12 जनवरी 2010

इस करियर में सुकून व बेहतर भविष्य है

मेडिकल फील्ड में डॉक्टरों के बाद सबसे अहम भूमिका पैरा मेडिकल एक्सपर्ट अदा करते हैं। लैब टेक्नीशियन, एक्स-रे टेक्नोलॉजिस्ट, फूड सर्विस वर्कर, डेंटल मेकैनिक्स, फार्मासिस्ट, इमरजेंसी मेडिकल टेक्नीशियन, फिजियोथेरेपिस्ट आदि। ऐसे एक्सपर्ट रोगी के उपयुक्त और प्रभावी उपचार के लिए रोग की पहचान करने में डॉक्टर को सहयोग करते हैं। ऑप्टोमिट्रिस्ट भी ऐसे ही एक्सपर्ट होते हैं। ये आंखों से संबंधित समस्या की पहचान और उपचार का काम करते हैं।

क्या है इस क्षेत्र में
ऑप्टोमिट्री विज्ञान आंखों से जुडा हुआ है। इसके अंतर्गत मानव आंख की प्रकृति और क्रियाकलाप के बारे में अध्ययन किया जाता है। ऑप्टोमिट्रिस्ट आंखों का परीक्षण, डायग्नोसिस और उपचार करते हैं। ऐसे प्रोफेशनल्स लेंस और दूसरे ऑप्टिकल उपकरणों के द्वारा दृष्टि संबंधी समस्याओं का उपचार करते हैं। ऑप्टोमिट्रिस्ट विशेषकर प्रत्यावर्तन संबंधी त्रुटि को भी ठीक करते हैं। ऑप्टोमिट्रिस्ट ऑप्टोमिट्री का डॉक्टर होता है। ऐसे प्रोफेशनल आंख से संबंधित समस्याओं का निदान करने के लिए विभिन्न तरह के विजन थेरेपी का सहारा लेते हैं। नेत्र रोगी को आंख से संबंधित पूरी जानकारी के लिए ऑप्टोमिट्रिस्ट के पास भेज देते हैं। ऐसे प्रोफेशनल्स आंखों की सर्जरी का काम नहीं करते हैं। ऑप्टोमिट्रिस्ट एक तरह से आंखों का प्राथमिक उपचार करते हैं।

इंडस्ट्री की स्थिति
दिल्ली के अपोलो अस्पताल की आप्टोमिट्रिस्ट श्रद्धा का कहना है कि देश में प्रशिक्षित ऑप्टोमिट्रिस्ट की बहुत डिमांड है और आने वाले कुछ वर्षो तक ऐसी ही स्थिति रहने की संभावना है। एक रिपोर्ट में कहा गया है कि दुनिया में हर तीसरा अंधा व्यक्ति भारत का है। इसके अलावा लाखों लोग दृष्टिदोष से पीडित हैं। हाल ही में हुए एक सर्वे से पता चला है कि भारत में दो लाख लोगों पर एक ऑप्टोमिट्रिस्ट है, जबकि विकसित देशों-मसलन अमेरिका और यूरोपीय देशों में यह अनुपात बहुत कम है। इन देशों में दस हजार लोगों पर एक ऑप्टोमिट्रिस्ट है। देश में फिलहाल पांच हजार के आसपास ऑप्टोमिट्रिस्ट है। इंडस्ट्री के जानकारों का कहना है कि देश में दो लाख ऑप्टोमिट्रिस्ट की जरूरत है। देश के बडे शहरों के साथ ही मझोले और छोटे शहरों में खुल रहे अस्पतालों और ऑप्टिकल चेंस में ऐसे प्रोफशनल्स की डिमांड सबसे अधिक है।

संभावनाएं
ऑप्टोमिट्री का कोर्स करने के बाद जॉब हासिल करने के लिए ज्यादा प्रयास नहीं करने पडते। ऑप्टोमिट्रिस्ट के लिए रोजगार के पर्याप्त अवसर उपलब्ध हैं। अस्पतालों के आई डिपार्टमेंट में ऐसे प्रोफेशनल्स की नियुक्ति होती है। अस्पतालों में ऐसे प्रोफशनल्स ऑप्टोमिट्रिस्ट बन नेत्र विभाग में सहायक के तौर पर काम करते हैं। आंखों से संबंधित विभिन्न तरह के मेडिकल उत्पाद बनाने वाली मल्टी नेशनल कंपनियां भी ऐसे प्रोफेशनल्स को सर्विस एग्जिक्यूटिव के तौर पर रिक्रूट करती हैं। ऐसा कोर्स करने के बाद कोई चाहे तो अध्यापन के क्षेत्र में भी करियर बना सकता है। ऑप्टोमिट्री फील्ड में उच्च शिक्षा हासिल करने वालों को शोध संस्थानों के साथ आई लेंस मैन्युफैक्चरिंग यूनिट, ऑप्टिकल शॉप, शोरूम में भी नौकरी मिल जाती है। इस कोर्स के बाद आप चाहें तो अपना ऑप्टिक शॉप, लेंस मैन्युफैक्चरिंग यूनिट का क्लिनिक खोलकर प्रैक्टिस भी कर सकते हैं।

