वर्त्तमान में मानवीय जीवन अत्यधिक कठिन हो गया है। गाँव से जनसमुदाय सहारों की ओर पलायन कर रहा है। इससे सहारों का विस्तार लगातार बढ़ता जा रहा है। भारत के कई बड़े सहरोंमें तो घर बनाना सामान्य व्यक्ति के लिए सिर्फ दिवास्वप्न के समान है। ऐसे में जैसा और जो भी घर मिले उस्सी में रहकर कई परिवार अपना पालन-पोषण करने को मजबूर हैं। ऐसी दौड-भाग वाली ज़िन्दगी में सन्तुष्टि किसी को भी नहीं है, इसलिए वे अपने दुखों को जाने के लिए उघत रहते हैं।
इन दुखों का कारन कुछ भी हो सकता है, परन्तु इन कारणों में से ही जिस घर में आप रह रहे हैं, उस घर में व्याप्त उर्जा भी आपतो प्रभावित करती है। यह उर्जा यदी नकारात्मक होगी, तो निश्चित ही आपके दुखों का कारन भी होगी हालांकि यह आवश्यक नहीं है कि आपके जीवन में जो समस्याएं हैं, उनका कारन यही है, लेकिन घर में लगातार अशांति रहती हो, घर में आते ही मन विचलित हो जाता हो, परिजनों के मध्य पारस्परिक मतभेद रहता हो, सभी परिजनों कि उन्नति में बाधाएं उपस्थित हो रही हों, घर में मांगलिक कार्य संपन्न होने में बहुत अधिक विध्न उत्त्पन्न होते हों, तो यह समझिये कि यह आपके घर की नकारात्मक उर्जा ही है, जो आप सभी को प्रभावित कर रही है। कई बार जन्मपत्रिका अथवा हस्तरेखाओं का अध्यन करते समय यह समस्या नजर नहीं आ पति है और हम यह सोचकर चिंतित होते रहते हैं कि मेरा अच्छा वक्त चल रहा फिर भी क्यों मेरे जीवन में ऐसी समस्याएं उपस्थित हो रही हैं।
जिस प्रकार घर कि नकारात्मक उर्जा परिवार एवं परिजनों को प्रभावित करती है, उसी प्रकार आपके कार्यस्थल, फैक्ट्री, दुकान आदि की नकारात्मक उर्जा आपके कार्य और व्यापर को प्रभावित करती है।
यह नकारात्मक उर्जा आखिर है क्या? इस प्रशन का उत्तर आज से कई वर्षों पूर्व ही विद्वानों ने वास्तुशास्त्र विषय के अंतर्गत वास्तुदोषों के नाम से उल्लिखित कर दिया है। घर अथवा व्यापर स्थल कि नकारात्मक उर्जा मतलब उस स्थान पर स्थित वास्तुदोस्त। ये वास्तुदोष निर्मंकार्य को लेकर हो सकते हैं, भूमि कि प्रकति को लेकर हो सकते हैं, आस-पास के निर्माण कार्य को लेकर हो सकते हैं तथा कई अन्य प्राकतिक स्थितियां भी इसका कारन हो सकती हैं।
व्यक्ति अपने घर अथवा व्यापारस्थल की नकारात्मक उर्जा का कारन जानते ही व्यक्ति उसको दूर करने का उपाय ढूंढता है और उसका निवारण भी करवाता है, लेकिन यह प्रत्येक व्यक्ति के साथ संभव नहीं है। जो व्यक्ति बड़े शहरों में येन-केन प्रकारें अपना आशियाना बनाकर रहने लगता है, अपने अब तक के जीवन की पूंजी लगाकर अपने घर का निर्माण करता है, उसे यदि यह कहा जाए कि आपके घर में जो नकारात्मक उर्जा उत्पन्न हो रही है, उसे दूर करने के लिए आपको पुनः तोड़फोड़ करके दोबारा निर्माण करवाना होगा, तो यह उसके लिए बहुत मुश्किल होता है। ऐसे में वह उस नकारात्मक उर्जा के साथ में रहने को मजबूर हो जाता है। ऐसे ही आस-पास के निर्माण कार्य और भूमि कि प्रकति से उत्त्पन्न होने वाले वास्तुदोषों का भी कोई हल नहीं मिल पता है।
09 जनवरी 2010
वास्तुदोष भी प्रभवित करते हैं जीवन को
यह नकारात्मक उर्जा आखिर है क्या? इस प्रशन का उत्तर आज से कई वर्षों पूर्व ही विद्वानों ने वास्तुशास्त्र विषय के अंतर्गत वास्तुदोषों के नाम से उल्लिखित कर दिया है। घर अथवा व्यापर स्थल कि नकारात्मक उर्जा मतलब उस स्थान पर स्थित वास्तुदोस्त। ये वास्तुदोष निर्मंकार्य को लेकर हो सकते हैं, भूमि कि प्रकति को लेकर हो सकते हैं, आस-पास के निर्माण कार्य को लेकर हो सकते हैं तथा कई अन्य प्राकतिक स्थितियां भी इसका कारन हो सकती हैं।
Posted by Udit bhargava at 1/09/2010 04:31:00 pm
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