भारतीय संस्कृति में हमेशा से शाकाहार की महिमा पर जोर दिया गया है, लेकिन वैज्ञानिकों और शोधकर्ताओं के कई अध्ययनों के बाद शाकाहार का डंका अब विश्व भर में बजने लगा है। शरीर पर शाकाहार के सकारात्मक परिणामों को देखते हुए दुनिया भर में लोगों ने अब माँसाहार से किनारा करना शुरू कर दिया है।विश्व भर के शाकाहारियों को एक स्थान पर लाने और खुरपका-मुँहपका तथा मैड काओ जैसे रोगों से लोगों को बचाने के लिए उत्तरी अमेरिका के कुछ लोगों ने 70 के दशक में नॉर्थ अमेरिकन वेजिटेरियन सोसाइटी का गठन किया।सोसाइटी ने 1977 से अमेरिका में विश्व शाकाहार दिवस मनाने की शुरूआत की। सोसाइटी मुख्य तौर पर शाकाहारी जीवन के सकारात्मक पहलुओं को दुनिया के सामने लाती है। इसके लिए सोसाइटी ने शाकाहार से जुड़े कई अध्ययन भी कराए हैं। दिलचस्प बात यह है कि सोसाइटी के इस अभियान के शुरू होने के बाद से अकेले अमेरिका में लगभग 10 लाख से ज्यादा लोगों ने माँसाहार को पूरी तरह त्याग दिया है।विश्व शाकाहार दिवस के अवसर पर आहार विशेषज्ञ डॉ. अमिता सिंह ने बताया कि हाल के एक शोध के मुताबिक शाकाहारी भोजन में रेशे बहुतायत में पाए जाते हैं और इसमें विटामिन तथा लवणों की मात्रा भी अपेक्षाकृत ज्यादा होती है।डॉ. अमिता ने बताया कि ऐसे भोजन में पानी की मात्रा ज्यादा होती है, जिससे मोटापा कम होता है। माँसाहार की तुलना में शाकाहारी भोजन में संतृप्त वसा और कोलेस्ट्रॉल की मात्रा कम होती है, जिससे यह हृदय रोगों की आशंका कम करता है। आहार विशेषज्ञ डॉ. अंजुम कौसर ने बताया कि अनाज, फली, फल और सब्जियों में रेशे और एंटीऑक्सीडेंट ज्यादा होते हैं, जो कैंसर को दूर रखने में सहायक होते हैं।डॉ. कौसर ने बताया कि उनके पास कई ऐसे मरीज आए, जिन्होंने माँसाहार त्यागने के बाद अपने स्वास्थ्य में कई सकारात्मक परिवर्तन देखे।फिजीशियन डा. केदार नाथ शर्मा ने बताया कि बहुत से लोग गोश्त को अच्छे स्वाद के नाम पर तेज मसाला डाल कर देर तक पकाते हैं। इस प्रक्रिया से पका गोश्त खाने पर कार्डियोवेस्कुलर सिस्टम को बहुत नुकसान पहुँचता है। यह भोजन रक्तचाप बढ़ाने के साथ रक्तवाहिनियों में जम जाता है, जो आगे चल कर दिल की बीमारियों को न्यौता देता है।
NDपिछले दिनों अमेरिका के एक अंतरराष्ट्रीय शोध दल ने इस बात को प्रमाणित किया कि माँसाहार का असर व्यक्ति की मनोदशा पर भी पड़ता है। शोधकर्ताओं ने अपने शोध में पाया कि लोगों की हिंसक प्रवृत्ति का सीधा संबंध माँसाहार के सेवन से है।अध्ययन के परिणामों ने इस बात की ओर संकेत दिया कि माँसाहार के नियमित सेवन के बाद युवाओं में धैर्य की कमी, छोटी-छोटी बातों पर हिंसक होने और दूसरों को नुकसान पहुँचाने की प्रवृत्ति बढ़ जाती है। सोसाइटी की गतिविधियाँ शुरूआत में अमेरिकी उपमहाद्वीप तक सीमित रहीं, लेकिन बाद में इसने अपने कार्यक्षेत्र को यूरोपीय महाद्वीप समेत पूरे विश्व में फैलाया। एक अक्टूबर के दिन दुनिया भर में शाकाहार प्रेमी माँसाहार के नुकसान के बारे में लोगों को जानकारी देने के लिए विभिन्न स्थानों पर कार्यक्रमों का आयोजन करते हैं।
12 जनवरी 2010
सेहत के लिए लाभकारी शाकाहार
Labels: आहार
Posted by Udit bhargava at 1/12/2010 09:56:00 pm
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