित कर सकता है।
मनुष्य के अतिरिक्त राष्ट्र की अनेक समस्याएँ भी ज्योतिष की सहायता से बखूबी हल की जा सकती हैं। उसके गणितपक्ष के आधार पर ग्रहों की गति और स्थिति का ज्ञान अर्जित कर कालगणना, नक्षत्रों के परिवर्तन, ग्रहों के संयोग और सूर्य अथवा चंद्र ग्रहण जैसे विभिन्न क्रियाकलापों का आकलन आसानी से किया जा सकता है।
ज्योतिष मात्र विज्ञान ही नहीं, एक कला भी है, लेकिन उसकी सफलता पूरी तरह ज्योतिषी की कार्यक्षमता और दूरदर्शिता पर निर्भर है। इस तरह ज्योतिष शास्त्र एक प्रयोगात्मक विज्ञान है और वह कुछ निश्चित नियमों और सिद्धांतों पर आधारित है।
दु:ख की बात यह है कि इस विज्ञान को वैज्ञानिक गंभीरता के साथ लेने का कोई सार्थक प्रयत्न अब तक नहीं किया गया है। आज मौसम विज्ञान के शोध और परिमार्जन हेतु लाखों रुपयों का व्यय किया जा रहा है लेकिन ज्योतिष विज्ञान पहले की तरह उपेक्षित है। यद्यपि ज्योतिष विज्ञान के आधार पर जो भविष्यवाणियाँ की जाती रही हैं, उनमें हमेशा अधिक सार रहा है।
शिक्षा के क्षेत्र में भी ज्योतिष विज्ञान पूरी तरह उपेक्षित रहा है। उसके विस्तृत और व्यापक अध्ययन के लिए किसी भी विश्वविद्यालय में कोई विशेष सुविधा सुलभ नहीं है। आवश्यकता इस बात की है कि सरकार के अतिरिक्त देश के शिक्षाविद् भी इस संबंध में ध्यान आकृष्ट करें जिससे इस विद्या के माध्यम से उपलब्ध होने वाले लाभ उपेक्षित न रह सकें।
ज्योतिष-व्यवसाय से संबद्ध लोगों से यह अपेक्षित है कि मात्र अपनी रोजी-रोटी तक वे उस विद्या को सीमित न रखते हुए वास्तविक और वैज्ञानिक रूप से उसे पुष्पित और पल्लवित करने की चेष्टा करें जिससे जनसामान्य के सम्मुख अपने निखरे रूप में उपस्थित होना उसके लिए संभव हो सके।
इसमें संदेह नहीं है कि ज्योतिष-विज्ञान मानवीय क्रियाकलापों को नवीनता प्रदान करने का एक अद्भुत सूत्र बन सकता है। बशर्ते उसे पूर्ण रूप से विकसित होने योग्य वातावरण मिल सके और उसके माध्यम से पुरातन के आधार पर नवीनीकरण की सृष्टि करने का प्रयत्न किया जाए।
इसके लिए जरूरी है कि हम अपनी समस्याओं की तार्किक दृष्टि से व्याख्या करें, बगैर किसी पूर्वाग्रह उनका मंथन करें और फिर उनका हल निकालने के लिए प्रयत्नशील हों।
अगर ऐसा नहीं हुआ तो इस विज्ञान की उन्नति को अवरुद्ध होने से कोई नहीं बचा सकता। क्योंकि किसी भी विज्ञान का विकास विभिन्न प्रयोगों, उनके गंभीर अध्ययन, सूक्ष्म निरीक्षण, गणित के ठोस आधार और उसके द्वारा प्रतिपादित फलों पर निर्भर करता है।
अनेक लोगों की धारणा है कि ज्योतिषियों द्वारा बताए गए अधिकांश फलादेश फलीभूत नहीं होते, उनकी इस बात पर आपत्ति नहीं की जा सकती। लेकिन अनेक बार तो चिकित्सा शास्त्री भी किसी रोग का समुचित निदान करने में पूरी तरह विफल हो जाते हैं।
इसका अर्थ यह नहीं है कि चिकित्सा शास्त्र को हम विज्ञान की परिधि से निकालकर उसका उपहास करना शुरू कर दें? ज्योतिष शास्त्र के साथ आज ऐसा ही हो रहा है। हाँ, यह अवश्य है कि ज्योतिष विज्ञान की सफलता ज्योतिषी की योग्यता, उसकी दूरदर्शिता और कार्यक्षमता पर ही निर्भर है, लेकिन यह बात तो प्रायः हर विज्ञान के साथ लागू होती है।
ज्योतिषशास्त्र मानव के साथ-साथ देश और राष्ट्र के लिए भी एक अमूल्य वैज्ञानिक निधि है और उसकी सहायता से न केवल भविष्य की रूपरेखा से अवगत हुआ जा सकता है बल्कि संभावित विघ्न-बाधाओं से बचने की चेष्टा भी की जा सकती है। वर्तमान कालखंड के उस संघर्षपूर्ण वातावरण में जिसमें आदमी सत्य, अहिंसा और शांति के पावन लक्ष्यों से पूरी तरह भटक चुका है, ज्योतिष शास्त्र का अध्ययन बहुत आवश्यक है।
ज्योतिष का अध्ययन क्षेत्र में भी इतना विस्तृत, साथ ही आकर्षक और रोचक है कि उसका अध्ययनकर्ता अगर उसमें पूरी तरह रम हो जाए तो किसी अन्य विधा की ओर दृष्टि उठाने का भी उसे समय नहीं मिल पाएगा। ज्योतिष का विज्ञान हमारी समस्त हलचल, समस्त गतिविधियों की आधारशिला है, और उसकी संभावनाओं की कोई सीमा नहीं।
19 अप्रैल 2010
ज्योतिष का विज्ञान
Posted by Udit bhargava at 4/19/2010 08:22:00 am
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