बढ़े हुए कफ से गला, नाक, छाती में जलन होने पर मुलहठी को शहद में मिलाकर चाटने से बहुत फायदा होता है। बड़ों के लिए मुलहठी के चूर्ण का इस्तेमाल कर सकते हैं। शिशुओं के लिए मुलहठी के जड़ को पत्थर पर पानी के साथ 6-7 बार घिसकर शहद या दूध में मिलाकर दिया जा सकता है।
छोटे शिशु कई बार शाम को रोते हैं। पेट में गैस के कारण उन्हें शाम के वक्त पेट में दर्द होता है। उस समय मुलहठी को पत्थर पर घिसकर पानी या दूध के साथ पिलाने से पेट दर्द शांत हो जाता है।
मुलहठी मिलाकर पकाए गया घी इस्तेमाल करने से अलसर मिटता है।
यह कफ को आसानी से निकालता है। इसलिए खाँसी, दमा, टीबी एवं आवाज बदल जाना आदि फेफड़ों की बीमारियों में मुलहठी का एक छोटा टुकड़ा मुँह में रखकर चबाने से भी फायदा होता है।
11 जनवरी 2010
रोग भगाए मीठी मुलहठी
Posted by Udit bhargava at 1/11/2010 03:36:00 pm
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