एक बार देवर्षि नारद के मन में यह जानने की इच्छा हुई कि पूरे ब्रह्मांड में सबसे महान कौन है? वे वैकुंठ लोक गए। उन्होंने वहां प्रभु से प्रश्न किया, हे प्रभु! इस पृथ्वी पर सबसे महान कौन हैं? प्रभु ने मुस्कुराते हुए उत्तर दिया, नारदजी! सबसे बडी तो यह पृथ्वी दिखती है। इसलिए हम पृथ्वी को इसकी संज्ञा दे सकते हैं। दूसरी ओर, उसे समुद्र ने घेर रखा है। इस कारण समुद्र उससे भी बडा सिद्ध हुआ। एक बार इस समुद्र को भी अगस्त मुनि ने पी लिया था। इस कारण समुद्र कैसे बडा हो सकता है? ऐसी स्थिति में अगस्त्य मुनि सबसे बडे हुए। लेकिन उनका वास कहां है? अनंत आकाश के एक सीमित भाग में, मात्र बिंदु के समान वे एक जुगनू की तरह चमक रहे हैं। इस प्रकार आकाश उनसे बडा साबित हुआ। वामन अवतार में भगवान विष्णु ने इस आकाश को भी एक पग में ही नाप लिया था। इस तरह विष्णु ही सबसे महान सिद्ध होते हैं। फिर भी नारद विष्णु भी सर्वाधिक महान नहीं हैं। इसकी वजह यह है कि वे हमेशा आपके हृदय में अंगुठे इतनी जगह में ही विराजते हैं। इसलिए सबसे महान आप सिद्ध हुए।
04 जनवरी 2010
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