
*नासिक के पंचववटी क्षेत्र में सीता माता की गुफा के पास पाँच प्राचीन वृक्ष है जिन्हें पंचवट के नाम से जाना जाता है। वनवानस के दौरान राम, लक्ष्मण और सीता ने यहाँ कुछ समय बिताया था। इन वृक्षों का भी धार्मिक महत्व है। उक्त सारे वट वक्षों की रोचक कहानियाँ हैं। मुगल काल में इन वृक्षों को खतम करने के कई प्रयास हुए।
सिद्धवट के पुजारी ने कहा कि स्कंद पुराण अनुसार पार्वती माता द्वारा लगाए गए इस वट की शिव के रूप में पूजा होती है। पार्वती के पुत्र कार्तिक स्वामी को यहीं पर सेनापति नियुक्त किया गया था। यहीं उन्होंने तारकासुर का वध किया था। संसार में केवल चार ही पवित्र वट वृक्ष हैं। प्रयाग (इलाहाबाद) में अक्षयवट, मथुरा-वृंदावन में वंशीवट, गया में गयावट जिसे बौधवट भी कहा जाता है और यहाँ उज्जैन में पवित्र सिद्धवट हैं।

पंडित नागेश्वर कन्हैन्यालाल ने कहा कि यहाँ पर नागबलि, नारायण बलि-विधान का विशेष महत्व है। संपत्ति, संतित और सद्गति की सिद्धि के कार्य होते हैं। यहाँ पर कालसर्प शांति का विशेष महत्व है, इसीलिए कालसर्प दोष की भी पूजा होती है।
कालसर्प दोष का निदान कराने आईं पुना की श्वेता उपाध्याय ने कहा कि मेरी जन्मकुंडली में कालसर्प दोष था। हमें पता चला कि यहाँ कालसर्प दोष का निदान होता है तो मैं यहाँ पर दोष का निवारण कराने आई हूँ।
वर्तमान में इस सिद्धवट को कर्मकांड, मोक्षकर्म, पिंडदान, कालसर्प दोष पूजा एवं अंत्येष्टि के लिए प्रमुख स्थान माना जाता है। यह यात्रा आपकों कैसी लगी हमें जरूर बताएँ।
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