रत्न भी पत्थर ही होते हैं। अतः रत्न पुरानी व कठोर पत्थरों की चट्टानों में प्राप्त होते हैं। इसी कारण ये विशेषकर पर्वतीय प्रदेशों में पाए जाते हैं। कभी-कभी वर्षा ऋतु में पानी की तेज धारा से पत्थर टूट-टूट कर नदी नालों में लुढ़कते चले जाते हैं।
जलधारा की गति कम होने पर बड़े-बड़े पत्थर तो रुक जाते हैं, परन्तु हल्के पत्थर बहते जाते हैं। इन्हीं पत्थरों में चिपके रत्नों वाले पत्थर कंकड़ों व रेत में बिखर जाते हैं। इस तरह प्राप्त रत्न उच्च कोटि का होता है, कारण कि इन्हें टूटने-फूटने का भय नहीं होता है तथा इस पर चिपके अन्य पदार्थ पानी के प्रवाह में अलग हो जाते हैं।
इस प्रकार के रत्न अफ्रीका महाद्वीप में बेलजियम, कांगो, घाना, दक्षिण अफ्रीका, सिएरा लियोन में पाए जाते हैं तथा अफ्रीका के अतिरिक्त ब्राजील (दक्षिण अमेरिका) श्याम, बर्मा, भारत, श्रीलंका, संयुक्त राष्ट्र अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया, रूस आदि में पाए जाते हैं।
13 जनवरी 2010
रत्नों के प्राप्ति स्थान
Posted by Udit bhargava at 1/13/2010 08:34:00 am
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