खाद्य सामग्रियों में मिलावट
खाद्य सामग्रियों में मिलावट अर्से से हो रही है। सेहत पर इसका सीधा असर पड़ता है। सरकार ने इन मिलावट को रोक ने के भरसक उपाय किए हैं। लेकिन वे पर्याप्त साबित नहीं हो रहे हैं। घी दूध, मसालों के अलावा अब तो सब्जियों में भी घातक रसायनों का प्रकोप बढ़ता ही जा रहा है। लौकी का आकार रातों रात केवल ऑक्सीटोसीन के इंजेक्शन से ही बढ़ रहा है।
त्योहारों के मौसम में नकली मावा बेचा जाना अब आए दिन की परेशानी हो गई है। काली मिर्च में पपीते के बीज, धनिये में लकड़ी का बुरादा या घोड़े की लीद और लाल मिर्च में रंग मिला देते हैं। मिलावटी खाद्यान्नों के कारण हर साल लाखों लोग विकलांग और शारीरिक रूप से विकृत हो जाते हैं।
किस तरह होती है मिलावट
चाय की पत्ती में रंगीन बुरादा, काजू के छिलके तथा इस्तेमाल हो चुकी चाय की पत्तियों का सम्मिश्रण किया जाता है। पपीते के पत्तों को सुखाकर इसमें मिलाया जाता है। इसका लंबे समय तक इस्तेमाल स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है एवं कैंसर जैसे कर्कट रोग हो सकते हैं।
अरहर दाल तथा बेसन में तेवड़ा जिसे केसरी या खेसरी भी कहा जाता है, काफी मात्रा में मिलाया जाता है, जो कि स्वास्थ्य के लिए अत्यंत हानिकारक है। इससे अंगों को लकवा मार सकता है, अकड़न एवं कंपकंपी के दौरे पड़ सकते हैं।
खाद्य रंग : खाद्य पदार्थों में रंगों की भूमिका महत्वपूर्ण है। मिठाइयों के अतिरिक्त रंगों का उपयोग आइसक्रीम, शीतलपेय, आइसकेंडी, मुरब्बे, गोली-चॉकलेट आदि में किया जाता है। आमतौर पर दो प्रकार के रंगों का उपयोग किया जाता है। प्राकृतिक और कोलतार।
कोलतार रंग मुख्यतः दो प्रकार के होते हैं। अम्लीय और क्षारीय। केवल कोलतार रंगों को खाद्य पदार्थों में मिलाने की अनुमति दी गई है। इनमें लाल, पीला, नीला तथा हरा रंग महत्वपूर्ण है, शेष अम्लीय तथा सभी क्षारीय कोलतार रंगों का खाद्य वस्तुओं में मिलाया जाना पूर्णतः वर्जित है, क्योंकि वे स्वास्थ्य के लिए हानिप्रद है।
पिसी हुई लाल मिर्च में घुलनशील कोलतार रंग जैसे सूडान 293 की भी मिलावट की जाती है ताकि बाहरी चीजों जैसे कूड़ा-कंकड़, डंठल, बुरादा आदि की मिलावट तथा मिर्च की हल्की किस्म को भी छिपाया जा सके। अखाद्य पीले रंग की मिलावटयुक्त खाद्य पदार्थों के सेवन से अतिसार व बुद्धि का ह्रास होता है, खाद्य तेलों में व्हाइट आइल और पेट्रोलियम पदार्थों की मिलावट से कैंसर हो सकता है। हल्दी जैसे स्वास्थ्यवर्धक मसाले में लेड क्रोमेट मिलाया जाता है जिससे रक्तअल्पता, असमय गर्भपात, लकवा आदि का खतरा होता है।
क्या कर सकते हैं आप?
कोई भी नागरिक खाद्य सामग्री के नमूने को 'पब्लिक हैल्थ लैब' में ले जाकर जाँच करवा सकता है। 'पब्लिक हैल्थ लैब' सभी बड़े शहरों में है जहाँ खाद्य सामग्री परीक्षण के लिए भेजी जा सकती है।
12 जनवरी 2010
सावधान! रंगीन खाद्य सामग्री से
Labels: आहार
Posted by Udit bhargava at 1/12/2010 10:40:00 pm
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