पाठ्यक्रम
बैचलर इन ऑप्टोमिट्री (बी। ऑप्टम) चार वर्षीय कोर्स है। इसके अंतर्गत फिजिकल ऑप्टिक्स, ऑप्टिकल इंस्ट्रूमेंट की जानकारी, जनरल एनाटॉमी, फिजियोलॉजी, आंख की एब्नॉर्मल और पैथोलॉजी कंडीशन, रिफ्रैक्टिव एरर्स के मूल्यांकन संबंधी तरीकों और ठीक करने के उपायों का अध्ययन किया जाता है। ऐसे कोर्स के सिलेबस में फार्माकोलॉजी, ऑप्टिक्स, विजन साइंस, बायोकेमिस्ट्री और सिस्टिमिक डिजीज का भी अध्ययन शामिल होता है। बी. ऑप्टम कोर्स में बेसिक साइंस, डिस्पेंसिंग ऑप्टिक्स और क्लिनिकल सब्जेक्ट्स की प्रैक्टिकल ट्रेनिंग भी होती है। अंतिम वर्ष में छात्रों की इंटर्नशिप के लिए विभिन्न अस्पतालों और आई क्लिनिक्स में भेजा जाता है ताकि वे क्लिनिकल और ट्रेड में अनुभव हासिल कर सकें। ज्यादातर संस्थानों में कोर्स आठ सेमेस्टर में बंटा होता है। बी. ऑप्टम के बाद एम. ऑप्टम, एमफिल, एमएस या पीएचडी प्रोग्राम भी किया जा सकता है।

योग्यता
बैचलर इन ऑप्टोमिट्री कोर्स में दाखिला लेने के लिए उम्मीदवार का अंग्रेजी, फिजिक्स, केमिस्ट्री, बायोलॉजी या मैथमेटिक्स विषयों से इंटरमीडिएट होना आवश्यक है। उम्मीदवार का मान्यता प्राप्त बोर्ड से कम से कम पचास प्रतिशत अंकों के साथ इंटरमीडिएट उत्तीर्ण होना जरूरी है।

वेतनमान
लाभ की दृष्टि से ऑप्टोमिट्री देश के दस सबसे ज्यादा फायदेमंद व्यवसायों में शामिल है। एक ऑप्टोमिट्रिस्ट की आय उसके काम के घंटों, अभ्यास, फीस आदि पर निर्भर है। सरकारी अस्पताल में एक ऑप्टोमिट्रिस्ट को शुरुआत में आठ हजार रुपये प्रति महीने वेतन मिलता है। दो वर्ष के अनुभव के बाद यह बढकर 15-20 हजार रुपये प्रति महीने तक हो जाता है। प्राइवेट अस्पतालों और ऑप्टीकल चेंस में 8 से 10 हजार रुपये मासिक वेतन पर ऑप्टोमिट्रिस्ट को नियुक्त किया जाता है। अनुभव के बाद सैलरी बढकर 25 हजार रुपये के आसपास हो जाती है। अनुभवी ऑप्टोमिट्रिस्ट को 6 से 7 लाख रुपये तक का सालाना पैकेज आसानी से मिल जाता है।

प्रमुख संस्थान
1. डॉ.राजेन्द्र प्रसाद सेंटर फॉर ऑप्थेलॉजिक साइंसेज, अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान, सफदरजंग एनक्लेव, अंसारी नगर, इग्नू तथा श्रॉफ अस्पताल दरियागंज, दिल्ली
2. एल.वी. प्रसाद कॉलेज, हैदराबाद
3. एलाइट स्कूल ऑफ ऑप्टीमिट्रिस्ट, चेन्नई
4. लोटस स्कूल ऑफ मुंबई, मुंबई
5. जी. आर. मेडिकल कॉलेज, ग्वालियर
6. गवर्नमेंट मेडिकल कॉलेज, पटियाला
7. पटना मेडिकल कालेज, पटना
8. भारतीय विद्यापीठ मेडिकल कॉलेज, पुणे
9. अलीगढ मुसलिम यूनिवर्सिटी, अलीगढ
10. गांधी मेडिकल कॉलेज, भोपाल
इस क्षेत्र में डिप्लोमा पाने के लिए एक साल व डिग्री के लिए दो साल की फेलोशिप भी की जा सकती है। इस क्षेत्र में काम के घंटे नियत व भविष्य उज्ज्वल है।
दिल्ली स्थित चौधरी आई क्लीनिक के ऑटोमिट्रिस्ट सनी से बातचीत -

अपने कार्य अनुभव के बारे में बताइए?
अब तक का मेरा कार्य अनुभव बहुत ही अच्छा रहा है। मैं ऑप्टोमिट्रिस्ट के तौर पर कार्य करते हुए प्रसन्न हूं।

महिलाओं के लिए यह प्रोफेशन कैसा है?
मेरे खयाल से महिलाओं के लिए यह अच्छा प्रोफेशन है। अस्पताल में आठ घंटे की ड्यूटी होती है। समय निश्चित होता है। काम के अतिरिक्त घंटे नहीं होते, न ही घर पर काम करना होता है। इस काम को करते हुए परिवार के लिए वक्त निकालने की पूरी गुंजाइश रहती है।

डिग्री या डिप्लोमा कौन सा कोर्स बेहतर होता है?
ऑप्टोमिट्री में डिग्री कोर्स करना ज्यादा बेहतर होगा, क्योंकि डिग्री होल्डर्स की मांग डिप्लोमा वालों की तुलना में ज्यादा है।

इस क्षेत्र में उपलब्ध संभावनाओं के बारे में बताइए?
देश में अस्पताल और आई क्लिनिक धडल्ले से खुल रहे हैं। लोगों में भी जागरूकता बढ रही है। ऐसे में मैं यह कह सकता हूं कि इस कोर्स को करने के बाद जॉब पाने में ज्यादा परेशानी नहीं होगी।