देशी नाश्ते या मिड डे मील में स्वास्थ्य की दृष्टि से कई विकल्प
सामने आते हैं। इनमें भुने हुए चने से लेकर सिंके हुए परमल तक कई अल्पाहार हैं। इनमें सत्तू बेजोड़ है।
सामने आते हैं। इनमें भुने हुए चने से लेकर सिंके हुए परमल तक कई अल्पाहार हैं। इनमें सत्तू बेजोड़ है।
आयुर्वेद में तीन उपस्तंभ- आहार, निद्रा और ब्रह्मचर्य कहे गए हैं। इनके सम्यक प्रयोग से ही शरीर स्वस्थ रहता है। इसमें प्रमुख स्थान आहार का है। आहार शरीर के पोषण के साथ-साथ स्वस्थ भी रखता है। यही वजह है कि आहार चिकित्सा का साधन भी है। आहार के भी दो हिस्से हैं एक पूर्ण और दूसरा अल्पाहार।
अल्पाहार में सत्तू का प्राचीन काल से मुख्य स्थान रहा है। यह शरीर के पोषण के साथ-साथ मोटापा और डायबिटीज को नियंत्रित रखता है। मौजूदा समय में सत्तू की उपयोगिता भले ही महत्वपूर्ण हो, लेकिन इसके चाहने वाले कम होते जा रहे हैं। पीत्जा, बर्गर के युग में अल्पाहार के तौर पर सत्तू की कल्पना भी बेजा नजर आती है। सत्तू इंडियन फास्ट फूड है, जो तत्काल शक्ति प्रदान करता है।
इसका सेवन इतना आसान है कि कहीं भी किसी भी परिस्थिति में इसे खाया जा सकता है। सत्तू की आयुर्वेदिक परिभाषा के अनुसार किसी भी धान्य को भाड़ में भूनकर तथा पीसकर सत्तू बनाया जा सकता है। इसमें गेहूँ, जौ, चना एवं चावल आदि शामिल हैं।
सत्तू चूँकि धान्य से तैयार किया जाता है इसलिए इसमें रेशे, कार्बोहाईड्रेट्स, प्रोटीन, स्टार्च तथा खनिज पदार्थ होते हैं। धान्यों को भूनने से सत्तू में लघुता आती है, जिससे पाचन आसान हो जाता है। मोटापे और डायबिटीज को नष्ट करने में सत्तू सहायक होता है।
मोटापे में भूख लगने पर जौ एवं चने से निर्मित सत्तू का सेवन करने पर भूख तो शांत होती ही है साथ ही लंबे समय तक क्षुधा शांत रहती है। साधारणतया सत्तू में गुड़ या शक्कर पानी में घोलकर सेवन किया जाता है। डायबिटीज के रोगी चाहें तो गुड़ या शक्कर के स्थान पर नमक भी डालकर स्वादिष्ट बना सकते हैं।
जौ का सत्तू
जौ से बने सत्तू पाचन में हल्के होते हैं तथा शरीर को छरहरा बना देते हैं। जल के साथ घोलकर पीने से बलदायक मल को प्रवृत्त करने वाले, रुचिकारक, श्रम, भूख एवं प्यास को नष्ट करने वाले होते हैं। जो लोग प्रतिदिन धूप में अत्यधिक थकाने वाला श्रम करते हैं उन्हें सत्तू का प्रयोग करना श्रेष्ठ होता है। पसीना जिन्हें अधिक आता है उनके लिए भी इसका प्रयोग बेहतर माना गया है।
सावधानी:
*भोजन के बाद कभी भी सत्तू का सेवन ना करें।
* अधिक मात्रा में सत्तू ना खाएँ।
* रात्रि में सत्तू ना खाएँ।
* पानी अधिक मात्रा में ना मिलाएँ।
*सत्तू सेवन के बीच में पानी ना पिएँ।
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